दुनिया भर में तेजी से गिर रहा है भूजल, 71 प्रतिशत जलभृतों के भूजल में आई भारी गिरावट: शोध

शोधकर्ताओं ने बताया कि 1980 और 90 के दशक में भूजल में गिरावट वाले 16 प्रतिशत जलभृत प्रणालियों में जल स्तर ठीक हो गया है

By Dayanidhi

On: Monday 29 January 2024
 

भूजल दुनिया भर के कई घरों, खेतों, उद्योगों और शहरों के लिए पानी का मुख्य स्रोत है। पानी की अंधाधुंध निकासी और जलवायु में बदलाव के कारण भूजल स्तर गिर रहा है, जिससे पानी की कमी के आसार बढ़ गए हैं।

कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय, सांता बारबरा (यूसी सांता बारबरा) के शोधकर्ताओं ने दुनिया भर में भूजल स्तर का सबसे बड़ा आकलन किया है, जो लगभग 1,700 जल निकायों तक फैला हुआ है। नेचर नामक पत्रिका में प्रकाशित अध्ययन से पता चला है कि दुनिया भर में भूजल तेजी से घट रहा है

घटते जल संसाधनों पर चिंता जताने के अलावा यह शोध इस बात पर भी प्रकाश डालता है कि भूजल की कमी को कैसे दूर किया जा सकता है। यह अध्ययन दुनिया भर में भूजल में हो रहे बदलाव को समझने के लिए काम कर रहे वैज्ञानिकों, नीति निर्माताओं और संसाधन प्रबंधकों के लिए एक महत्वपूर्ण है।

यूसी सांता बारबरा के पर्यावरण अध्ययन कार्यक्रम में एसोसिएट प्रोफेसर और प्रमुख अध्ययनकर्ता डेबरा पेरोन ने कहा, हम लाखों भूजल स्तर मापों के आधार पर दुनिया भर में भूजल की स्थिति को बेहतर ढंग से समझना चाहते थे।

टीम ने राष्ट्रीय और उपराष्ट्रीय रिकॉर्ड और अन्य एजेंसियों से आंकड़ों को संकलित किया। अध्ययनकर्ता ने बताया कि इस अध्ययन में तीन साल का समय लगा, जिनमें से दो साल केवल आंकड़ों में सुधार करने और उनको छांटने में बीते। पिछले 100 वर्षों में 15 लाख कुओं से 30 करोड़ जल स्तर की मापों को समझने के लिए यह जरूरी था।

इसके बाद दुनिया भर के भूजल रुझानों के विशाल आंकड़ों को वास्तविकता में बदलने का काम किया गया। इसके बाद शोधकर्ताओं ने जांच किए गए क्षेत्रों में जलभृत सीमाओं के पुनर्निर्माण और 1,693 जलभृतों में भूजल स्तर के रुझानों का मूल्यांकन करने के लिए 1,200 से अधिक प्रकाशनों का अध्ययन किया।

अध्ययनकर्ता ने बताया, उनके निष्कर्ष दुनिया भर में भूजल स्तर का अब तक का सबसे व्यापक विश्लेषण प्रदान करते हैं और भूजल की भारी कमी को उजागर करते हैं।

आंकड़ों के विश्लेषण से पता चला कि 71 प्रतिशत जलभृतों में भूजल में गिरावट आ रही है। यह कमी कई स्थानों पर तेज हो रही है 1980 और 90 के दशक में भूजल में गिरावट की दर 2000 से वर्तमान तक तेज हो गई है, जो इस बात पर प्रकाश डालता है कि कैसे एक समस्या और भी बदतर हो गई है। तेजी से गिरावट लगभग तीन गुना अधिक स्थानों पर हो रही है।

विश्वविद्यालय के ब्रेन स्कूल ऑफ एनवायर्नमेंटल साइंस एंड में एसोसिएट प्रोफेसर, सह-प्रमुख अध्ययनकर्ता स्कॉट जसेचको ने कहा, शुष्क जलवायु में भूजल का गहरा होना अधिक आम है, विशेष रूप से खेती के तहत शुष्क और अर्ध-शुष्क भूमि में तेजी से गिरावट होती है। लेकिन किसी चीज का सहज होना एक बात है, यह दिखाना बिल्कुल दूसरी बात है कि यह वास्तविक दुनिया के आंकड़ों के साथ हो रहा है।

उन्होंने कहा दूसरी ओर, ऐसे स्थान भी हैं जहां जल स्तर स्थिर हो गया है या ठीक हो गया है। 1980 और 90 के दशक में भूजल में गिरावट वाले 16 प्रतिशत  जलभृत प्रणालियों में जल स्तर ठीक हो गया है, जिसके अध्ययनकर्तओं के पास ऐतिहासिक आंकड़े थे। हालांकि, ये मामले संयोग से होने वाली अपेक्षा से केवल आधे ही सामान्य हैं।

जसेचको ने कहा, इस अध्ययन से पता चलता है कि यह लोग चाहें तो कई तरह के प्रयासों से चीजों को बदल सकते हैं।

उदाहरण के लिए टक्सन, एरिजोना को लें। कोलोराडो नदी से आवंटित पानी का उपयोग पास की अव्रा घाटी में जलभृत को फिर से भरने के लिए किया जाता है। परियोजना भविष्य में उपयोग के लिए पानी का भंडारण करती है। जसेचको ने बताया, भूजल को अक्सर पानी के बैंक खाते के रूप में देखा जाता है। जलभृतों को फिर से भरने से हमें जरूरत के समय तक उस पानी को संग्रहित करने में मदद मिलती है।

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