जंगलों में आग के आंकड़े छिपाने में जुटा उत्तराखंड का वन विभाग

उत्तराखंड जंगलों में आग की घटनाओं के मामले में देश के सर्वाधिक संवेदनशील राज्यों में शामिल है। इस संवेदनशीलता को लॉकडाउन ने और गंभीर बना दिया है

By Trilochan Bhatt

On: Wednesday 15 April 2020
 
फाइल फोटो: विकास चौधरी

लॉकडाउन से जहां प्रवासी मजदूरों की मुसीबतें और बढ़ीं हैं। वहीं, दूसरी ओर लॉकडान के  कारण जंगल में लगने वाली आग से होने वाले नियमित नुकसान की मात्रा और बढ़ गई है। क्योंकि इस समय में जंगल विभाग के अफसर-कर्मचारी भी लॉकडाउन में जंगलों की पहरेदारी नहीं कर पा रहे हैं। ऐसे में जंगल में लगी आग को रोकना और कठिन हो गया है। ध्यान रहे कि इस बार आग लगने की घटनाएं वक्त से पहले ही शुरू हो गई हैं। ऐसे में डाउन टू अर्थ ने लॉकडाउन के समय देश के चार राज्योें में जंगलों में लगने वाली आग की पड़ताल की है। इस पड़ताल की दूसरी कड़ी में आज पढ़िए उत्तराखंड के जंगलों  की स्थिति के बारे में


वनों में आग की दृष्टि से उत्तराखंड देश के सर्वाधिक संवेदनशील राज्यों में शामिल है। इस संवेदनशीलता को लॉकडाउन ने और गंभीर बना दिया है। यह गंभीरता उस समय और खतरनाक स्तर से ऊपर चली जाती है जब जंगल की आग को रोकने वाले पहरेदार ही लॉकडाउन में हैं। इस वर्ष (2020) 15 फरवरी से वन विभाग का औपचारिक फायर सीजन शुरू होने से पहले ही आग की घटनाएं दर्ज की जाने लगीं थीं, हालांकि मार्च में कुछ-कुछ दिनों के अंतराल में बारिश होने से वनों में आग की घटनाएं कम हुईं लेकिन जिस तेजी से तापमान में बढ़ोतरी हो रही है उसके हिसाब से आने वाले माह इस राज्य में फारेस्ट फायर की घटनाओं में तेजी का अनुमान है। भारतीय वन सर्वेक्षण की रिपोर्ट कहती है कि राज्य के जंगलों में जून 2018 से नवम्बर 2019 तक 8 महीनों में वनों में कुल 16 हजार बार आग लगी। खास बात यह है कि इनमें से ज्यादातर महीने बरसात हैं, जब जंगलों में आग की घटनाएं नहीं होती।

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तापमान बढ़ने के साथ ही राज्य में वनों में आग की घटनाएं फिर से बढ़ने लगी हैं। बागेश्वर जिले के कपकोट वन प्रभाग में बीते 4 अप्रैल को जंगल की आग में घिर जाने से दो महिलाओं की मौत हो चुकी है, जबकि एक महिला किसी तरह आग से निकलने में कामयाब हो गई थी। उत्तराखंड वन विभाग पिछले वर्ष तक आग की घटनाओं को ब्योरा सार्वजनिक रखता था और वन विभाग की वेबसाइट लगातार अपडेट होती थी। इस बार यह सिलसिला बंद कर दिया गया है और वन विभाग के अधिकारी भ्रामक आंकड़े जारी कर रहे हैं।

विभाग किस तरह से लीपापोती कर रहा है, इसका अंदाज इस बात से लगाया जा सकता है कि स्टेट फॉरेस्ट फायर के नोडल अधिकारी बीके गांगले ने 8 अप्रैल की शाम को जो आंकड़े उपलब्ध कराये उनके अनुसार राज्य में अब तक जंगल की आग से किसी की मौत नहीं है। इस सीजन में आग की सिर्फ 7 घटनाएं हुई हैं। इन घटनाओं में 1.4 हेक्टेअर वन क्षेत्र को प्रभावित हुआ है और 9,775 रुपये का नुकसान हुआ है। अधिकारी से जब पूछा गया कि क्या आग की केवल 7 घटनाएं हुई हैं और जिन दो महिलाओं की झुलसने से मौत हो गई, वे क्यों दर्ज नहीं हैं तो  उन्होंने यह कहकर बात टाल दी कि इंटरनेट काम नहीं कर रहा है, जैसे ही अपडेट होगा बता देंगे।

इस बीच बागेश्वर की घटना के बाद वन विभाग को अलर्ट कर दिया गया है। विभाग के सभी कमर्चारियों को अपनी-अपनी पोस्टिंग वाले स्थान पर पहुंचने के  लिए कहा गया है, लेकिन लॉकडाउन होने के कारण कई कमर्चारी दूसरी जगहों पर फंसे हुए हैं। वन विभाग ने लॉकडाउन को देखते हुए अपने कमर्चारियों को आई कार्ड उपलब्ध करवाने का दावा किया था, लेकिन फिलहाल ऐसा संभव नहीं हो पाया है।

 

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