पेड़ों की कटाई से कम उद्योगों से अधिक होता है कार्बन उत्सर्जन, नए अध्ययन में दावा

एक नए अध्ययन में पिछले अध्ययनों को गलत बताते हुए कहा गया है कि पेड़ों की कटाई से 27 फीसदी नहीं, बल्कि केवल 7 फीसदी कार्बन उत्सर्जन होता है, जबकि ऊर्जा व उद्योगों से उत्सर्जन अधिक होता है

By Dayanidhi

On: Wednesday 06 November 2019
 
Photo: Vikas Choudhary

अब तक हुए अलग-अलग अध्ययनों में कहा गया था कि पेड़ कटने से वातावरण में लगभग 27 फीसदी कार्बन उत्सर्जन होता है, लेकिन एक नए अध्ययन में एक चौंकाने वाला तथ्य सामने आया है। इस अध्ययन में दावा किया गया है कि पेड़ों के कटने से केवल 7 फीसदी ही कार्बन उत्सर्जन होता है। यह अध्ययन फारेस्ट इकोनॉमिक्स पत्रिका में प्रकाशित हुआ है।

ओहियो स्टेट यूनिवर्सिटी और येल यूनिवर्सिटी, अमेरिका के शोधकर्ताओं की अगुवाई में किए गए अध्ययन में कहा गया है कि लकड़ी और खेती के लिए वनों की कटाई उन्नीसवीं शताब्दी से की जा रही है, जिसके कारण वातावरण में लगभग 9200 करोड़ (92 बिलियन) टन कार्बन का उत्सर्जन हुआ है।

ओहियो स्टेट के पर्यावरण और संसाधन, अर्थशास्त्र के प्रोफेसर ब्रेंट सोहंगेन ने कहा कि हमारे पिछले अनुमानों के अनुसार, वनों की कटाई से 48400 करोड़ (484 बिलियन) टन कार्बन का उत्सर्जन हुआ है। जोकि 19वीं शताब्दी से मानव निर्मित सभी तरह के उत्सर्जनों का एक तिहाई हिस्सा है।

प्रोफेसर सोहंगेन ने कहा कि अब तक जो अध्ययन हुए हैं, उनमें नए पेड़ों और वन प्रबंधन तकनीकों को ध्यान में नहीं रखा गया, लेकिन अब जो नया अध्ययन किया गया है, उसमें उपयोग किए गए मॉडल में इन दोनों तथ्यों को ध्यान में रखा गया है।

उन्होंने कहा कि जलवायु परिवर्तन के लिए वानिकी, भूमि उपयोग तथा भूमि उपयोग पैटर्न में बदलाव को सबसे बड़ा दोषी ठहराया गया है, लेकिन ऐसा नहीं है। जलवायु परिवर्तन के लिए ऊर्जा और औद्योगिकीकरण ज्यादा दोषी है, क्योंकि इनसे 1300 बिलियन टन कार्बन टन उत्सर्जन हुआ है। इसलिए हमें उद्योगों से होने वाले कार्बन उत्सर्जन को कम करने के प्रयास पर अधिक ध्यान देना चाहिए।

वहीं, अध्ययनकर्ता मेंडेलसोहन का कहना है कि जलवायु परिवर्तन को कम करने के प्रयासों में जंगल महत्वपूर्ण हैं। वर्तमान में जंगल जितना अधिक कार्बन संग्रह करते है, उससे अधिक करने के लिए दुनिया के जंगलों को और अधिक बढ़ाया जा सकता है। इन जंगलों को बढ़ाने के लिए उष्णकटिबंधीय जंगलों को संग्रहित किया जा सकता है, जिन्हें काटने पर रोक लगाई जा सकती है।

सोहंगेन ने यह भी बताया कि पर्यावरण संरक्षण के काम में वनों की अनदेखी नहीं की जानी चाहिए, उन्होंने यह भी सुझाव दिया कि विश्व स्तर पर सरकारों को वन प्रबंधन को बढ़ावा देने के लिए और अधिक प्रोत्साहन देना चाहिए। लंबे समय में, वनों का बायो-एनर्जी के स्रोत के रूप में भी उपयोग किया जा सकता था। जंगल प्रभावी रूप से कार्बन को वायुमंडल से सोख सकते हैं और दुनिया को लंबे समय तक तापमान को सीमित करने के लक्ष्य को पाने में मदद कर सकते हैं।

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