नायलॉन, सिंथेटिक से बने धागों से नहीं कर सकते पतंगबाजी: एनजीटी

नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल में चल रहे मामलों की सुनवाई का सार

By Susan Chacko, Dayanidhi

On: Monday 10 August 2020
 

नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) द्वारा केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) को निर्देशित किया गया था कि वह एनजीटी के पतंग उड़ाने में उपयोग किए जाने वाले धागे से संबंधित आदेश को लेकर राज्यों / केंद्र शासित प्रदेशों (यूटी) के साथ समन्वय करें। आदेश में कहा गया था कि पतंग उड़ाने के लिए नायलॉन, सिंथेटिक या इससे बने धागों का उपयोग सहित, ऐसा पदार्थ जो बायोडिग्रेडेबल नहीं है उसके इस्तेमाल पर प्रतिबंध लगाया गया है। एनजीटी ने 11 जुलाई, 2017 के अपने आदेश में इसके उपयोग पर रोक लगा दी थी।

ट्रिब्यूनल ने वन्यजीव और मानव स्वास्थ्य पर इसके प्रतिकूल प्रभाव का स्वत: संज्ञान लिया और इस तरह के धागे के निर्माण, बिक्री, भंडारण, खरीद और उपयोग पर प्रतिबंध लगा दिया था। सभी राज्यों के मुख्य सचिवों / संबंधित जिला प्रशासन के माध्यम से इस दिशा निर्देश को लागू करने को कहा गया था।

ट्रिब्यूनल ने सीपीसीबी से अनुपालन की स्थिति के बारे में रिपोर्ट मांगी थी। तदनुसार, सीपीसीबी ने 4 अगस्त को अपनी रिपोर्ट सौंपी जिसमें कहा गया है कि असम, झारखंड, केरल, मणिपुर, तमिलनाडु और केंद्र शासित प्रदेशों - दमन दीव और दादर नागर हवेली को छोड़कर सभी राज्यों ने इसके अनुपालन के बारे में सूचित किया।

सीपीसीबी द्वारा राज्य बोर्डों और स्थानीय निकायों को जमीनी स्तर पर अनुपालन की निगरानी जारी रखने के लिए निर्देश दिए हैं। 

एनजीटी ने संजय झील में पेड़ों की जड़ों के आसपास कंक्रीट बिछाने संबंधी आरोप के मामले में डीडीए को रिपोर्ट प्रस्तुत करने का दिया निर्देश

नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने 7 अगस्त को दिल्ली विकास प्राधिकरण (डीडीए) को मयूर विहार के पास, संजय झील पार्क में पेड़ों की जड़ों के आसपास कंक्रीट बिछाने संबंधी आरोप के मामले में, एक महीने के अंदर रिपोर्ट प्रस्तुत करने का निर्देश दिया।

14 जनवरी को, अदालत ने डीडीए और दिल्ली पर्यटन और परिवहन विकास निगम (डीटीटीडीसी) को संजय झील पार्क में प्रदूषण फैलाने, पार्क में पेड़ों के चारों ओर कंक्रीट बिछाने के मामले में कार्रवाई रिपोर्ट प्रस्तुत करने का निर्देश दिया था।

डीडीए द्वारा इस पर अदालत को कोई रिपोर्ट नहीं सौंपी गई। डीटीटीडीसी द्वारा रिपोर्ट के माध्यम से अदालत को सूचित किया गया कि झील में नावों को चलाने से कोई प्रदूषण नहीं हो रहा है।

डीपीसीसी द्वारा भूजल को अवैध तरीके से निकालने और इसकी बिक्री से संबंधित कार्रवाई की रिपोर्ट पर एनजीटी ने जताया संतोष

एनजीटी ने दिल्ली जल बोर्ड और दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति (डीपीसीसी) द्वारा यमुना जैव विविधता पार्क के पास, ग्राम जगतपुर में भूजल को अवैध तरीके से निकालने और टैंकरों के माध्यम से इसकी बिक्री से संबंधित कार्रवाई की रिपोर्ट पर संतोष व्यक्त किया। 

