पंजाब-हरियाणा से एमएसपी पर खरीद बंद करने की सिफारिश, किसानों को बोनस न दें राज्य

कृषि लागत और मूल्य आयोग ने सिफारिश की है कि अनाज गोदामों में स्टॉक को कम करने के लिए सरकारी खरीद कम की जाए और अनाज का इस्तेमाल पशुओं के चारे के लिए किया जाए

By Richard Mahapatra

On: Tuesday 22 September 2020
 
भारतीय खाद्य निगम के गोदाम में अनाज का स्टॉक ओवरफ्लो हो रहा है। फोटो: एफसीआई

भारत सरकार इन दिनों गोदामों में बढ़ते अनाज की चुनौती से जूझ रही है। एक ओर जहां, सरकारी एजेंसी हर सीजन में अनाज खरीदने का लगातार रिकॉर्डतोड़ रही है। वहीं खरीफ के इस सीजन में बंपर उत्पादन होने की संभावना है। इसके चलते चुनौती यह है कि यह अनाज रखा कहां जाएगा? लेकिन दूसरी बड़ी चुनौती यह है कि अगर यह अनाज बाजार में उतार दिया था तो कीमतों में जबरदस्त कमी आ सकती है। ऐसे में, यह स्पष्ट तौर पर कहा जा सकता है कि किसानों को उनके बंपर उत्पादन की सही कीमत नहीं मिल पाएगी।

इस साल मार्च से ही खाद्य और सार्वजनिक वितरण विभाग के अधिकारी अनाज गोदामों में बढ़ते स्टॉक के बारे में आगाह करते रहे हैं। लेकिन अब कृषि लागत और मूल्य आयोग (सीएसीपी) ने इस चिंता को और बढ़ा दिया है। सीएसीपी ने रबी और खरीफ सीजन के 2020-21 के विपणन सत्र के लिए जारी अपनी रिपोर्ट में सिफारिश की है कि बढ़ते बफर स्टॉक को देखते हुए सरकारी खरीद को रोक दिया जाना चाहिए। साथ ही, कहा है कि बफर स्टॉक को खुले बाजार में नहीं बेचा जाना चाहिए, क्योंकि यह बाजार की विकृति पैदा करेगा।

सीएसीपी ने यह भी सिफारिश की है कि सरकारी एजेंसियों को अतिरिक्त स्टॉक का निपटान करना चाहिए, भले ही इसका उपयोग पशु चारा के रूप में किया जाए। सीएसीपी ने एक और कठोर सिफारिश की है। सीएसीपी ने कहा है कि जो राज्य न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) से ऊपर किसानों को अतिरिक्त बोनस देते हैं, उसे बंद कर दिया जाना चाहिए, क्योंकि इससे बाजार पर बुरा असर पड़ता है और निजी क्षेत्र द्वारा की जा रही बिक्री हतोत्साहित होती है।

2 अप्रैल, 2020 को, केंद्रीय पूल में 73.85 मिलियन (7.38 करोड़) टन खाद्यान्न था। यह न केवल अब तक का सर्वाधिक उपलब्ध स्टॉक है, जबकि तय नियमों के अनुसार केंद्रीय पूल में 21.04 मिलियन टन खाद्यान्न ही रिजर्व रखा जा सकता है। लेकिन केंद्रीय पूल के पास 300 प्रतिशत अधिक स्टॉक था। इसी समय केंद्रीय पूल में 49.15 मिलियन टन का चावल का स्टॉक था, जो आवश्यक स्टॉक का लगभग चार गुना था।

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सरकार का नवीनतम अनुमान बताता है कि खरीफ की फसल ऐतिहासिक 140.57 मिलियन टन होगी। 21 सितंबर को, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति (सीसीईए) ने विपणन सीजन 2021-22 के लिए सभी अनिवार्य रबी फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) में वृद्धि की घोषणा की। उम्मीद है कि सरकार फिर से भारी मात्रा में खाद्यान्नों की खरीद करेगी।

भारतीय खाद्य निगम के अनुमानों के अनुसार, चावल और गेहूं के स्टॉक 1 जुलाई, 2021 तक लगभग 92 मिलियन टन के रिकॉर्ड स्तर तक पहुंचने की उम्मीद है, जो मानदंडों से 2.2 गुना अधिक है।

