महासागरों में प्लास्टिक प्रदूषण को रोकने के लिए नीति में बदलाव की जरूरत : यूएनईपी

रिपोर्ट में कहा गया है कि 2050 तक दुनिया भर के महासागरों में प्लास्टिक प्रदूषण पर पूरी तरह से रोक लगाने में कई चुनौतियां सामने आएंगी

By Dayanidhi

On: Thursday 15 July 2021
 
Photo : Wikimedia Commons

समुद्र में प्रवेश करने वाला प्लास्टिक का कचरा लगातार बढ़ रहा है। इस बढ़ते प्लास्टिक प्रदूषण से समुद्री और तटीय पारिस्थितिक तंत्रों पर हानिकारक प्रभाव पड़ रहे हैं। जलीय जीवों के साथ-साथ मानव स्वास्थ्य को भी यह खतरनाक तरीके से प्रभावित कर रहा है।

समुद्री प्लास्टिक कूड़े से निपटने के लिए जी20 देशों की प्रतिबद्धता को जारी रखते हुए, 2019 में जापान में ओसाका ब्लू ओशन विजन पर सहमती व्यक्त की गई थी। जी20 देशों ने 2050 तक अतिरिक्त समुद्री प्लास्टिक कूड़े को समाप्त करने का वचन दिया है।  

संयुक्त राष्ट्र की एक नई रिपोर्ट में कहा गया है कि समुद्र तक पहुंचने वाले प्लास्टिक के कचरे की मात्रा को कम करने के लिए व्यवस्था में बदलाव जरूरी है। हमें हर स्तर पर प्लास्टिक की मात्रा को कम कम करने के लिए बदलाव करने चाहिए। लेकिन वर्तमान में की गई अलग-अलग कार्रवाइयां और नीतियां दुनिया भर के महासागरों में प्लास्टिक समस्या को बढ़ा रही हैं।

रिपोर्ट में कहा गया है महासागरों में प्लास्टिक प्रदूषण को रोकने के लिए पूरी प्लास्टिक आधारित अर्थव्यवस्था में प्रणालीगत बदलाव करने की आवश्यकता है।

इंटरनेशनल रिसोर्स पैनल (आईआरपी) की रिपोर्ट में कहा गया है कि 2050 तक दुनिया भर के महासागरों में प्लास्टिक प्रदूषण को पूरी तरह से रोकने में कई चुनौतियां आने वाली है। यह समय विशेष रूप से महत्वपूर्ण है जब कोविड-19 महामारी ने प्लास्टिक कचरे को बढ़ाने में अहम भूमिका निभाई है।

पोर्ट्समाउथ विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं के नेतृत्व में रिपोर्ट को जापान सरकार द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम में जारी किया गया है। ओसाका ब्लू ओशन विजन देने के लिए नीति विकल्पों का आकलन करने के लिए इस रिपोर्ट को जी20 द्वारा अपनाया गया था। इसका लक्ष्य 2050 तक समुद्र में प्रवेश करने वाले अतिरिक्त प्लास्टिक के कूड़े को पूरी तरह समाप्त करना है।

Source : Policy Options to Eliminate Additional Marine Plastic Litter by 2050 under the G20 Osaka Blue Ocean Vision

द प्यू चैरिटेबल ट्रस्ट्स और सिस्टमिक रिपोर्ट ब्रेकिंग द प्लास्टिक वेव के मुताबिक हर साल समुद्र में लगभग 110 लाख मीट्रिक टन प्लास्टिक पहुंचता है। नवीनतम मॉडलिंग से पता चलता है कि वर्तमान सरकार और उद्योगों द्वारा किए गए वायदो के अनुसार 2040 तक समुद्री प्लास्टिक के कूड़े का मात्र 7 फीसदी ही कम करेंगें। इसलिए व्यवस्था में तत्काल बदलाव करने और ठोस कार्रवाई करने की आवश्यकता है।

