बाघों के अंगों की तस्करी में अव्वल है भारत, चीन है बहुत पीछे

23 वर्षों में बाघों की अवैध तस्करी की दुनिया भर में कुल 2,205 घटनाएं सामने आई हैं जिनमें से 34 फीसदी यानी 759 घटनाएं अकेले भारत में दर्ज की गई हैं।

By Lalit Maurya

On: Thursday 03 November 2022
 

एक तरफ देश में जहां बाघों को बचाने के लिए निरंतर प्रयास किए जा रहे हैं वहीं साथ ही भारत में इनका अवैध व्यापार भी फल-फूल रहा है। पिछले 23 वर्षों में इनकी अवैध तस्करी की दुनिया भर में कुल 2,205 घटनाएं सामने आई हैं जिनमें से 34 फीसदी यानी 759 घटनाएं अकेले भारत में दर्ज की गई हैं। जो 893 यानी जब्त किए गए 26 फीसदी बाघों के बराबर है। इसके बाद 212 घटनाएं चीन में जबकि 207 मतलब 9 फीसदी इंडोनेशिया में दर्ज की गई हैं।

इस बारे में अंतराष्ट्रीय संगठन ट्रैफिक द्वारा जारी नई रिपोर्ट “स्किन एंड बोन्स” के अनुसार संरक्षण के प्रयासों को कमजोर करते हुए, शिकारी बाघों को उनकी त्वचा, हड्डियों और शरीर के अन्य अंगों के लिए निशाना बना रहे हैं। रिपोर्ट की माने तो पिछले 23 वर्षों में औसतन हर साल करीब 150 बाघों और उनके अंगों को अवैध तस्करी के दौरान जब्त किया गया है।

रिपोर्ट के अनुसार पिछले 23 वर्षों में जनवरी 2000 से जून 2022 के बीच 50 देशों और क्षेत्रों में बाघों और उनके अंगों की तस्करी की यह जो घटनाएं सामने आई हैं उनमें कुल 3,377 बाघों के बराबर अंगों की तस्करी की गई है। गौरतलब है कि दुनिया में अब केवल 4,500 बाघ ही बचे हैं, जिनमें से 2,967 भारत में हैं । अनुमान है कि 20वीं सदी के आरम्भ में इनकी संख्या एक लाख से ज्यादा थी।

ऐसे में यदि इसी तरह उनका शिकार और तस्करी होती रही तो यह दिन दूर नहीं जब दुनिया में यह विशाल बिल्ली प्रजाति जल्द ही विलुप्त हो जाएगी। गौरतलब है कि इनकी बरामदगी 50 देशों और क्षेत्रों से हुई है, लेकिन इसमें एक बड़ी हिस्सेदारी उन 13 देशों की थी जहां अभी भी बाघ जंगलों में देखे जा सकते हैं।

रिपोर्ट से पता चला है कि पिछले 23 वर्षों में तस्करी की जितनी घटनाएं सामने आई हैं उनमें से 902 घटनाओं में बाघ की खाल बरामद की गई थी। इसके बाद 608 घटनाओं में पूरे बाघ और 411 घटनाओं में उनकी हड्डियां बरामद की गई थी।

ट्रैफिक ने आगाह किया कि है कि बरामदी की यह घटनाएं बड़े पैमाने पर होते इनके अवैध व्यापार को दर्शाती हैं लेकिन यह इनके अवैध व्यापार की पूरी तस्वीर नहीं हैं क्योंकि बहुत से मामलों में यह घटनाएं सामने ही नहीं आती हैं।

2018 के बाद से भारत और वियतनाम में बरामदगी की घटनाओं में दर्ज की गई है वृद्धि

हालांकि रिपोर्ट की मानें तो 2018 के बाद से बाघों और उनके अंगों की बरामदी की घटनाओं में कमी आई है, लेकिन इसके बावजूद भारत और वियतनाम में इस तरह की घटनाओं में वृद्धि दर्ज की गई है। पता चला है कि पिछले चार वर्षों में वियतनाम में बरामदी की इन घटनाओं में 185 फीसदी की वृद्धि दर्ज की गई है।

वहीं ट्रैफिक ने जानकारी दी है कि थाईलैंड और वियतनाम में जब्त किए गए अधिकांश बाघों को संरक्षण के लिए रखी गई सुविधाओं से प्राप्त होने का संदेह है, जो दर्शाता है कि बाघों और उनके अंगों के अवैध व्यापार को बढ़ावा देने में इन बंदी सुविधाओं की भूमिका से इंकार नहीं किया जा सकता। पता चला है कि थाईलैंड में जितने बरामदी हुई हैं उनमें से 81 फीसदी बाघ बंदी सुविधाओं जैसे चिड़ियाघर, प्रजनन फार्म आदि से जुड़े थे जबकि वियतनाम में यह आंकड़ा 67 फीसदी था।

रिपोर्ट में जो आंकड़े सामने आए हैं उनके अनुसार 2022 की पहली छमाही में भी स्थिति गंभीर बनी हुई है। इस दौरान इंडोनेशिया, थाईलैंड और रूस ने पिछले दो दशकों में जनवरी से जून की तुलना में बरामदी की घटनाओं में उल्लेखनीय वृद्धि दर्ज की है। अकेले इंडोनेशिया में 2022 के पहले छह महीनों में करीब 18 बाघों के बराबर अवैध तस्करी की घटनाएं सामने आई है जो 2021 में सामने आई तस्करी किए बाघों की कुल संख्या से भी ज्यादा हैं।

इतना ही नहीं ट्रैफिक ने दक्षिण पूर्व एशिया में बाघों और उनके अंगों की तस्करी में शामिल 675 सोशल मीडिया खातों की भी पहचान की है जो दर्शाता है कि संकट ग्रस्त प्रजाति का अवैध व्यापार अब ऑनलाइन भी तेजी से फैल रहा है। आंकड़ों से सामने आया है कि इनमें से लगभग 75 फीसदी खाते वियतनाम में आधारित थे। ऐसे में इनके संरक्षण को लेकर दुनियाभर में जो प्रयास किए जा रहे हैं वो कैसे सफल होंगें यह एक बड़ा सवाल है।

इस बारे में रिपोर्ट की सह-लेखक और दक्षिण पूर्व एशिया में ट्रैफिक की निदेशक कनिथा कृष्णासामी का कहना है कि “यदि हम अपने जीवनकाल में जंगली बाघों को खत्म होते नहीं देखना चाहते, तो इस बारे में तत्काल और समयबद्ध कार्रवाई को प्राथमिकता देनी होगी।“

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