अकेले वर्षावन ही नहीं, दुनिया के सभी जंगलों को बचाना है जरुरी: वैज्ञानिक

शोध के अनुसार समशीतोष्ण और उष्णकटिबंधीय शुष्क वनों में पेड़ों की करीब 30 फीसदी प्रजातियों का विकास हुआ है| जिन्हें बचाना जरुरी है

By Lalit Maurya

On: Friday 08 May 2020
 
बर्फ से ढंके चिली के शीतोष्ण वन

एक नए अध्ययन से पता चला है कि अकेले वर्षावन में ही नहीं बल्कि समशीतोष्ण और उष्णकटिबंधीय शुष्क वनों में भी पेड़ों की हजारों ऐसी प्रजातियां हैं, जो अपने आप में बेजोड़ हैं| दुनियाभर में वर्षावनों को उसकी अनेकों दुर्लभ प्रजातियां के लिए जाना जाता है| यही वजह है कि जब जंगलों के संरक्षण की बात होती है, तो सबसे पहले वर्षावनों को बचाने पर ही ध्यान केंद्रित किया जाता है। पर हाल ही एडिनबर्ग और एक्सेटर विश्वविद्यालय द्वारा मिलकर किये गए अध्ययन से पता चला है कि अन्य जंगलों में भी पेड़ों की अनेकों ऐसी दुर्लभ प्रजातियां हैं जो कहीं और नहीं मिलती, इसलिए इन जंगलों को बचाने पर भी ध्यान देना चाहिए।

यह शोध अंतरराष्ट्रीय जर्नल साइंस एडवांसेज में प्रकाशित हुआ है। जिसमें अमेरिका भर में 10 हजार से अधिक जंगलों और सवाना क्षेत्रों के आंकड़ों का विश्लेषण किया गया है| इस शोध के अनुसार समशीतोष्ण और उष्णकटिबंधीय शुष्क वनों में पेड़ों की करीब 30 फीसदी प्रजातियों का विकास हुआ है, जबकि उष्णकटिबंधीय वर्षावनों में यह आंकड़ा 26 फीसदी का है।

एक्सेटर यूनिवर्सिटी के ग्लोबल सिस्टम्स इंस्टीट्यूट से सम्बन्ध रखने वाले प्रोफेसर टोबी पेनिंगटन ने बताया है कि "हमारे निष्कर्षों से पता चलता है कि समशीतोष्ण और शुष्क वनों में भी पेड़ों की अनेकों दुर्लभ प्रजातियों का विकास हुआ है| इसलिए इनके संरक्षण पर भी ध्यान देना जरुरी है।" उनके अनुसार "हालांकि यह सही है कि वर्षा वनों को बचाना जरुरी है, लेकिन हमें समशीतोष्ण और शुष्क वनों में मौजूद पेड़ों की अद्वितीय जैवविविधता को भी अनदेखा नहीं करना चाहिए।"

कैसे हुआ है पेड़ों की इन अलग-अलग प्रजातियों का विकास

इस शोध के प्रमुख और यूनिवर्सिटी ऑफ़ एडिनबर्ग के रिकार्डो सेगोविया ने बताया कि "चिली के शीतोष्ण वन, उत्तरी एंडीज और उत्तरी अमेरिका में ऐसे अनेक अलग-थलग पड़े सूखे जंगल हैं, जहां पेड़ों की अनोखी प्रजातियां हैं| यह जंगल खतरे में हैं और इनके संरक्षण के लिए तुरंत काम करने की जरुरत हैं|"

गौरतलब है कि शीतोष्ण वन, उष्णकटिबंधीय और ठंडे बोरियल क्षेत्रों के बीच पाए जाते हैं। जोकि चिली और अमेरिका में स्थित हैं| इन जंगलों में ओक और एल्म प्रजातियों के अनोखे पेड़ पाए जाते हैं| जबकि शुष्क वनों में पी (फेबासिया) और कैक्टस प्रजाति के दुर्लभ पौधे पाए जाते हैं| इसमें ब्राजील के केटिंगा और बोलिविया के चिकिटेनिया क्षेत्र में मिलने वाली वनस्पति शामिल है| इस शोध की सबसे ख़ास बात यह है कि इसमें हजारों प्रजातियों के पेड़ों के डीएनए सीक्वेंस और उससे जुडी जानकारी का विश्लेषण किया गया है| जिससे कहां यह प्रजातियां मुख्य रूप से पाई जाती हैं| इसकी सटीक जानकारी प्राप्त हो सके|

इसके साथ ही इन पेड़ों और प्रजातियों का विकास कैसे हुआ है, वैज्ञानिकों ने इसे भी समझने का प्रयास किया है| जिससे यह पता चल सके कि क्या वजह है कि यह प्रजातियां कुछ विशिष्ट स्थानों पर ही विकसित हुई है और क्या कारण है कि जो इनकों नयी जगह और वातावरण में बढ़ने से रोक रहा है| जिसमें उन्हें पता चला है कि इनके बीच जो अंतर है उसका मुख्य कारण तापमान है| जो कुछ प्रजातियों के विकास लिए तो बेहतर परिस्थितयां बनाता है, जबकि कुछ के लिए उनमें जिन्दा रह पाना मुश्किल हो जाता है| इसके साथ ही ट्रॉपिक्स पर मौजूद नम और शुष्क वनों में भी विकास सम्बन्धी विभिन्नता है जो इन दोनों प्रजातियों को अलग करती है|

पिछले दिन ही एफएओ द्वारा प्रकाशित रिपोर्ट से पता चला है कि दुनियाभर में हर साल करीब 1 हेक्टेयर जंगल काट दिए जाते हैँ| यही वजह है कि आज धरती पर केवल 406 करोड़ हेक्टेयर जंगल ही बचे हैं| यदि पृथ्वी पर हर इंसान के हिस्से का हिसाब लगाए तो प्रति व्यक्ति के हिसाब से 0.52 हेक्टेयर जंगल बाकी हैं| जंगल ने केवल जैवविविधता के पनाहगार है| यह इंसान के लिए भी अत्यंत जरुरी है| इनसे हमें न जानें कितनी जरुरी चीजें मिलती है| आप अपने आस पास उन्हें रोज ही देख सकते हैँ इनमें भोजन, लकड़ी जैसे अनेकों संसाधन शामिल हैँ| सबसे महत्वपूर्ण यह धरती के लिए एक फ़िल्टर का काम करते है, जो दूषित हो रही हवा को साफ़ करते रहते हैँ| यह जंगल अपने आप में ही एक अलग संसार, एक अलग इकोसिस्टम को समेटे रहते हैं| इसलिए हर प्रकार के जंगल को बचाना जरुरी है|

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