पश्चिमी घाट में 60 प्रतिशत ऐसी जैव विविधता है, जो केवल यहीं पाई जाती है: अध्ययन

भारत के पश्चिमी घाटों को कई जंगली पौधों, पक्षियों, स्तनधारियों, सरीसृपों, मछलियों और कीड़ों तथा अन्य जीवों के साथ वैश्विक जैव विविधता हॉटस्पॉट के रूप में जाना जाता है

By Dayanidhi

On: Monday 08 May 2023
 
फोटो साभार : विकिमीडिया कॉमन्स,आनंद2202

भारतीय प्रायद्वीप में पश्चिमी घाट पर्वत श्रृंखला को उष्णकटिबंधीय एशिया के वनस्पतियों और जीवों की विविधता के सबसे पुराने इलाकों में से एक माना जाता है। दुनिया भर में इसकी भारी जैव विविधता की वजह से इसे जैव विविधता का हॉटस्पॉट माना जाता है।

एक नए अध्ययन के अनुसार, भारत के पश्चिमी घाट विकासवादी विविधता के संग्रहालय और लालन-पालन करने वाले के रूप में काम करते हैं। सेंटर फॉर सेल्युलर एंड मॉलिक्यूलर बायोलॉजी (सीसीएमबी) द्वारा किया गया अध्ययन, पश्चिमी घाट में पौधों के विकास को उजागर कर रहा है।

यह शोध जाह्नवी जोशी की अगुवाई में अंतरराष्ट्रीय और राष्ट्रीय संस्थानों के की टीम के सहयोग से किया गया है। शोध से पता चलता है कि उत्तर पश्चिमी घाटों की तुलना में दक्षिण पश्चिमी घाटों में प्रजातियों की संख्या लगभग छह गुना अधिक है।

इन घाटों को विकासवादी विविधताओं का 'संग्रहालय' और पालना कहा गया है, शोध में पाया गया कि पश्चिमी घाटों में लकड़ी वाले पौधों की बहुत अधिक विविधता है, जिनमें से 60 प्रतिशत से अधिक स्थानीय हैं।

भारत के पश्चिमी घाटों को कई जंगली पौधों, पक्षियों, स्तनधारियों, सरीसृपों, मछलियों और कीड़ों तथा अन्य जीवों के साथ वैश्विक जैव विविधता हॉटस्पॉट के रूप में जाना जाता है। जिनमें से कई स्थानीय हैं, जिसका अर्थ है कि वे केवल इसी क्षेत्र में पाए जाते हैं और कहीं नहीं।

डॉ. जाह्नवी जोशी ने कहा कि पश्चिमी घाटों में जबरदस्त विकासवादी विविधता है।

अध्ययन पश्चिमी घाटों के वैश्विक अहमियत पर प्रकाश डालता है, विशेष रूप से, दक्षिण पश्चिमी घाटों के संरक्षण के महत्व को दिखता है। इस अध्ययन के परिणामों का उपयोग परिदृश्य में मौजूदा संरक्षित क्षेत्रों को बढ़ाने के लिए भी किया जा सकता है, जो गंभीर मानवजनित तनाव का सामना कर रहे हैं।

दक्षिण पश्चिमी घाट 1,000 से 2,695 मीटर तक की ऊंचाई वाले कर्नाटक, केरल और तमिलनाडु के विशाल क्षेत्रों को कवर करते हैं। जबकि उत्तर पश्चिमी घाट गुजरात के सबसे दक्षिणी भाग से होते हुए दमन, महाराष्ट्र और गोवा तक फैला हुआ है।

प्रमुख अध्ययनकर्ता अभिषेक गोपाल ने कहा, इन प्रजातियों का दक्षिणी पश्चिमी घाटों में भी सीमित फैलाव है और दिलचस्प बात यह है कि इस क्षेत्र में उत्तरी पश्चिमी घाटों की तुलना में प्रजातियों की संख्या छह गुना अधिक है।

उन्होंने कहा, यह अध्ययन क्षेत्र में कई टैक्सोनॉमिक अध्ययनों को पूरा करता है, जो दिखाता है कि पश्चिमी घाटों में पौधों की बहुत विविधता है, जिनमें 60 प्रतिशत से अधिक स्थानीय हैं। यह शोध रॉयल सोसाइटी के प्रमुख शोध पत्रिका 'प्रोसीडिंग्स बी' में प्रकाशित हुआ है।

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