दुर्लभ वन्यजीवों का पता लगाना हुआ आसान, वैज्ञानिकों ने विकसित किया ईडीएनए

पारिस्थितिकीविदों ने स्तनधारियों के पूरे समुदाय की पहचान करने की एक नई विधि ईजाद की है, जिसमें नदियों, पानी के स्रोत से उनका डीएनए एकत्र किए जा सकते हैं

By Dayanidhi

On: Friday 13 March 2020
 
वैज्ञानिकों ने दुर्लभ जानवरों के बारे में जानकारी एकत्र करने के लिए नया तरीका ईजाद किया है। Photo: wikimedia commons

इंग्लैंड और स्कॉटलैंड के पारिस्थितिकीविदों ने स्तनधारियों के पूरे समुदाय की पहचान करने की एक नई विधि ईजाद की है, जिसमें नदियों, पानी के स्रोत से उनका डीएनए एकत्र करके उनकी पहचान की जा सकती है। नदियों अथवा पानी के स्रोत में पानी पीने या इनको पार करते वक्त जानवरों के डीएनए पानी में छूट जाते है। इस विधि से हाथ न आने वाले और लुप्तप्राय प्रजातियों की पहचान करने और निगरानी करने में आसानी होगी। यह शोध जर्नल ऑफ़ एप्लाइड इकोलॉजी में प्रकाशित हुआ है।

मैसाचुसेट्स एमहर्स्ट विश्वविद्यालय में पर्यावरण संरक्षण के पीएचडी छात्र जोसेफ ड्रेक ने कहा कि कुछ स्तनधारी प्रजातियों की निगरानी करना बेहद मुश्किल है। पारंपरिक सर्वेक्षण के तरीके अक्सर एक विशेष प्रजाति के लिए बने होते हैं, इसलिए इनसे कई अन्य महत्वपूर्ण प्रजातियों का सटीक पता लगाना संभव नहीं है। कैमरे में कैद करने (कैमरा ट्रैप) की विधि ने वैज्ञानिकों के वन्यजीवों के अध्ययन के तरीके में सुधार किया है, लेकिन पर्यावरणीय डीएनए (ईडीएनए) के तरीके एक सटीक निगरानी उपकरण हो सकते हैं जो संरक्षण और पारिस्थितिकी अनुसंधान में क्रांतिकारी बदलाव ला सकते हैं।

यूनिवर्सिटी ऑफ सलफोर्ड, यू.के. और यूमैस की ड्रेक की नायरा सेल्स ने इस अध्ययन की अगुवाई की। ट्रोम्सो विश्वविद्यालय, नॉर्वे, एबरडीन विश्वविद्यालय, हल और शेफील्ड के विश्वविद्यालयों और यू.के. के शोधकर्ताओं ने मिलकर पूरा किया। शोधकर्ताओं ने बताया कि जानवरों के नदी में पानी पीने, नदी को पार करने के दौरान डीएनए बह जाता है, इसी डीएनए को इकट्ठा कर हम स्थानीय स्तनपायी समुदाय के बारे में पूरी जानकारी (स्नैपशॉट) पता कर सकते हैं।

यूनिवर्सिटी ऑफ़ सलफोर्ड के मैमोलॉजिस्ट एलन मैकडेविट बताते हैं, हम वर्तमान में स्तनधारियों का पता लगाने और निगरानी के कई तरीकों का उपयोग करते हैं, जैसे कि पैरों के निशान या मल जैसे संकेतों की तलाश करना, कई हफ्तों तक उनकी फोटो खींचने के लिए कैमरा ट्रैप का उपयोग करना आदि। लेकिन अब, हमें बस कुछ पानी की बोतलें एकत्र करके उन्हें प्रयोगशाला में ले जाना होता है, जिसमें हम यह पता लगाते है कि यह किसका डीएनए है।

इसका परीक्षण करने के लिए शोधकर्ताओं ने स्कॉटलैंड और इंग्लैंड की नदियों से पानी और गाद एकत्र की जिसमें उनको 20 से अधिक जंगली स्तनधारियों का डीएनए मिला, उन्होंने इन नमूनों की तुलना ऐतिहासिक रिकॉर्ड, उन जगहों पर मिले संकेत जैसे कि पैरों के निशान या मल और कैमरों के परिणामों से की। शोधकर्ताओं ने बताया कि ईडीएनए ने पता लगाने में बेहतर प्रदर्शन प्रदान किया।

शोधकर्ताओं ने कहा कि स्तनधारियों के संरक्षण की स्थिति और वे कहां-कहां है, इसका सही और तेजी से आकलन करना महत्वपूर्ण है क्योंकि दुनिया भर में कई प्रजातियों की आबादी घट रही है। इसके अलावा, कैमरा ट्रेप और पैरों के निशान या मल जैसे संकेतों का उपयोग कर सर्वेक्षण करना बहुत समय लेने वाला और महंगा है।

मैकडेविट कहते हैं, हम हमेशा जैव विविधता के आकलन और निगरानी में सुधार के तरीकों की तलाश कर रहे हैं। हमें उन तरीकों को खोजने की आवश्यकता है, जिन्हें दुनिया भर में हर जगह उपयोग किया जाय और वे मंहगे भी न हो। जल स्रोतों से एकत्र किए गए पर्यावरणीय डीएनए स्तनधारियों की उपस्थिति या अनुपस्थिति के बारे में हमें जानकारी प्रदान करने का बहुत प्रभावी तरीका है। इसका उपयोग राष्ट्रीय स्तर पर वन्यजीवों की आबादी की निगरानी या हानिकारक आक्रामक प्रजातियों का शीघ्रता से पता लगाने के लिए किया जा सकता है।

 

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