नियमों का पालन करें हौज रानी में काम करने वाले स्क्रैप डीलर, अधिकारियों को करना चाहिए सुनिश्चित: एनजीटी

शिकायत में कहा गया है कि प्लास्टिक, पॉलिथीन बैग और बिजली के तार जलाए जाते हैं, जिससे जहरीली गैसें निकलती हैं और वायु प्रदूषण होता है

By Susan Chacko, Lalit Maurya

On: Thursday 21 December 2023
 

नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने 20 दिसंबर 2023 को कहा, है कि अधिकारियों को यह सुनिश्चित करने की जरूरत है कि दिल्ली के हौज रानी गांव में काम करने वाले स्क्रैप डीलर नियमों का पालन करें। साथ ही यह भी जरूरी है कि स्क्रैप डीलर उचित प्राधिकरण के साथ काम करें और सुरक्षा नियमों का पालन करें।

इसके अलावा, यह भी सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि वहां मौजूद पेड़ों और ग्रीन बेल्ट को किसी तरह का नुकसान नहीं होना चाहिए। साथ ही पर्यावरण को भी किसी तरह की क्षति न हो। कोर्ट ने अपने आदेश में यह भी कहा है कि अधिकारियों को कानून को ध्यान में रखते हुए पर्यावरण की बहाली के लिए कार्रवाई करनी चाहिए।

पूरा मामला दिल्ली के साकेत स्थित मैक्स हॉस्पिटल के पास मौजूद कब्रिस्तान के पीछे की जमीन पर कब्जे से जुड़ा है। इस ग्रीन बेल्ट से नीम, बबूल और पीपल जैसे पेड़ों को अवैध रूप से काट दिया गया है, और वहां लोग स्क्रैप मैटेरियल को जमा कर रहे हैं।

शिकायत में आगे कहा गया है कि प्लास्टिक, पॉलिथीन बैग और बिजली के तार जलाए जाते हैं, जिससे जहरीली गैसें निकलती हैं और वायु प्रदूषण होता है।

उपलब्ध जानकारी के आधार पर अदालत ने कहा है कि संबंधित जमीन दिल्ली के हौज रानी गांव के खसरा नंबर 197 (5-11) और 198 (2-10) में स्थित है। हौज रानी गांव में कदीम जरी मुस्लिम ईदगाह के पीछे, कुछ झुग्गियां मौजूद थी।

वहीं जमीन पर होते अतिक्रमण के संबंध में अदालत ने कहा है कि भूमि अतिक्रमण के कानूनी पहलुओं से संबंधित मामले ट्रिब्यूनल के अधिकार क्षेत्र में नहीं आते। अतिक्रमण हटाने की उचित कार्रवाई संबंधित अधिकारियों की जिम्मेवारी है, और अदालत इस संबंध में हस्तक्षेप की कोई आवश्यकता नहीं समझती।

वहां कुछ स्क्रैप मैटेरियल की दुकानें देखी गईं हैं, जो झुग्गियों में रहने वाले लोगों द्वारा चलाई जा रही थी। इतना ही नहीं जमीन में प्लास्टिक, पॉलिथीन बैग और अन्य डंप सामग्री भी फेंकी हुई पाई गई थी।

वहीं संयुक्त समिति द्वारा सौंपी रिपोर्ट और डीडीए द्वारा इस साइट के निरीक्षण के बाद सबमिट रिपोर्ट से पता चला है कि वहां प्राकृतिक रूप से गिरे हुए पेड़ पाए गए  हैं, हालांकि इन पेड़ों को अतिक्रमणकारियों द्वारा जानबूझकर काटे जाने या गिराए जाने का कोई सबूत नहीं मिला है।

न ही संयुक्त समिति ने प्लास्टिक, पॉलिथीन बैग या बिजली के तारों को जलाते हुए देखा है। हालांकि अनधिकृत अतिक्रमण होने की बात को स्वीकार किया गया है।

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