झारखंड: स्मार्ट सिटी के नाम पर तोड़े आदिवासियों के घर, उखाड़े पेड़

रांची के धुर्वा में 650 एकड़ भूमि पर स्मार्ट सिटी विकसित की जा रही है

By Md. Asghar khan

On: Tuesday 30 November 2021
 
झारखंड की राजधानी रांची में स्मार्ट सिटी के नाम पर न केवल पुराने पेड़ उखाड़ दिए गए, बल्कि आदिवासियों के घर भी ढहा दिए गए। फोटो: मो. असगर खान

झारखंड की राजधानी रांची के धुर्वा स्थित एक सड़क के किनारे मिट्टी के एक कमरे में जमीन पर पड़ी 35 साल की सुनीता सांगा दर्द से कराह रही हैं। चारों ओर बड़े-बड़े पेड़ों से घिरा बिना दरवाजे के कमरे के भीतर आती सर्द हवाएं उनके दर्द को और बढ़ा देती हैं। वो कहती हैं, “कमर में बहुत दर्द हो रहा है। उठ भी नहीं पा रहे हैं। छोटा बेटे (सीत सांगा, दस वर्ष) को लेकर बकरी चराने गई थी। सुना कि घर टूट रहा है तो दौड़ कर घर आई, रास्ते में गिर गई। घर पर कोई नहीं था। सोहानी (बेटी 17वर्ष) कॉलेज चली गई थी और इसके बाबा (पति, सोमा सांगा 40 वर्ष) काम करने गए थे।”

 उनकी बेटी सोहानी सांगा ने कहा, “बिना पूछे मेरे घर में घुसकर तोड़ने लगे। घर पर कोई नहीं था। मैं कॉलेज से आ रही थी।  तभी बस्ती से फोन आया कि मेरे घर पर बुलडोजर चलाया जा रहा है। दौड़ती आई। वे (पुलिस-प्रशासन) लोग तब आए, घर पर जब कोई नहीं था।  खुद ही सामान निकालकर घर को तोड़ने लगे। बोला कि एक घंटे का समय है, जल्दी खाली कीजिए। जब घर पर कोई नहीं था तो अचानक आकर बुलडोजर चला देंगे। बोलिए, ये तो अन्याय है न।”

सोहानी के घर का एक कोना तोड़ा जा चुका है। बर्तन-बासन और कुछ समान बाहर बिखरे पड़े हैं। आस-पास करीब दस बड़े पेड़ उखाड़े जा चुके हैं। सोहानी डोरंडा कॉलेज से आर्ट्स में इंटर कर रही है। चौथी में पढ़ने वाला छोटा भाई मां के साथ बकरी चराता है। परिवार में पिता सोमा सांगा के अलावा कोई दूसरा कमाने वाला नहीं। ऐसे में इनकी चिंता यह कि अगर इन्हें और इनके परिवार को बेदखल कर दिया जाएगा तो वे कहां जाएंगे?

इसी से सटा 36 साल के डेविड आइन्त का घर बुलडोजर से आधा गिरा दिया गया है. ये भी अपने घर में इकलौते हैं कमाने वाले. इलेक्ट्रीशियन वायरिंग का काम कर अपने बूढ़े मां-बाप, एक बहन और दुर्घटना के बाद घर में रहे छोटे भाई का पेट पालते हैं. गिरे घर की टूटी इंट को दिखाते हुए डेविड कहते हैं, “मेरे और पिता और मैं दोनों का ही जन्म यहीं हुआ है, इसी घर में। पहले खेत भी था हमारे, जहां पर प्रोजेक्ट भवन (झारखंड, सचिवालय) बना हुआ है। उसी में खेत चले गए। अब घर तोड़ दिया बिना। हमने कहा कि दो दिन का समय दे दीजिए, ताकि हम अपने तरीके से समान हटा सकें, लेकिन नहीं माने"।