2020-21 खरीफ विपणन सत्र के लिए सीएसीपी ने सिफारिश की है कि  स्टॉक में जमा अतिरिक्त चावल को  राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम  और अन्य कल्याणकारी योजनाओं के तहत तीन माह तक आवंटन बढ़ा कर बांटा जाए, ताकि गोदाम में जगह खाली हो सके और स्टोरेज लागत में भी कमी लाई जा सके। इसके अलावा सीएसीपी ने कहा है कि अनाज गोदामों से पुराने स्टॉक को हटाकर इथेनॉल उत्पादन के काम लाया जाए या जानवरों के चारे के तौर पर इस्तेमाल किया जाए।

दरअसल, इस तरह की सिफारिशें इसलिए की जा रही हैं कि क्योंकि सरकार द्वारा इससे पहले गोदामों में जमा अतिरिक्त स्टॉक को खुले बाजार में बिक्री के लिए लाया गया तो उसके उत्साहजनक परिणाम सामने नहीं आए। अप्रैल 2019 में केंद्र सरकार ने ओपन मार्केट सेल स्कीम नामक एक योजना के माध्यम से खुले बाजार में गेहूं और चावल बेचने का फैसला किया। इसके तहत, 2019-20 के लिए सरकार ने खुले बाजार में 5 मिलियन टन बेचने का लक्ष्य रखा, लेकिन सरकार इस लक्ष्य का पांचवां हिस्सा ही बेच पाई।

सीएसीपी ने कहा है कि किसानों से ज्यादा से ज्यादा की जा रही सरकारी खरीद की वजह से अनाज गोदामों में स्टॉक बढ़ गया है। इससे फसल विविधीकरण का लक्ष्य भी प्रभावित हो रहा है। इसलिए सरकार को अपनी इस खुली खरीद नीति की समीक्षा करनी चाहिए।

सीएसीपी एक और बड़ी सिफारिश पर राजनीतिक रूप से विवाद हो सकता है। सीएसीपी की सिफारिश है कि पंजाब और हरियाणा जैसे राज्यों से सरकारी खरीद बंद कर देनी चाहिए, क्योंकि यहां भूजल की काफी है। इसके दूसरी सिफारिश है कि राज्य सरकारें किसानों को एमएसपी के ऊपर बोनस देना बंद कर दें।

रिपोर्ट में तर्क दिया गया है: “ यदि पंजाब और हरियाणा के किसानों से केवल दो हेक्टेयर क्षेत्र में उगे धान की ही खरीद की जाए तो वर्तमान में की जा रही लगभग 15.3 मिलियन टन की सरकारी खरीद घटकर लगभग 10.3 मिलियन हो जाएगी। ” पंजाब में 95 प्रतिशत से अधिक धान किसान सरकारी खरीद प्रणाली के तहत आते हैं, जबकि हरियाणा में इन किसानों की संख्या 70 प्रतिशत है। उत्तर प्रदेश में 3.6 प्रतिशत और बिहार में 1.7 प्रतिशत है।

ओवरफ्लो हो रहे स्टॉक के संकट का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि सीएसीपी अब केंद्र सरकार को उन राज्यों से अनाज नहीं खरीदने की सिफारिश कर रहा है जो केंद्र सरकार द्वारा घोषित एमएसपी के ऊपर अतिरिक्त बोनस प्रदान करते हैं। उल्लेखनीय है कि केरल, छत्तीसगढ़ और ओडिशा सहित कई राज्य किसानों को बेहतर कीमत दिलाने के लिए एमएसपी से अधिक का बोनस देते हैं।

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सीएसीपी की रिपोर्ट में सुझाव दिया गया है, “खरीद पर उच्च और आकस्मिक शुल्क लगाने वाले और किसानों को बोनस का भुगतान करने वाले राज्यों से चावल और गेहूं की खरीद को प्रतिबंधित किया जाना चाहिए।“

आइए, एक बार फिर इस सीजन में होने वाली बम्पर फसल की बात करते हैं। यह एक महत्वपूर्ण सवाल है कि क्या इससे किसानों को अधिक या बहुत अधिक आर्थिक आमदनी होगी। धान जैसे खाद्यान्नों का पूर्वानुमान बड़े स्टॉक के कारण कम हो जाएगा और वैश्विक स्तर पर इसकी मांग भी कम होगी। यदि सरकार अपने अत्यधिक स्टॉक के साथ बाजार में उतारने का फैसला करती है, इससे सप्लाई तो बढ़ जाएगी, लेकिन कीमतें कम हो जाएंगी।

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