सीबीडी कॉप-15: सबसे कम संरक्षित मूंगे की गहरी चट्टानों की रक्षा करने की तत्काल जरूरत

मूंगे की चट्टानें 30 मीटर से नीचे पाई जाती हैं जो जलवायु परिवर्तन के लचीलेपन, समुद्र के स्वास्थ्य और खाद्य सुरक्षा के लिए आवश्यक पारिस्थितिकी तंत्र सेवाएं प्रदान करती हैं

By Dayanidhi

On: Tuesday 13 December 2022
 

जैव विविधता पर कन्वेंशन के पक्षकारों के सम्मेलन की पंद्रहवीं (कॉप 15) बैठक जारी है, जिसमें दुनिया भर के नेता, सरकार के वार्ताकार, वैज्ञानिक और संरक्षणवादी हिस्सा ले रहे हैं। जो सात दिसंबर से शुरू होकर 19 दिसंबर 2022 तक जारी रहेगी, इसमें शामिल लोगों का उद्देश्य प्रकृति को होने वाले नुकसान को रोकने और उसे पहले जैसा रखने में सहमति बनाना है। इसी क्रम में समुद्री वैज्ञानिकों और संरक्षणवादियों की एक अंतरराष्ट्रीय टीम ने मूंगे की गहरी चट्टानों के तत्काल संरक्षण की गुहार लगाई है।

अध्ययन पहली बार इस बात की पुष्टि करता है कि गहरे मूंगे की  चट्टानों का आवास, विशेष रूप से पश्चिमी हिंद महासागर (डब्ल्यूआईओ) है, बड़े पैमाने पर खतरे में होने के कारण ये असुरक्षित हैं। जिसका कारण अत्यधिक मछली पकड़ने, प्रदूषण, जलवायु परिवर्तन और निकट भविष्य में समुद्री खनन शामिल हैं।

वैज्ञानिकों ने कहा कि तापमान को 1.5 डिग्री सेल्सियस पर रखने का लक्ष्य धूमिल हो गया है, भारी मात्रा में सतही मूंगों का नष्ट होना तय है।

गहरी मूंगे की चट्टानें 30 मीटर से नीचे पाई जाती हैं जो जलवायु परिवर्तन के लचीलेपन, समुद्र के स्वास्थ्य और खाद्य सुरक्षा के लिए आवश्यक पारिस्थितिकी तंत्र सेवाएं प्रदान करती हैं। साथ ही व्यावसायिक रूप से महत्वपूर्ण प्रजातियों सहित सतही पानी में संकटग्रस्त जीवों के लिए आवास के रूप में भी काम करती हैं।

इसके बावजूद, गहरी मूंगे की चट्टानें या प्रवाल भित्तियों को बमुश्किल संरक्षित किया जाता है, भले ही उनके सतही समकक्षों की तुलना में उनके पास एक बड़ा भौगोलिक पदचिह्न ही क्यों न हो।

इसके अलावा, गहरे समुद्र में मछली पकड़ने की आधुनिक तकनीकों के साथ मिलकर सतही पानी में मछली की कमी के परिणामस्वरूप तटीय समुदायों द्वारा गहरी चट्टानों का तेजी से शोषण किया जा रहा है, जिन्हें अपनी खाद्य सुरक्षा के लिए मछली की आवश्यकता होती है।

प्रमुख अध्ययनकर्ता डॉ. पेरिस स्टेफानौडिस ने कहा हम 2030 तक वैश्विक महासागर के विशेष रूप से 30 प्रतिशत संरक्षण के वैश्विक लक्ष्यों को पूरा करने और स्थायी प्रबंधन कार्रवाई में शामिल होने के लिए गहरी मूंगे की चट्टानों को प्रोत्साहित करते हैं। डॉ. स्टेफानौडिस, ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय के जीव विज्ञान विभाग में एक समुद्री जीव विज्ञानी हैं। 

उन्होंने कहा मूंगे की गहरी चट्टानें एक स्वस्थ समुद्री पारिस्थितिकी तंत्र के लिए महत्वपूर्ण हैं और अति-संकटग्रस्त उथले चट्टान प्रणाली द्वारा सामना किए जाने वाले अत्यधिक प्रदूषण और जलवायु परिवर्तन से समान खतरों का सामना करती हैं।

दुनिया भर के महासागरों के 8 प्रतिशत से अधिक को कवर करने वाला, पश्चिमी हिंद महासागर की जानकारी सबसे कम है। यह कम संरक्षित और सबसे अधिक खतरे वाले समुद्री क्षेत्रों में से एक है। डब्ल्यूआईओ की सतही और गहरी मूंगे की चट्टानें समुद्री जैव विविधता का हॉटस्पॉट हैं जिनमें बड़ी संख्या में प्रजातियां पाई जाती हैं जो पृथ्वी पर कहीं और नहीं पाई जाती हैं।