आईआरपी पैनल के सदस्य स्टीव फ्लेचर, महासागर नीति और अर्थव्यवस्था के प्रोफेसर ने कहा अब अकेले-अकेले काम करने से नहीं चेलेगा, इस तरह के बदलावों से कोई ज्यादा फर्क नहीं पड़ेगा, देशों को एक साथ मिलकर काम करना होगा। 

प्रोफेसर फ्लेचर ने बताया कि किसी भी देश में रीसायकल किए गए प्लास्टिक का उपयोग किया जा सकता है, लेकिन अगर प्लास्टिक को इकट्ठा करने की कोई प्रक्रिया नहीं है, कोई रीसायकल करने की व्यवस्था नहीं है और प्लास्टिक को फिर से इस्तेमाल करने के लिए कोई बाजार नहीं है और प्लास्टिक का उपयोग करने के लिए सस्ता है तो वह रीसायकल प्लास्टिक एक तरह से समय की बर्बादी है।

प्लास्टिक रीसायकल करना एक प्रकार की 'ग्रीन वाशिंग' है जो सतह पर अच्छी लगती है लेकिन इसका कोई सार्थक प्रभाव नहीं होता है। यह अलग-अलग बदलावों को रोकने का समय है जहां हर देश इसके लिए कुछ न कुछ कर रहा है। लेकिन वास्तव में इतने से प्रयास से कोई फर्क नहीं पड़ता है।

विशेषज्ञों का कहना है कि वे जानते हैं कि उनकी सिफारिशें शायद अब तक की सबसे अधिक महत्वाकांक्षी हैं, लेकिन साथ ही चेतावनी दी गई है कि इससे पहले समय मुठ्ठी में रेत के समान फिसल जाए इन्हें लागू किया जाना चाहिए।

प्लास्टिक के कचरे पर पूरी तरह तभी लगाम लगेगी जब नीतिगत लक्ष्यों को वैश्विक स्तर पर आकार दिया जाएगा और राष्ट्रीय स्तर पर लागू किया जाएगा।

समुद्री प्लास्टिक कूड़े को कम करने के लिए जानी जाने वाली कार्रवाइयों को प्रोत्साहित किया जाना चाहिए, साझा किया जाना चाहिए और तुरंत बढ़ाया जाना चाहिए। इनमें लीनियर से सर्कुलर प्लास्टिक उत्पादन और कचरे को डिजाइन करके खपत, पुन: उपयोग को प्रोत्साहित करना और बाजार-आधारित उपकरणों का दोहन शामिल है।

एक सर्कुलर प्लास्टिक अर्थव्यवस्था में बदलाव के लिए नवीनीकरण (इनोवेशन) का समर्थन करना आवश्यक है। जबकि कई तकनीकी समाधान के बारे में जानकारी है और जिसे आज से ही शुरू किया जा सकता है। ये महत्वाकांक्षी कुल शून्य प्लास्टिक के लक्ष्य को पूरा करने के लिए पर्याप्त नहीं है। नया दृष्टिकोण और नवीनीकरण (इनोवेशन) की बहुत जरूरत है।

समुद्री प्लास्टिक कूड़े की नीतियां बहुत अधिक प्रभावशील न होने के साथ-साथ इनमें जानकारी की भी कमी है। विभिन्न राष्ट्रीय और क्षेत्रीय संदर्भों में सबसे प्रभावी समाधानों की पहचान करने के लिए प्लास्टिक नीतियों की प्रभावशीलता का मूल्यांकन और निगरानी करने के लिए एक तत्काल और स्वतंत्र कार्यक्रम की आवश्यकता है।

प्लास्टिक कचरे के अंतर्राष्ट्रीय व्यापार को लोगों और प्रकृति की रक्षा के लिए नियमित किया जाना चाहिए। अपर्याप्त अपशिष्ट प्रबंधन बुनियादी ढांचे वाले देशों में अपशिष्ट प्लास्टिक की सीमा पार आवाजाही के परिणामस्वरूप प्राकृतिक पर्यावरण में प्लास्टिक पहुंच सकता है। प्लास्टिक कचरे के वैश्विक व्यापार को अधिक पारदर्शी और बेहतर विनियमित करने की आवश्यकता है।

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