युद्ध क्षेत्र से हजारों किमी दूर भारत में भी जैवविविधता को प्रभवित कर सकता है रूस-यूक्रेन संघर्ष

शोधकर्ताओं ने आशंका जताई है कि यदि रूस और यूक्रेन से होने वाला फसल निर्यात पूरी तरह बंद हो जाता है तो उसकी वजह से जैवविविधता को होने वाला नुकसान बढ़कर साढ़े चार गुना हो जाएगा

By Lalit Maurya

On: Thursday 07 March 2024
 
रूस-यूक्रेन के बीच जारी जंग के यह निशान युद्ध की भयावहता को बयां करने के लिए काफी है; फोटो: आईस्टॉक

कहते हैं कि युद्ध से किसी का भला नहीं होता, इसकी वजह से इसमें शामिल सभी पक्षों को कुछ न कुछ कीमत चुकानी पड़ती है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि मौजूदा समय में रूस-यूक्रेन के बीच चल रहा युद्ध न केवल इन क्षेत्रों में बल्कि इनसे हजारों किलोमीटर दूर मौजूद भारत, अमेरिका, ब्राजील, फ्रांस, स्पेन जैसे देशों में भी जैवविविधता को भारी नुकसान पहुंचा सकता है।

आप सोच रहे होंगें कि जब युद्ध रूस और यूक्रेन के बीच चल रहा है तो उसका असर भारत, अमेरिका और ब्राजील जैसे देशों पर कैसे पड़ेगा। देखा जाए तो यह सब कुछ वैश्विक बाजार की जटिलताओं से जुड़ा है। इनकी वजह से दूर चल रहे युद्ध के भी वैश्विक परिणाम सामने आ सकते हैं। रूस-यूक्रेन के बीच चल रहे युद्ध के मामले में भी कुछ ऐसा ही हो रहा है।

इस बारे में चीन एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी, यूनिवर्सिटी ऑफ लीड्स, तारिम यूनिवर्सिटी और मिशिगन स्टेट यूनिवर्सिटी से जुड़े शोधकर्ताओं ने एक नया अध्ययन किया है, जिसके नतीजे जर्नल नेचर सस्टेनेबिलिटी में प्रकाशित हुए हैं।

इसमें कोई शक नही रूस और यूक्रेन के बीच जारी संघर्ष वैश्विक खाद्य प्रणालियों को प्रभावित कर रहा है। अध्ययन में सामने आया है कि कैसे रूस और यूक्रेन से हो रहे खाद्य निर्यात को प्रतिबंधित करने से अन्य देशों में किसानों पर दबाव बढ़ सकता है। निर्यात में इस कटौती से खाद्य पदार्थों की कमी के चलते अन्य देशों में किसानों को बढ़ती मांग को पूरा करने के लिए अपने कृषि क्षेत्र में विस्तार करना पड़ सकता है। जो जंगलों और प्राकृतिक आवासों के विनाश की वजह बन सकता है।

अपने इस अध्ययन में शोधकर्ताओं ने युद्ध क्षेत्रों से दूर जैव विविधता पर पड़ते प्रभावों को मापने का भी प्रयास किया है। उन्होंने यह भी देखा है कि कैसे युद्ध के विभिन्न परिदृश्यों में कृषि भूमि और जैवविविधता पर कितना असर पड़ेगा। बता दें कि यूक्रेन, विश्व के सबसे बड़े अनाज निर्यातक देशों में से एक है, और यह आम तौर पर हर साल वैश्विक बाजार में साढ़े चार करोड़ टन अनाज की आपूर्ति करता है।

किस हद तक जैवविविधता को प्रभावित करेगी निर्यात में आती गिरावट

इस अध्ययन के जो नतीजे सामने आए हैं, उनके मुताबिक यदि युद्ध के कारण यूक्रेन से हो रहे निर्यात में 33.57 फीसदी की कमी आती है, तो इससे सामान्य परिस्थितियों की तुलना में कृषि भूमि में अतिरिक्त 84.8 लाख हेक्टेयर का विस्तार हो सकता है। शोधकर्ताओं का अनुमान है कि इससे भारत, अमेरिका, स्पेन, फ्रांस और ब्राजील जैसे देशों में जैव विविधता को सबसे अधिक नुकसान होगा।

बता दें कि शोधकर्ताओं ने यूक्रेन से होने वाले अनाज निर्यात में 33.57 फीसदी की गिरावट को अपना आधार माना है। वहीं अनुमान है कि यदि रूस काला सागर अनाज पहल से अपने हाथ खींच लेता है, तो कृषि के लिए भूमि का विस्तार और जैव विविधता को होने वाला नुकसान इस आधार रेखा की तुलना में दोगुना हो जाएगा।

वहीं यदि स्थिति और ज्यादा खराब होती है, जिसकी वजह से रूस और यूक्रेन से होने वाला फसल निर्यात पूरी तरह बंद हो जाता है तो इसकी वजह से कृषि भूमि में होने वाला विस्तार बढ़कर 2.9 गुणा हो जाएगा। वहीं जैवविविधता पर इसके प्रभावों को देखें तो वो भी साढ़े चार गुणा बढ़ जाएगा।

ऐसे में शोधकर्ताओं ने इस बात पर जोर दिया है कि पर्यावरण को होने वाले नुकसान को उजागर किया जाना चाहिए, क्योंकि यह नुकसान आम तौर पर स्थाई और बड़ी तेजी से होता है। एक बार जब प्राकृतिक भू-क्षेत्र कृषि भूमि में बदल जाते हैं तो उनको दोबारा बहाल करने में सदियां नहीं तो कई दशकों का समय लग सकता है। शोधकर्ताओं ने जैव विविधता से समृद्ध क्षेत्रों में कृषि भूमि के तेजी से विस्तार को रोकने के लिए प्रभावी कार्रवाई की सलाह दी है। उनका कहना है कि बेहतर नीतियां कृषि भूमि में तेजी से होते विस्तार को रोकने में मददगार साबित हो सकती हैं। 

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