पर्यावरण मुकदमों की डायरी: एनजीटी ने कुडलू चिक्काकेरे झील बचाने के आदेश दिए

यहां पढ़िए पर्यावरण सम्बन्धी मामलों के विषय में अदालती आदेशों का सार

By Susan Chacko, Lalit Maurya

On: Friday 03 July 2020
 

नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने कुडलू चिक्काकेरे झील को बचाने के लिए 1 जुलाई, 2020 को एक आदेश जारी किया है| जिसमें ब्रुहत बेंगलुरु महानगरपालिक (बीबीएमपी) के कमिश्नर को निर्देश दिया गया है कि वो इस झील के बफर ज़ोन में हो रहे अवैध निर्माणों को हटाने के लिए तुरंत कार्रवाई करे। यह झील कर्नाटक के दक्षिण बैंगलोर में स्थित है|

इसके  साथ ही एनजीटी ने पर्यावरण को पहुंचे नुकसान के लिए हर्जाने निर्धारित करने और नियत प्रक्रिया का पालन करते हुए मानदंडों के आधार पर उसको वसूलने का आदेश दिया है| गौरतलब है कि 12 जून 2020 को कर्नाटक राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (केएसपीसीबी) ने कुडलू चिक्काकेरे झील पर अपनी निरीक्षण रिपोर्ट एनजीटी के समक्ष प्रस्तुत की थी|  

केएसपीसीबी ने एनजीटी को जानकारी दी थी कि इस मामले में बीबीएमपी को निर्देश दिए गए थे कि वो कुडलू चिक्काकेरे झील के बफर क्षेत्र में हो रहे अवैध निर्माणों के खिलाफ कार्रवाई करे। साथ ही झील में सीवेज के प्रवेश को रोकने के लिए सभी प्रमुख स्थानों पर बेरिकेड लगाए। जब केएसपीसीबी द्वारा इस झील का निरीक्षण किया गया था तो उस समय यह पानी से भरी हुई पाई गई थी। इस झील का रखरखाव बीबीएमपी के लेक डिवीजन द्वारा किया जा रहा है। इससे पहले 4 फरवरी, 2020 को किये गए निरिक्षण में भी झील के पानी में वृद्धि देखी गई थी।

इस रिपोर्ट के अनुसार बीबीएमपी ने तीन स्थानों पर रोक लगाकर सीवेज को झील के पानी में जाने से रोक दिया है। साथ ही रिपोर्ट में यह भी जानकारी दी गई है कि झील की ओर जा रहे सीवेज को रोककर अब नवनिर्मित सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट में भेज दिया गया है। इस प्लांट को झील के किनारे ही बनाया गया है। जिसकी क्षमता 500 केएलडी की है। निरिक्षण के समय यह प्लांट पूरी तरह से काम कर रहा था। और इसके द्वारा उपचारित सीवेज को झील में डाला जा रहा था।

रिपोर्ट में इस बात की भी जानकारी दी गई है कि अब इस झील में कचरा नहीं डाला जा रहा। और नगर निगम ने कुडलू चिक्काकेरे झील के बफर क्षेत्र में अवैध तरीके से किये जा रहे निर्माण और परियोजनाओं की पहचान कर ली है।


एनटीसीए ने जानवरों को सड़क हादसों से बचाने के लिए जारी की कार्य योजना

राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (एनटीसीए) ने अपनी संशोधित कार्य योजना प्रस्तुत की है| जो तीन वर्षों की अवधि के लिए है| इस योजना का उद्देश्य महाराष्ट्र में पर्यावरण और वन्य जीवन को बचाना है| इस योजना के अंतर्गत महाराष्ट्र में टाइगर कॉरिडोर के रास्तों पर उन सभी उपायों को करना है जिससे जानवरों को सड़क हादसों से बचाया जा सके|

इसपर एनटीसीए और पर्यावरण मंत्रालय ने एक संयुक्त रिपोर्ट प्रस्तुत की है| जिसमें वन्य जीवो को बचाने के लिए संरचनात्मक और गैर-संरचनात्मक उपायों को किया जाना है| जिसके अंतर्गत यातायात के लिए नियम बनाना, वाहनों की गति को कम करने के उपाय करना, साइनबोर्ड के माध्यम से जानवरों की उपस्थिति को बताना, सड़क के उन हिस्सों की निगरानी करना जहां हादसे होने की सम्भावना ज्यादा है| इसके साथ ही रास्तों का उचित प्रबंधन करना शामिल है| इस रिपोर्ट को 3 जुलाई 2020 को एनजीटी की वेबसाइट पर अपलोड किया गया है।

गौरतलब है कि टाइम्स ऑफ़ इंडिया में विजय पिनारकर ने एक न्यूज़ डाली थी, जिसमें जिक्र किया गया था कि महाराष्ट्र में जो नई सड़क परियोजना शुरू की जा रही है वो टाइगर कॉरिडोर को बीच में से काट देगी| इसी को आधार बनाकर एनजीटी में एक अर्जी दाखिल की गई थी| जिस पर जवाब मांगा गया था| जिसमें कहा गया था कि राज्य और सड़क परिवहन मंत्रालय द्वारा शुरू की गई नई सड़क परियोजनाओं के चलते टाइगर कॉरिडोर्स में रूकावट पैदा हो सकती है| 


वागेश्वरीवाड़ी में पेड़ों की अवैध कटाई का मामला

2 जुलाई 2020 को एनजीटी ने पेड़ों की अवैध कटाई पर तलब की गई रिपोर्ट में हो रही देरी पर नाराजगी जताई है| यह मामला महाराष्ट्र के वागेश्वरीवाड़ी, महसूलगांव से जुड़ा है| जहां वेंगुरला उभाडांडा लाइंसेश्वर देवस्थान (मंदिर ट्रस्ट) द्वारा अवैध रूप से सुरू के 490 पेड़ों को काटा गया था|

इस रिपोर्ट को प्रधान मुख्य वन संरक्षक द्वारा प्रस्तुत किया जाना था|  अदालत ने निर्देश दिया कि इस रिपोर्ट को 8 सितंबर से पहले प्रस्तुत करना होगा| यदि प्रधान मुख्य वन संरक्षक ऐसी नहीं करेंगे तो एनजीटी पुलिस के माध्यम से वारंट जारी करके उन्हें व्यक्तिगत तौर पर बुला सकती है| 


15 दिसंबर तक अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत करे पीसीसीएफ, दिल्ली: एनजीटी

एनजीटी ने 2 जुलाई को दिल्ली के प्रधान मुख्य वन संरक्षक (पीसीसीएफ) को अपनी रिपोर्ट सबमिट करने का निर्देश दिया है| पीसीसीएफ ने वन विभाग के कर्मचारियों और बुनियादी ढांचे में वृद्धि करने के लिए क्या कदम उठाये हैं, उस पर अपनी रिपोर्ट एनजीटी में प्रस्तुत करनी है | कोर्ट ने उन्हें रिपोर्ट प्रस्तुत करने के लिए 15 दिसंबर तक का वक्त दिया है|

गौरतलब है कि दिल्ली के प्रधान मुख्य वन संरक्षक ने एनजीटी के आदेश पर एक रिपोर्ट प्रस्तुत की थी| जिस पर आवेदक - आदित्य एन प्रसाद ने आपत्ति की थी| इसी के आधार पर एनजीटी ने जवाब तलब किया है| अपनी रिपोर्ट में पीसीसीएफ ने बताया था कि उन्होंने इस दिशा में कुछ कदम उठाए थे, लेकिन लॉकडाउन के चलते आगे के कदमों में देरी हुई थी। 

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