दिल्ली में काम नहीं कर रहे हैं सीवेट ट्रीटमेंट प्लांट, एनजीटी ने मांगी रिपोर्ट

एनजीटी ने उत्तर प्रदेश के अंबेडकर नगर में अवैध रेत खनन की रिपोर्ट मांगी

By Susan Chacko

On: Tuesday 27 February 2024
 
फाइल फोटो: सीएसई

नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने 23 फरवरी, 2024 को केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) को दिल्ली में सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट्स (एसटीपी) पर एक रिपोर्ट प्रस्तुत करने का निर्देश दिया है। एनजीटी ने कहा है कि प्रत्येक एसटीपी द्वारा किए जा रहे ट्रीटमेंट की जानकारी देनी होगी। साथ ही, यह भी बताना होगा कि दिल्ली में कुल कितना सीवेज निकलता है।

इतना ही नहीं, अधिकारियों को यह भी बताना होगा कि कितने समय के भीतर सीवेज का ट्रीटमेंट कर दिया जाएगा। एनजीटी ने दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति (डीपीसीसी), केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी), दिल्ली जल बोर्ड (डीजेबी), राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन (एनएमसीजी) और केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय को नोटिस जारी करने का निर्देश दिया।

एनजीटी ने अधिकारियों को सुनवाई की अगली तारीख 3 मई, 2024 से कम से कम एक सप्ताह पहले अपना जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया।

19 फरवरी 2024 को 'टाइम्स ऑफ इंडिया' में प्रकाशित समाचार "क्यों दिल्ली के 75 प्रतिशत एसटीपी यमुना की बदबू से निपटने में सक्षम नहीं हैं" के आधार पर एनजीटी में याचिका दायर की गई थी। समाचार में कहा गया था कि दिल्ली जल बोर्ड द्वारा यमुना नदी के किनारे स्थापित सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट (एसटीपी) मानदंडों के अनुसार काम नहीं कर रहे हैं।

लगभग 75 प्रतिशत एसटीपी में कीटाणुनाशक उपकरण नहीं हैं या अपर्याप्त हैं। इसलिए एसटीपी के आउटलेट में कोलीफॉर्म और फीकल कोलीफॉर्म की संख्या बहुत अधिक है।

समाचार में यह भी लिखा गया कि एसटीपी में बैक्टीरिया कीटाणुशोधन जैसे क्लोरीनीकरण, यूवी उपचार या ओजोनेशन की सुविधाएं नहीं हैं। साथ ही, सीवेज के उपचार में 227 मिलियन गैलन रोजाना (एमजीडी) का अंतर है।

अंबेडकर नगर में घाघरा/सरयू में अवैध खनन, एनजीटी ने मांगी रिपोर्ट

उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (यूपीपीसीबी) ने 23 फरवरी, 2024 को एनजीटी को सूचित किया कि वह उत्तर प्रदेश के अंबेडकर नगर जिले में हो रहे अवैध खनन को रोकने के लिए की गई कार्रवाई की रिपोर्ट एक सप्ताह के भीतर दाखिल करेगा।

रिपोर्ट में उन लोगों के खिलाफ की गई कार्रवाई का ब्यौरा होगा, जिन्होंने अनुमति पप्राप्त किए बिना खनन किया है। रिपोर्ट में यह भी खुलासा किया जाएगा कि 2017 में जारी जिला सर्वेक्षण रिपोर्ट (डीएसआर) की समाप्ति के बाद पट्टा धारकों को खनन की अनुमति कैसे दी गई है?

2 फरवरी, 2024 को एनजीटी को दी गई संयुक्त समिति की रिपोर्ट में कहा गया कि पट्टा धारकों द्वारा संचालन की सहमति (सीटीओ) और स्थापना की सहमति (सीटीई) प्राप्त किए बिना विभिन्न स्थानों पर खनन गतिविधि की गई है। यह खनन घाघरा/सरयू नदी पर किया गया।

एनजीटी ने पाया कि यद्यपि पट्टा धारकों ने सीटीओ प्राप्त किए बिना खनन किया है और अनुमत मात्रा के विरुद्ध रेत की मात्रा का उत्खनन किया है, लेकिन रिपोर्ट में उल्लंघनकर्ताओं के खिलाफ उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (यूपीपीसीबी) द्वारा की गई किसी भी कार्रवाई का उल्लेख नहीं है।

संयुक्त समिति ने कई सिफारिशें भी की। उनमें से एक यह है कि जिला प्रशासन को सतत रेत खनन प्रबंधन दिशानिर्देश (एसएसएमजी) और केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के दिशानिर्देशों के अनुसार जिला सर्वेक्षण रिपोर्ट तैयार होने तक कोई नीलामी नोटिस प्रकाशित नहीं करना चाहिए।

दूसरा यह कि मौजूदा परिचालन खनन पट्टे को ईसी और सीटीओ में निर्धारित सभी शर्तों का पालन करना चाहिए। इसके अलावा मौजूदा परिचालन खनन पट्टे को दिशानिर्देश के अनुसार पुनःपूर्ति अध्ययन करना चाहिए।

प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के वकील ने कहा कि अगर सिफारिशें लागू की जाती हैं तो बोर्ड को कोई आपत्ति नहीं है। साथ ही कहा कि अधिकारियों को यह सुनिश्चित करने के लिए निर्देश दिया गया है कि नीलामी नोटिस के प्रकाशन से पहले संबंधित जिला अधिकारियों और खनन पट्टा धारकों द्वारा सिफारिशों का विधिवत अनुपालन किया जाए।

हिंडन नदी में बह रहा है किनारे बसी कॉलोनियों का कचरा
एनजीटी ने 23 फरवरी को अधिकारियों को हिंडन नदी के बाढ़ क्षेत्र में स्थित एक आवासीय कॉलोनी पर कार्रवाई रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दिया। इस कॉलोनी में सीवेज नेटवर्क का अभाव है और यहां से निकल रहा मलजल सीधे नदी में प्रवाहित किया जा रहा है।

अधिकारियों को इसके लिए चार सप्ताह का समय दिया गया है और मामले की अगली सुनवाई 6 मई, 2024 को होगी।

उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (यूपीपीसीबी) की ओर से जवाब दाखिल कर खुलासा किया गया है कि संयुक्त समिति ने निरीक्षण किया था और "शिवम एन्क्लेव कॉलोनी, पुराना हैबतपुर हिंडन नदी के बाढ़ योजना क्षेत्र में स्थित है"।

यह कॉलोनी गौतमबुद्ध नगर में हिंडन नदी के किनारे स्थित अन्य अनियोजित आवासीय क्षेत्रों की तरह विकसित की गई है। इसके अलावा उस क्षेत्र में कोई सीवरेज नेटवर्क नहीं है और कॉलोनी से निकलने वाला सीवेज सीधे हिंडन नदी में छोड़ा जा रहा है।

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