दिल्ली जल बोर्ड द्वारा 18 दिसंबर, 2019 को और डीपीसीसी द्वारा 14 जनवरी को एक रिपोर्ट सौंपी गई, इसके बाद 30 जुलाई को एक और रिपोर्ट सौंपी गई। ट्रिब्यूनल को सूचित किया गया कि उपचारात्मक कार्रवाई की गई और इसके मद्देनजर एनजीटी में दायर याचिका का निपटारा किया गया।

कचरा प्रबंधन सही से होने के कारण प्रदूषण फैलने पर एनजीटी ने एक महीने के अंदर रिपोर्ट प्रस्तुत करने का दिया निर्देश

हिमाचल प्रदेश के हमीरपुर नगर परिषद ने दुगनेरी गांव में कचरे के कुप्रबंधन के आरोप पर एनजीटी के समक्ष अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत की

एनजीटी में वायु प्रदूषण के उल्लंघन (प्रदूषण की रोकथाम और प्रदूषण पर नियंत्रण) अधिनियम, 1981 और जल (प्रदूषण पर रोकथाम और नियंत्रण) अधिनियम, 1974 के तहत शिकायत दर्ज की गई थी। शिकायत  में कहा गया था कि ग्राम डुगनेरी, जिला हमीरपुर में कचरे का सही से प्रबंधन नहीं हो रहा है। कचरा जलाया जा रहा है, जिससे वायु प्रदूषण हो रहा है, जिसके परिणामस्वरूप बीमारियां और पशुधन की हानि हो रही है।

कचरा जलाने से जंगल में आग लगने की घटनाएं हो रही हैं जिससे वनों और वन्य जीवों की हानि हो रही है। कचरे के जमा होने से पहाड़ी इलाके में बंदरों, जंगली कुत्तों और अवशेष खाने वाले जीवों की आबादी में वृद्धि हुई है, जैसे कि कौवे, गिद्ध, आदि। कचरे का ढेर लगातार बढ़ रहा है जिससे पानी का स्रोत जो सिंचाई के लिए उपयोग किया जा रहा है वह दूषित हो रहा है। एनजीटी ने उपायुक्त, हमीरपुर, नगर परिषद, हमीरपुर और हिमाचल प्रदेश राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को मामले पर एक महीने के अंदर एक रिपोर्ट प्रस्तुत करने का निर्देश दिया था।

हमीरपुर नगर परिषद ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि उसने ठोस अपशिष्ट प्रबंधन नियम, 2016 या पर्यावरण संरक्षण अधिनियम, 1986 के तहत निर्धारित मानदंडों में से किसी का भी उल्लंघन नहीं किया है। जबकि आरोपों में कहा गया है कि मौजूदा सॉलिड वेस्ट ट्रीटमेंट प्लांट के कारण, कचरे को खुले में फेंक दिया गया था, जिसके परिणामस्वरूप मक्खियां, कौवे, चील, कुत्ते और बंदर कचरे के चारों ओर मंडराने लगे हैं।

नगरपालिका परिषद ने इस आरोप का खंडन किया है कि सॉलिड वेस्ट ट्रीटमेंट प्लांट (एसडब्ल्यूटीपी) में डंप किए गए कचरे को प्रतिदिन जलाया जा रहा है और गांव में धुआं फैल रहा है। रिपोर्ट में कहा गया है कि एसडब्ल्यूटीपी में आग लगने की लगातार कोई घटना नहीं हुई है और एसडब्ल्यूटीपी में अपशिष्ट हाथली खाद जल निकाय के साथ नहीं मिल रहा है।

रिपोर्ट में कहा गया है कि सॉलिड वेस्ट ट्रीटमेंट प्लांट (एसडब्ल्यूटीपी) में व्यापक वायु निगरानी हिमाचल प्रदेश राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (एचपीएसएससीबी) द्वारा 1 अक्टूबर, 2019 को आयोजित की गई थी। विश्लेषण के परिणाम निर्धारित सीमा के भीतर पाए गए थे। रिपोर्ट में कहा गया है कि एचपीएसएससीबी नियमित रूप से पानी की गुणवत्ता की निगरानी कर रहा है, जो कि मानको के तहत पाया गया। 

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