समुद्र तट के 100 किमी के दायरे में रहने वाले क्षेत्र के 10 करोड़ लोगों के लिए आवश्यक हैं, जिनमें 30 लाख से अधिक लोग अपनी आजीविका के लिए सीधे मछली पकड़ने पर निर्भर हैं। इन इलाकों की जनसंख्या के अगले 30 वर्षों में  दोगुनी होने का अनुमान है, जिससे जीवन और आजीविका के लिए समुद्र की जैविक क्षमता पर अधिक दबाव पड़ेगा।

वैज्ञानिक टीम ने क्षेत्रीय नीति-निर्माताओं, संरक्षणवादियों और वैज्ञानिकों के लिए व्यावहारिक सिफारिशों और विशिष्ट कार्यों सहित मूंगे की गहरी चट्टानों के संरक्षण के लिए एक नया ढांचा विकसित किया है।

शोधकर्ताओं ने नीति निर्माताओं से निम्नलिखित पर सहमत होने का आग्रह किया:

  • 2030 तक 30 प्रतिशत पारिस्थितिकी  तंत्र की सबसे अधिक रक्षा करने की जरूरत है और इस लक्ष्य में मूंगे की गहरी चट्टानों को भी शामिल किया जाना चाहिए।
  • विशेष रूप से मछली पकड़ने के नियमों, समुद्री संरक्षित क्षेत्रों और समुद्री स्थानिक योजना में उन्हें शामिल करके गहरी मूंगे की चट्टानों के पारिस्थितिक तंत्र और उनके संसाधनों का संरक्षण किया जाना चाहिए।
  • गहरी मूंगे की चट्टानों को शामिल करने के लिए सतही  मूंगे की चट्टानों पर वर्तमान प्रबंधन प्रयासों को बढ़ाया जाना चाहिए क्योंकि ये पारिस्थितिक तंत्र अक्सर एक दूसरे से जुड़े होते हैं।
  • गहरी मूंगे की चट्टानों की जैव विविधता, पारिस्थितिकी तंत्र के कामकाज और प्रदान की जाने वाली सेवाओं पर मूलभूत, मौलिक और अनुप्रयुक्त अनुसंधान में निवेश किया जाना चाहिए।
  • राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय समुद्र के गहरे पानी की मूंगों  के सर्वेक्षण और संरक्षण के लिए राष्ट्रीय, अंतर्राष्ट्रीय, अंतर्राष्ट्रीय क्रॉस-स्टेकहोल्डर सहयोग विकसित किया जाना चाहिए।

सह-अध्ययनकर्ता प्रोफेसर लुसी वुडल ने कहा कि प्रकृति के नुकसान को रोकने और उसे बहाल करने के लिए, संयुक्त राष्ट्र जैव विविधता सम्मेलन, कॉप 15 को अनोखे पारिस्थितिक तंत्रों के संरक्षण को प्राथमिकता देनी चाहिए, जैसे कि मूंगे की गहरी चट्टानें, जो पृथ्वी पर सबसे कम संरक्षित पारिस्थितिक तंत्रों में से एक हैं। प्रोफेसर वुडल, ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय में समुद्री जीव विज्ञान के प्रोफेसर और नेकटन में प्रिंसिपल साइंटिस्ट हैं।

उन्होंने कहा हमें उम्मीद है कि हमारी सिफारिशें और कार्य डब्ल्यूआईओ में निर्णय निर्माताओं के लिए उपयोगी होंगे। नई पश्चिमी हिंद महासागर क्षेत्रीय नीति के भीतर लागू होंगे और वैश्विक महासागर में संरक्षित के लिए गहरी मूंगे की चट्टानों के लिए आधार प्रदान करेंगे।

सह-अध्ययनकर्ता अथुर टुडा ने कहा कि एक समृद्ध और लचीला पश्चिमी हिंद महासागर सुनिश्चित करने के लिए, यह आवश्यक है कि मूंगे की गहरी चट्टानों को अब वैज्ञानिकों और नीति निर्माताओं द्वारा अनदेखा नहीं किया जाता है। उन्हें विशेष रूप से संरक्षण और प्रबंधन रणनीतियों में माना जाना चाहिए। यह अध्ययन कंजर्वेशन लेटर्स नामक पत्रिका में प्रकाशित हुआ है।

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