दो वर्षों में 1,200 से ज्यादा गायों की मौत, उच्च न्यायालय ने आरोपों की पुष्टि के लिए जांच के दिए आदेश

कोर्ट का यह आदेश एक जनहित याचिका पर आया है, जिसमें कुप्रबंधन और गायों की बड़े पैमाने पर की जा रही उपेक्षा के चलते दो वर्षों में 1,200 से अधिक गायों की मौत का आरोप लगाया था

By Susan Chacko, Lalit Maurya

On: Friday 22 December 2023
 
भारतीय गलियों में आराम करती गायें; फोटो: आईस्टॉक

हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय ने 21 दिसंबर 2023 कांगड़ा में जिला विधिक सेवा प्राधिकरण (डीएलएसए) के सचिव को निर्देश दिए हैं कि वो कांगड़ा के लुथान में स्थित राधे कृष्ण गाय अभयारण्य की जांच करें। इसका उद्देश्य याचिकाकर्ता द्वारा लगाए कुप्रबंधन के दावों की जांच करना है। इसके साथ ही कोर्ट ने सचिव को अगली सुनवाई से पहले रिपोर्ट सबमिट करने को कहा है। मामले में अगली सुनवाई 10 जनवरी, 2024 को होगी।

बता दें कि कोर्ट का यह आदेश पवन कुमार द्वारा दायर एक जनहित याचिका (पीआईएल) पर आया है, जिसमें कुप्रबंधन और गायों की बड़े पैमाने पर की जा रही उपेक्षा के चलते केवल दो वर्षों के भीतर 1,200 से अधिक गायों की मौत का आरोप लगाया था।

नजफगढ़ झील को पुनर्जीवित करने के लिए उठाए कदमों पर भारतीय वेटलैंड प्राधिकरण ने सौंपी रिपोर्ट

दस अक्टूबर, 2023 को हुई अपनी बैठक में, उच्च-स्तरीय समिति (एचएलसी) ने कहा है कि नजफगढ़ झील के कायाकल्प की योजना के लिए काफी जमीन की आवश्यकता है। ऐसे में समिति के मुताबिक आवश्यक और उपलब्ध दोनों जमीनों के आधार पर क्षेत्र का आकलन किया जाना चाहिए।

गौरतलब है कि दक्षिण पश्चिम दिल्ली के जिला मजिस्ट्रेट के नेतृत्व में नजफगढ़ वेटलैंड्स समिति को नजफगढ़ झील के लिए एक यथार्थवादी आकार निर्धारित करने के लिए कहा गया था। यह जानकारी पर्यावरण प्रबंधन योजना (ईएमपी) को तदनुसार संशोधित करने या अंतिम रूप देने में मदद करेगी।

यह जानकारी भारतीय वेटलैंड प्राधिकरण ने अपनी रिपोर्ट में दी है। इस रिपोर्ट में दिल्ली-गुड़गांव सीमा पर स्थित नजफगढ़ झील को पुनर्जीवित करने के लिए उठाए गए कदमों की रूपरेखा दी गई है।

इस झील का कुछ हिस्सा राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीटी) दिल्ली और कुछ हरियाणा में स्थित है। वहीं पता चला है कि दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति (डीपीसीसी) द्वारा तिमाही आधार पर पानी की गुणवत्ता की निगरानी की जा रही है। 

लखनऊ के अकबर नगर में तोड़फोड़ पर इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने लगाई रोक

इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने अगली तारीख तक लखनऊ के अकबर नगर- I और II में तोड़फोड़ पर अस्थाई तौर पर रोक लगा दी है। आदेश में स्पष्ट किया गया है कि पूरे क्षेत्र में कोई तोड़फोड़ नहीं होनी चाहिए। आदेश के अनुसार लखनऊ विकास प्राधिकरण को योजना के तहत आवेदन करने के लिए वहां रह रहे लोगों को चार सप्ताह का समय देना चाहिए।

इस दौरान निवासी अपने आवेदन जमा करने के लिए पूरी तरह स्वतंत्र हैं। इस अवधि के बाद, लखनऊ विकास प्राधिकरण को उन लोगों के पुनर्वास के लिए तुरंत कदम उठाने चाहिए जिन्होंने योजना के तहत आवेदन किया है। उसके बाद उनके कब्जे वाले परिसर को खाली करवाकर कब्जा हासिल किया जाना चाहिए।

उच्च न्यायालय ने कहा है कि पहली दृष्टि में याचिकाकर्ता अपने स्वामित्व को साबित नहीं कर पाए हैं। हालांकि इसपर उनका कब्जा था, भले ही वो अवैध है। हालांकि अदालत ने चिंता व्यक्त की है कि प्रभावित लोगों को स्थानांतरित करने की योजना का इन्तजार किए बिना अपेक्षाकृत गरीब तबके के घरों को  ध्वस्त करने की योजना बनाई गई है। अदालत के मुताबिक इससे इन गरीब निवासियों को कड़ी सर्दियों की निर्मम स्थिति का सामना करना पड़ेगा।

हाई कोर्ट के मुताबिक अनुच्छेद 21 से प्राप्त अधिकारों में आजीविका कमाने का अधिकार शामिल है, जो इस कृत्य से प्रभावित होगा और यह सुनिश्चित करना राज्य और उसकी संस्थाओं की जिम्मेवारी है कि उसके द्वारा अपने अन्य दायित्वों को पूरा करते समय भारतीय संविधान के अनुच्छेद 21 का उल्लंघन न हो। कोर्ट के अनुसार इसमें पुनर्वास का दायित्व भी शामिल है, और जिसका निर्वहन लखनऊ विकास प्राधिकरण द्वारा भी किया जा रहा है।

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