हरियाणा सरकार बनाएगी अरावली कायाकल्प बोर्ड, एनजीटी को दी जानकारी

यहां पढ़िए पर्यावरण सम्बन्धी मामलों के विषय में अदालती आदेशों का सार

By Susan Chacko, Lalit Maurya

On: Saturday 15 April 2023
 

हरियाणा वन विभाग ने दादम पहाड़ियों में खनन से क्षतिग्रस्त हुई वन भूमि की बहाली के लिए दो चरणों की योजना प्रस्तावित की है। यह जानकारी अंतरिम समिति ने अपनी रिपोर्ट में नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) को दी है। मामला हरियाणा के भिवानी में अरावली की पहाड़ियों से जुड़ा है।

योजना के पहले चरण में बैकफिलिंग की जाएगी। खनन विभाग की रिपोर्ट में स्पष्ट है कि वहां 300 फीट की गहराई तक खनन किया गया है। निरीक्षण के दौरान पूरे खनन क्षेत्र में कई गहरे गड्ढे मिले हैं जिन्हें भरा जाएगा।

ऐसे में परियोजना प्रस्तावक गोवर्धन माइन्स एण्ड मिनरल्स द्वारा जमीन की बहाली के पहले चरण में इन गड्ढों की बैकफिलिंग की जाएगी। बताया गया है कि जिन गड्ढों को भरना है, उन्हें चिन्हित कर लिया गया है। यह भी प्रस्तावित है कि खोदे गए गड्ढों का एक हिस्सा पानी के जलग्रहण के रूप में उपयोग किए जाने के लिए खाली छोड़ा जाएगा।

साथ ही पहले चरण में देशज प्रजातियों की नर्सरी तैयार करना भी शामिल होगा और इस क्षेत्र में मूल रूप से पाए जाने वाले पौधों को लगाया जाएगा। वहीं दूसरे चरण में भूमि का पुनर्ग्रहण किया जाएगा। इसके तहत भूनिर्माण या साइट की तैयारी, मिट्टी का सुधार और वनस्पति को दोबारा लगाकर भूमि को बहाल किया जाएगा।

गौरतलब है कि भिवानी जिले के दादम में एक खनन स्थल पर हुए भूस्खलन में पांच लोगों की मौत हो गई थी। इसे देखते हुए एनजीटी ने वन क्षेत्र और उसके बाहर पर्यावरण मंजूरी की शर्तों का उल्लंघन करके किए जा रहे अवैध और अवैज्ञानिक खनन के खिलाफ संज्ञान लिया था। मामले में एनजीटी ने आठ सदस्यीय समिति से उनकी रिपोर्ट मांगी है।

'अरावली कायाकल्प बोर्ड' गठन मामले में हरियाणा सरकार ने एनजीटी को सौंपी रिपोर्ट

हरियाणा के मुख्य सचिव ने एनजीटी को सौंपी अपनी रिपोर्ट में कहा है कि 'अरावली कायाकल्प बोर्ड' के गठन के लिए राज्य सरकार में सक्षम प्राधिकरण को एक प्रस्ताव दिया है। प्राधिकरण के अनुमोदन के बाद, बोर्ड के गठन और अधिकार क्षेत्र के संबंध में अधिसूचना जारी की जाएगी।

साथ ही अरावली क्षेत्र की निगरानी, प्रबंधन और सतत विकास के लिए नूंह, फरीदाबाद और गुरुग्राम में जिला स्तर पर एक विशिष्ट सेल के गठन का निर्णय लिया गया है। पूरा मामला गुरुग्राम, मेवात और फरीदाबाद की अरावली पहाड़ियों में हुए अवैध खनन से जुड़ा है।

इस मामले में एनजीटी, 10 अक्टूबर, 2022 को कहा था कि अवैध खनन की शिकायतों से निपटने के लिए आवश्यक प्रशासनिक एजेंसियों जैसे पुलिस, खनन, वन विभाग और राजस्व विभाग के बीच प्रभावी तालमेल और संवाद की कमी है। साथ ही वैधानिक प्राधिकरणों जैसे केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और हरियाणा राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के साथ भी तालमेल नहीं है।

गौरतलब है कि ट्रिब्यूनल ने हरियाणा में एकीकृत पर्यावरण प्रबंधन और अरावली के सतत विकास के लिए एक स्वायत्त वैधानिक प्राधिकरण 'अरावली पर्यावरण प्रबंधन और सतत विकास' की स्थापना की सिफारिश की थी।

कुशीनगर में तालाबों पर होते अतिक्रमण के मामले में जानिए रिपोर्ट में क्या कुछ आया सामने

कुशीनगर के गजरा में तीन बड़े तालाबों पर हुए अतिक्रमण और कचरे को साफ किया गया है। मामला उत्तर प्रदेश के कुशीनगर में कप्तानगंज तहसील के गजरा गांव का है। यह बात 11 अप्रैल 2023 को समिति द्वारा सौंपी रिपोर्ट में सामने आई है। पूरा मामला तालाबों पर होते मकानों के निर्माण और अवैध कब्जे से जुड़ा है। साथ ही तालाबों में कूड़ा डाला जा रहा था।

मामले में एनजीटी के आदेश पर एक संयुक्त निरीक्षण समिति ने गजरा गांव में इन तालाबों का दौरा किया था। जांच के दौरान यह तीनों तालाब कूड़े और अन्य सामग्री से भरे पाए गए थे। ऐसे में उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने गजरा के ग्राम विकास अधिकारी और ग्राम प्रधान को तीनों तालाबों को साफ करने का निर्देश दिया था।

उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने कोर्ट को जानकारी दी है कि इन तालाबों की सफाई कर दी गई है। इन तीन बड़े तालाबों के अलावा एनजीटी के आदेश में पांच छोटे तालाबों का भी जिक्र किया गया है।

हालांकि आदेश में इन पांच छोटे तालाबों के खसरा नंबर का उल्लेख न होने के कारण इनकी पहचान करना मुश्किल होता जा रहा है। इसे देखते हुए संयुक्त निरीक्षण समिति ने ग्राम विकास अधिकारी और ग्राम प्रधान को इन छोटे तालाबों को शीघ्र चिन्हित काके प्रदूषण एवं अतिक्रमण मुक्त करने का निर्देश दिया है।

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