संसद में आज: 2023 में प्राकृतिक और अन्य कारणों से 110 बाघों की जान गई

जलाशय भंडारण बुलेटिन के अनुसार, 86 जलाशयों में उनकी क्षमता से 40 फीसदी पानी कम है

By Madhumita Paul, Dayanidhi

On: Monday 31 July 2023
 

बाघों की मौत पर रिपोर्ट

सदन में बाघों की मौत को लेकर उठे एक सवाल के जवाब में केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय में राज्य मंत्री अश्विनी कुमार चौबे ने राज्यों द्वारा दी गई जानकारी के हवाले से बताया कि, भारत में 2023 में प्राकृतिक और अन्य कारणों से 98 बाघों की मौत हुई और अवैध शिकार के कारण 12 बाघों की जान गई। 

आर्सेनिक से प्रदूषित पानी वाली बस्तियों की संख्या घटकर हुई 460

आर्सेनिक से प्रदूषित पानी को लेकर सदन में उठाए गए एक सवाल के जवाब में जल शक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने बताया कि, जेजेएम के तहत, ग्रामीण क्षेत्रों में पीने के पानी के स्रोतों में प्रदूषण की निगरानी बस्ती-वार की जाती है। मिशन की शुरुआत में, पहली अप्रैल 2019 तक, राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों द्वारा छह राज्यों में 14,020 बस्तियों को आर्सेनिक से प्रदूषित बताया गया था।

राज्यों द्वारा दी गई जानकारी के मुताबिक, 25 जुलाई, 2023 तक, आर्सेनिक प्रभावित बस्तियों की संख्या घटकर 460 हो गई है। ये केवल पंजाब, उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल राज्यों में हैं। संबंधित राज्यों द्वारा इन सभी बस्तियों में खाना पकाने और पीने की जरूरतों को पूरा करने के लिए सुरक्षित पेयजल का प्रावधान भी किया गया है।

देश में ग्रेवाटर या गंदे पानी का प्रबंधन

आज सदन में पूछे गए एक प्रश्न के उत्तर में जल शक्ति राज्य मंत्री प्रहलाद सिंह पटेल ने कहा, ग्रेवाटर या गंदे पानी के प्रबंधन (जीडब्ल्यूएम) स्वच्छ भारत मिशन (ग्रामीण) [एसबीएम(जी)] चरण- द्वितीय के अभिन्न हिस्सों में से एक है। मिशन मुख्यतः सरल तकनीकों और स्रोत के पास ही टिकाऊ और किफायती तकनीकों, जैसे सोक-पिट, लीच-पिट, मैजिक-पिट या किचन गार्डन का उपयोग करके गंदे पानी के प्रबंधन को प्राथमिकता देता है।

हालांकि, जहां घरेलू, सामुदायिक स्तर या गांव स्तर के जीडब्ल्यूएम के पास जगह उपलब्ध नहीं है, जैसे अपशिष्ट स्थिरीकरण तालाब, निर्मित आर्द्रभूमि या  विकेंद्रीकृत अपशिष्ट जल उपचार प्रणाली, फाइटोरिड आदि को प्राथमिकता दी जाती है। एसबीएम (जी) चरण- द्वितीय के तहत, 5000 तक की आबादी वाले गांवों के लिए 280 रुपये प्रति व्यक्ति की दर से वित्तीय सहायता उपलब्ध है और जीडब्ल्यूएम के लिए 5000 से अधिक आबादी वाले गांवों के लिए 660 रुपये प्रति व्यक्ति तक की वित्तीय सहायता उपलब्ध है।

पटेल ने बताया कि, एसबीएम (जी) की ऑनलाइन एकीकृत प्रबंधन सूचना प्रणाली (आईएमआईएस) पर राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों द्वारा दिए गए आंकड़ों के अनुसार, 26 जुलाई, 2023 तक, देश के 3,13,800 गांवों में जीडब्ल्यूएम की व्यवस्था है।