दरअसल, केंद्र सरकार द्वारा प्रस्तावित स्मार्ट सिटी योजना के अंतर्गत 650 एकड़ भूमि पर रांची के धुर्वा में विकसित होने वाली स्मार्ट सिटी के तहत स्कूल, कॉलेज, अस्पताल, व्यवसायिक व आवासीय इमारत बनाए जा रहे हैं। इसके लिए सड़कों को चौड़ा किया जा रहा है। इसी कड़ी में धुर्वा के पुराना लटमा बस्ती में 15-20 आदिवासी घरों को अवैध मानते हुए 27 नवंबर की दोपहर को कंस्ट्रक्शन कंपनी के साथ पुलिस-प्रशासन अचनाक बुलडोजर से ढहाने पहुंचा था। डेविड और सोहानी का मकान उन्हीं मकानों में शामिल था, जिन्हें तोड़ा गया। हालांकि सूचना मिलते स्थानीय खिजरी विधायक राजेश कच्छप ने पहुंचकर मकान को तोड़ने का काम रूकवा दिया, लेकिन अब भी मामले का स्थायी समाधान नहीं हो पाया है।

धुर्वा में अधितकर जमीन हैवी इंजीनियरिंग कार्पोरेशन लिमीटेड (एचईसी) की है। स्मार्ट सिटी इन्हीं एचईसी के जमीन पर बनाया जा रहा है। भारत सरकार को एचईसी को बसाने के लिए 1958 में कई गांवों को विस्थापित करना पड़ा था। विधायक राजेश कच्छप और झारखंड क्षेत्रीय पड़हा समिति हटिया, रांची के अध्यक्ष अजीत उरांव वहां पहुंचे थे। इनदोनों ने डाउन टू अर्थ को बताया, “एचईसी के लिए 13 मौजा का 32 गांव को विस्थापित किया गया था। इनका पुनर्वास जिन-जिन जगहों पर किया गया। वहां से भी इन्हें विस्थापित कर दिया गया, उन्हें हटा दिया गया। एचईसी के विस्थापितों में से एक बड़ी आबादी आज भी उन्हीं एचईसी की जमीन पर रहती आ रही है, जिन्हें कोई मुआवजा या नौकरी नहीं मिली। उन्हीं लोगों में से आदिवासियों का पुराना लटमा बस्ती भी है। ये लोग कोई बाहरी नहीं और ना बाहर से आकर बसें। इन्हें कोई मुआवजा, घर या जमीन नहीं मिली तो ये जाते कहां? इनका पुनर्वास तो तभी होता जब जमीन का मालिकाना हक इन्हें दिया जाता है। लेकिन आजतक जमीन का पट्टा इनलोगों को नहीं मिला। समता जजमेंट कहता है कि जिस उद्देश्य से जमीन ली गई थी, अगर वो पूरा नहीं हो पाता है तो रैयतों वापस कर दें। एचईसी को भी इन्हें जमीन वापस करनी चाहिए"।

झारखंड में झामुमो और कांग्रेस की गठजोड़ सरकार है। राजेश कच्छप कांग्रेस के विधायक हैं। वह एचईसी के विस्थापितों के मुद्दे को लेकर कोर्ट जाने की बात कहते हैं। वह कहते हैं कि स्मार्ट सिटी बसाने के लिए अबतक सड़क  बनाने के नाम पर 500-600 पेड़ों को काटा जा चुका है, लेकिन डीएफओ कहते हैं कि उन्होंने 60 पेड़ को ही काटने की अनुमति दी थी।

उधर, रांची के जिला उपायुक्त छवि रंजन से जब डाउन टू अर्थ ने बात करने की कोशिश की तो उन्होंने अंचल अधिकारी (सीओ) से बात करने को कहा, जबकि सीओ  विनोद प्रजापति  ने कहा, “उनको आदेश था, तब वो वहां गए थे। इस पूरे मामले पर हम आपको कुछ नहीं बता सकते हैं, आप स्मार्ट सिटी के सीईओ से बात कीजिए।”

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