परजीवी कीट के कारण कम हो रही है मूस की आबादी, वैज्ञानिकों ने लगाया पता

अध्ययन में शामिल वयस्क मूसों में से 10 या आधे संक्रमित पाए गए, उन 10 में से तीन के कानों के सिरे क्षतिग्रस्त हो गए थे, यह स्थिति परजीवी कीट ई. श्नाइडेरी संक्रमण के कारण हुई थी

By Dayanidhi

On: Thursday 23 May 2024
 
मूस हथेली की तरह दिखने वाले सींगों वाला एक बड़ा हिरण है, इसकी पीठ झुकी हुई और त्वचा गर्दन से लटकती हुई होती है। फोटो साभार: विकिमीडिया कॉमन्स, लैरी लाम्सा

एक परजीवी कीट जो मूस के मस्तिष्क को संक्रमित कर सकता है, उत्तरी अमेरिका के कुछ इलाकों में इस प्रतिष्ठित जानवर की तादाद में गिरावट के लिए जिम्मेवार है। मूस हथेली की तरह दिखने वाले सींगों वाला एक बड़ा हिरण है, इसकी पीठ झुकी हुई और त्वचा गर्दन से लटकती हुई होती है। यह उत्तरी यूरेशिया और उत्तरी अमेरिका का मूल निवासी है।

कई कारणों से दुनिया भर में खासकर अमेरिका में मूस की आबादी कई सालों से लगातार घट रही है। वाशिंगटन स्टेट यूनिवर्सिटी के नए शोध में पाया गया है कि एलिओफोरा श्नाइडेरी, जिसे धमनी कीट के रूप में भी जाना जाता है, इसके कारण मूस की आबादी घट रही है।

शोधकर्ताओं ने मार्च 2020 से जुलाई 2022 के बीच इडाहो में मरे हुए शिरस मूस की जांच की। जबकि परजीवी राउंडवॉर्म ई. श्नाइडेरी उत्तरी इडाहो में पाए जाने वाले किसी भी जानवर में नहीं पाया गया, यह राज्य के दक्षिण पूर्वी हिस्से में अध्ययन किए गए 20 वयस्क मूस में से 10 में मौजूद था। संक्रमितों में से नौ की प्रमुख धमनियों में न केवल वयस्क कीड़े थे, बल्कि उनके मस्तिष्क माइक्रोफाइलेरिया से भरे हुए थे, जो परजीवी का शुरुआती जीवन चरण होता है।

जर्नल ऑफ वाइल्डलाइफ डिजीज में प्रकाशित शोध के हवाले से शोधकर्ता ने कहा, माइक्रोफाइलेरिया उनके पूरे मस्तिष्क में बिखरे हुए थे और भले ही हर एक से होने वाला नुकसान कम है, लेकिन वे पूरे मस्तिष्क को समाप्त करने की क्षमता रखते हैं। शोधकर्ताओं ने अनुमान लगाया है कि मस्तिष्क में बड़ी संख्या में माइक्रोफाइलेरिया के प्रभाव से रुग्णता में वृद्धि, बड़ी संख्या में परजीवी वाले मामलों में मृत्यु दर अधिक होने के भी आसार जताए गए हैं।

ई. श्नाइडेरी मुख्य रूप से घोड़े और हिरण में मक्खियों जैसी टैबनिड मक्खियों द्वारा फैलता है। परिपक्व कीड़े 4.5 इंच तक लंबे हो सकते हैं और आमतौर पर सिर और गर्दन के क्षेत्र में कैरोटिड धमनियों में पाए जाते हैं, जहां वे संभोग करते हैं और माइक्रोफाइलेरिया को रक्तप्रवाह में छोड़ देते हैं।

संक्रमण के कारण एलियोफोरोसिस नामक स्थिति उत्पन्न हो सकती है जिसमें पीड़ित की परिसंचरण प्रणाली बाधित हो जाती है। इससे अंधापन, असामान्य व्यवहार, कान और थूथन को नुकसान और मृत्यु तक हो सकती है। शोधकर्ताओं ने शोध में बताया कि उन्हें, हिरण, घरेलू और जंगली भेड़ और एल्क सहित विभिन्न प्रजातियों में संक्रमण की जानकारी मिली। मूस के विपरीत, खच्चर हिरण और काली पूंछ वाले हिरण को प्राकृतिक मेजबान माना जाता है और आमतौर पर इनमें संक्रमण के छोटे लक्षण नहीं दिखते हैं।

शोधकर्ता ने कहा कि वर्तमान में यह पता लगाने के लिए कोई परीक्षण उपलब्ध नहीं है कि जीवित मूस इसे परजीवी से संक्रमित है या नहीं।

शोधकर्ताओं की टीम ने इडाहो में 61 मरे हुए मूस की जांच की। शोधकर्ताओं ने बताया कि उन्हें उत्तरी इडाहो मूस या किशोरों में संक्रमण का कोई सबूत नहीं मिला, लेकिन दक्षिण पूर्वी इडाहो में अध्ययन किए गए वयस्क मूस में से 10 या आधे संक्रमित पाए गए। उन 10 में से तीन के कानों के सिरे क्षतिग्रस्त हो गए थे, यह स्थिति ई. श्नाइडेरी संक्रमण के कारण हुई थी। चार में मृत्यु से पहले असामान्य व्यवहार देखा गया, हो सकता है परजीवी से जुड़ी न्यूरोपैथोलॉजी के कारण ऐसा हुआ हो।

अपने निष्कर्षों और अन्य शोधों के आधार पर, शोध टीम ने संदेह जताया है कि कीटों के कारण मस्तिष्क को होने वाले नुकसान के कारण कारण मूस की फिटनेस कम हो सकती है, जिससे उनके शिकार का खतरा बढ़ सकता है और कभी-कभी मौत भी हो सकती है।

शोधकर्ता ने शोध के हवाले से कहा कि मूस की आबादी में गिरावट से संबंधित सभी मुद्दों को समझने की जरूरत है और इनके पीछे परजीवी कीट एक कारण हो सकता है।

अध्ययन ने इडाहो में ई. श्नाइडेरी कहां-कहां फैला है इसका भी पता लगाया। यह परजीवी दक्षिण पूर्वी इडाहो में भारी संख्या में फैला हुआ पाया गया। जो मुले हिरण की आबादी के साथ मेल खाता है।

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