मेघालय में ठोस और तरल कचरे के प्रबंधन के लिए उठाए कई कदम

यहां पढ़िए पर्यावरण सम्बन्धी मामलों के विषय में अदालती आदेशों का सार

By Susan Chacko, Lalit Maurya

On: Friday 23 June 2023
 

मेघालय में ठोस और तरल कचरे के प्रबंधन में सुधार के लिए कई कदम उठाए हैं। यह जानकारी 16 जून, 2023 को मेघालय द्वारा नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) के समक्ष दायर प्रगति रिपोर्ट में दी गई है। इस रिपोर्ट में पिछले छह महीनों के दौरान हुई प्रगति का लेखा जोखा दिया गया है।

रिपोर्ट के अनुसार राज्य में ठोस और तरल अपशिष्ट के प्रबंधन से संबंधित खर्चों को कवर करने और उसके लिए आवश्यक धन जुटाने के लिए हर संभव प्रयास किए गए हैं। गौरतलब है कि 22 दिसंबर 2022 को नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने इस मामले में मेघालय के लिए आदेश जारी किया था।

प्राप्त जानकारी के मुताबिक 22 दिसंबर, 2022 से अब तक इसके लिए एकत्र और खर्च की गई कुल राशि 119.96 लाख रुपए है। जो मेघालय के ग्रामीण क्षेत्रों में ठोस और तरल कचरे के प्रबंधन के लिए रिंग फेंस्ड खाते में जमा की गई 16 करोड़ रुपए की राशि के अतिरिक्त है।

जानकारी मिली है कि स्वच्छ भारत मिशन 2.0 के तहत राज्य सरकार द्वारा कचरे के संग्रहण, पृथक्करण और प्रसंस्करण संबंधी सुविधाओं की स्थापना और मौजूदा सुविधाओं को उन्नत और बेहतर बनाने के लिए एक विस्तृत कार्य योजना तैयार की है। साथ ही फण्ड की मंजूरी के लिए अपेक्षित प्रस्ताव प्रस्तुत किया गया है।

नगरपालिका कस्बों में ठोस कचरे के प्रबंधन के लिए किए जा रहें अपने प्रयासों के तहत विशेष रूप से 'वेस्ट टू एनर्जी' प्रौद्योगिकी के नए रूपों की खोज कर रहा है। वहीं जहां तक बरसों से जमा कचरे के प्रबंधन का सवाल है, इसके लिए एनईआईएसआईसीएस द्वारा डीपीआर तैयार करने के लिए मंजूरी दे दी गई है। इसके बाद शिलांग नगर बोर्ड एक विस्तृत परियोजना रिपोर्ट तैयार कर रहा है।

एनजीटी ने कटक में वन्यजीव अभयारण्य के पास चल रहे इथेनॉल प्लांट के दिए जांच के आदेश

एनजीटी ने पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय (एमओईएफ एंड सीसी) को कटक में चल रही एक ग्रीनफील्ड परियोजना की जांच के निर्देश दिए हैं। यह परियोजना कटक के बनाना गांव में है। कोर्ट ने जिस परियोजना की जांच के निर्देश दिए हैं उनमें एक अनाज आधारित इथेनॉल संयंत्र और एक बिजली संयंत्र शामिल है। यह परियोजना कटक एग्रीवेट प्राइवेट लिमिटेड द्वारा चलाई जा रही है।

एनजीटी ने इस परियोजना पर चिंता जताई है क्योंकि यह परियोजना वन्यजीव अभयारण्य के पांच किलोमीटर के दायरे में स्थित है। साथ ही कोर्ट ने इस मामले में पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय से इस मामले में यदि जरूरी हो तो उचित कार्रवाई करने का भी निर्देश दिया है। गौरतलब है कि इस परियोजना को चार मार्च, 2022 को एमओईएफ एंड सीसी द्वारा पर्यावरणीय मंजूरी (ईसी) दी गई थी। इस मंजूरी के मुताबिक यह परियोजना चंदका-दम्पारा वन्यजीव अभयारण्य के 2.2 किमी के भीतर स्थित है।

कोर्ट ने यह भी निर्देश दिया है कि चूंकि संयंत्र को जीरो लिक्विड डिस्चार्ज (जेडएलडी) प्रणाली लागू करने की आवश्यकता है, ऐसे में इस प्रक्रिया के दौरान मिलने वाले पानी का मैन्युफैक्चरिंग प्रक्रिया में पुन: उपयोग किया जाना जरूरी है।

मथुरा में नियमों को ताक पर रख चल रहे ईंट भट्ठे को जांच समिति ने किया बंद

उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (यूपीपीसीबी) और मथुरा जिला मजिस्ट्रेट के एक संयुक्त जांच दल ने मथुरा के ऐंच गांव में चल रहे ईंट भट्ठे को बंद कर दिया है। यह ईंट भट्ठा मेसर्स परी ब्रिक्स उद्योग के नाम से चल रहा था। 14 जून 2023 को एक संयुक्त जांच दल ने इन ईंट भट्ठों का दौरा किया था। निरीक्षण के समय ऐंच में मैसर्स परी ब्रिक्स उद्योग के नाम से स्थापित ईंट भट्ठे को चलते हुए पाया गया था।

जांच में टीम ने पाया कि ईंट भट्ठे ने लगाए जाने के लिए सहमति (सीटीई) तो प्राप्त कर ली है। लेकिन यह भट्ठा नियमों के अनुरूप नहीं पाया गया। ऐसे में दल ने परी ब्रिक्स उद्योग को बंद करने का आदेश जारी कर दिया है।

संयुक्त दल ने ईंट भट्ठे पर पानी डालकर उसे बंद करा दिया गया है और उसपर सील लगा दी है। इस पर क्या जुर्माना लगाया जाए और क्या कानूनी कार्रवाई की जाए इस सम्बन्ध में उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के लखनऊ स्थित मुख्यालय को रिपोर्ट भेज दी गई है।

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