देश में मॉनसूनी वर्षा जल संचयन

सदन में उठे एक सवाल के जवाब में जल शक्ति राज्य मंत्री बिश्वेश्वर टुडू ने बताया कि, भूजल के कृत्रिम पुनर्भरण के लिए मास्टर प्लान- 2020 केंद्रीय भूजल बोर्ड (सीजीडब्ल्यूबी) द्वारा राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के परामर्श से तैयार किया गया है। मास्टरप्लान में 185 बिलियन क्यूबिक मीटर (बीसीएम) मॉनसूनी बारिश का दोहन करने के लिए देश में लगभग 1.42 करोड़ वर्षा जल संचयन और कृत्रिम पुनर्भरण संरचनाओं के निर्माण की परिकल्पना की गई है।

देश के जलाशयों का घटता जल स्तर

वहीं सदन में उठाए गए एक अन्य सवाल के जवाब में राज्य मंत्री बिश्वेश्वर टुडू ने कहा कि, केंद्रीय जल आयोग (सीडब्ल्यूसी) साप्ताहिक आधार पर देश के 146 महत्वपूर्ण जलाशयों का सीधे भंडारण की स्थिति की निगरानी करता है और प्रत्येक गुरुवार को साप्ताहिक बुलेटिन प्रकाशित करता है। जलाशय भंडारण बुलेटिन दिनांक 20 जुलाई,  2023 के अनुसार, 86 जलाशयों में उनकी क्षमता से 40 फीसदी पानी कम है।

शहरों में बाढ़ 

शहरों में बढ़ती बाढ़ की घटनाओं को लेकर सदन में पूछे गए एक प्रश्न के उत्तर में जल शक्ति राज्य मंत्री बिश्वेश्वर टुडू ने बताया कि, शहरी बाढ़ का प्रबंधन राज्य सरकारों और शहरी स्थानीय निकायों तथा शहरी विकास प्राधिकरणों के दायरे में आता है जो जल निकासी और सीवरेज प्रणाली को बनाए रखने के लिए जिम्मेदार हैं। बाढ़-प्रवण क्षेत्रों में शहरी बाढ़ से निपटने के लिए भूजल पुनर्भरण और अन्य प्रकृति-आधारित समाधानों को प्रोत्साहित करने के लिए केंद्र सरकार द्वारा कई तरह की पहल की गई हैं।

टुडू ने कहा, भूजल के कृत्रिम पुनर्भरण के लिए मास्टर प्लान - 2020 सीजीडब्ल्यूबी द्वारा राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों के सहयोग से तैयार किया गया है, जिसमें 185 बिलियन क्यूबिक मीटर (बीसीएम) पानी का दोहन करने के लिए देश में लगभग 1.42 करोड़ वर्षा जल संचयन और कृत्रिम पुनर्भरण संरचनाओं के निर्माण की परिकल्पना की गई है।

मेडिकल अपशिष्ट का निपटान

सदन में उठाए गए एक सवाल के जवाब में केंद्रीय पर्यावरण, वन एवं जलवायु मंत्री भूपेन्द्र यादव ने केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) के हवाले से बताया है कि वर्ष 2020 और 2021 में देश में क्रमशः लगभग 651 टन प्रति दिन (टीपीडी) और 678 टीपीडी बायोमेडिकल कचरा (बीएमडब्ल्यू) उत्पन्न हुआ, जिसमें से 15.3 टीपीडी और 16.17 टीपीडी संबंधित वर्षों में ओडिशा राज्य में उत्पन्न हुआ

नदियों, झीलों के पुनरुद्धार के लिए धनराशि

आज सदन में पूछे गए एक प्रश्न के उत्तर में केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय में राज्य मंत्री अश्विनी कुमार चौबे ने बताया कि, केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्डों और समितियों के सहयोग से देश भर में फैले 28 राज्यों और सात केंद्र शासित प्रदेशों में 4484 स्थानों पर जलीय संसाधनों की गुणवत्ता की निगरानी करता है, जिसमें नदियों पर 2108 स्थान और झीलों, तालाबों और टैंकों पर 690 स्थान शामिल हैं।

सीपीसीबी ने वर्ष 2022 में जैविक प्रदूषण यानी बायोकेमिकल ऑक्सीजन डिमांड (बीओडी) (3एमजी/एल) के संकेतक के आधार पर देश के 30 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में 279 नदियों पर 311 प्रदूषित नदी जे हिस्सों (पीआरएस) की पहचान की है।

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