पर्यावरण मुकदमों की डायरी: पर्यावरण के अनुकूल नहीं है तारापुर औद्योगिक क्षेत्र का सीईटीपी

 देश के विभिन्न अदालतों में विचाराधीन पर्यावरण से संबंधित मामलों में क्या कुछ हुआ, यहां पढ़ें –

By Susan Chacko, Lalit Maurya

On: Thursday 17 September 2020
 

तारापुर औद्योगिक क्षेत्र में मौजूद कॉमन एफ्लुएंट ट्रीटमेंट प्लांट (सीईटीपी) पर दूसरी संयुक्त जांच रिपोर्ट 16 सितंबर, 2020 को आम जनता के लिए उपलब्ध कर दी गई है। यह रिपोर्ट एनजीटी के आदेश पर केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) और महाराष्ट्र प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा प्रस्तुत द्वारा तैयार की गई है। एनजीटी ने इस मामले में 22 सितंबर, 2019 और 26 सितंबर, 2019 को आदेश जारी किए थे। 

गौरतलब है कि इस मामले में एनजीटी ने सीपीसीबी को निर्देश दिया था कि वो एमपीसीबी के साथ मिलकर इस सीईपीटी की व्यापक निगरानी करे और उसपर हर तीन महीने के अंदर नियमित रिपोर्ट प्रस्तुत करे।

रिपोर्ट के अनुसार 12 मार्च, 2020 को संयुक्त जांच के समय इस सीईटीपी से विभिन्न नमूने लिए गए थे। जिनके विश्लेषण से पता चला है कि 13 नवंबर, 2019 को की गई पिछली जांच के बाद से इस प्लांट के प्रदर्शन में कोई सुधार नहीं आया है। रिपोर्ट में निम्नलिखित बातों का जिक्र किया गया है जहां पर्यावरण नियमों का उल्लंघन किया गया है:

  • सीईटीपी से निकल रहे एफ्लुएंट की गुणवत्ता तय सीमा से कहीं ज्यादा खराब थी और वो निरंतर नियमों को अनदेखा कर रहा था।
  • सीईटीपी का हाइड्रोलिक लोड तय सीमा से कहीं ज्यादा था, साथ ही उससे निरंतर अवैध रूप से वेस्ट निकल रहा था।
  • सीईटीपी में स्लज का ठीक तरह से प्रबंधन नहीं हो रहा था, साथ ही उसमें निरंतरता का भी आभाव था।
  • सीईटीपी की सभी प्रमुख ट्रीटमेंट यूनिट्स और स्लज जमा करने इकाइयां ठीक से काम नहीं कर रही थी।
  • सीईटीपी का इनलेट और आउटलेट फ्लो मीटर की माप सही नहीं थी साथ ही उसका ऑनलाइन मॉनिटरिंग सिस्टम भी काम नहीं कर रहा था। 

कपाली नदी के बाढ़ क्षेत्र की सीमा निर्धारित की जाए: एनजीटी

एनजीटी ने 15 सितंबर 2020 को आदेश जारी किया है कि कपाली नदी के बाढ़ के मैदान की सीमा निर्धारित करने के मामले में एक तथ्यात्मक और कार्रवाई रिपोर्ट प्रस्तुत करे। कोर्ट का यह आदेश ओडिशा सरकार के जल संसाधन सचिव, जिला मजिस्ट्रेट, भद्रक और ओडिशा राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के लिए जारी किया गया है।

एनजीटी द्वारा यह आदेश 16 दिसंबर, 2019 को जारी निर्देशों और उसके अनुपालन के सम्बन्ध में दायर आवेदन के जवाब में आया है।

कोर्ट द्वारा यह निर्देश कपाली नदी के बाढ़ क्षेत्र की पहचान करने और उसकी सीमा निर्धारित करने के विषय में था। यह नदी ओडिशा के भद्रक जिले के नालंगा में स्थित है। साथ ही कोर्ट ने आदेश दिया है कि बाढ़ के मैदान में कोई निर्माण नहीं होना चाहिए। साथ ही यदि बाढ़ के मैदान पर कोई प्रतिकूल असर पड़ रहा है तो उसे ठीक करने के उपाय किए जाने चाहिए। 

मूसी नदी प्रदूषण के मामले में टीएसपीसीबी ने जारी की अपनी रिपोर्ट

तेलंगाना राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने 15 सितंबर 2020 को एनजीटी के समक्ष अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत कर दी है। इस रिपोर्ट में बोर्ड ने नदी में प्रवाहित हो रही सीवेज के उपचार और उसके मूसी नदी में मिलने से रोकने के लिए उठाए गए कदमों के बारे में जानकारी दी है।

रिपोर्ट में जानकारी दी गई है कि हैदराबाद मेट्रोपॉलिटन वाटर सप्लाई एंड सीवरेज बोर्ड ने मूसी नदी के आसपास मौजूद सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट्स के विषय में स्थिति रिपोर्ट प्रस्तुत की है। साथ ही सीपीसीबी द्वारा दिया सुझावों पर जो काम किया गया है उसकी भी जानकारी दी है। इसके अलावा हैदराबाद मेट्रोपॉलिटन डेवलपमेंट अथॉरिटी (एचएमडीए) के नियंत्रण में जो एसटीपी हैं उनकी क्षमता बढ़ाने के लिए जो कार्रवाई की गई है उसपर भी रिपोर्ट प्रस्तुत की गई है।

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