मवेशियों की बढ़ती समस्या पर उच्च न्यायालय ने गुजरात सरकार को लगाई फटकार

यहां पढ़िए पर्यावरण सम्बन्धी मामलों के विषय में अदालती आदेशों का सार

By Lalit Maurya

On: Wednesday 12 July 2023
 

उच्च न्यायालय ने गुजरात और अहमदाबाद नगर निगम (एएमसी) को फटकार लगाते हुए कहा है कि पिछले चार वर्षों में बार-बार निर्देश दिए जाने के बाद भी, मवेशियों की समस्या से निपटने के लिए अब तक कोई नीति या दिशानिर्देश पारित नहीं किए गए हैं।

11 जुलाई 2023 को उच्च न्यायालय ने निर्देश दिया है कि राज्य इससे जुड़ी नीति तैयार करे या उसके लिए प्रशासनिक निर्देश जारी करे। साथ ही पूरे राज्य में मवेशियों की समस्या पर नियंत्रण करने के लिए उठाए जाने वाले कदमों पर भी स्पष्टीकरण दे।

वहीं अहमदाबाद नगर निगम (एएमसी) ने अदालत को जानकारी दी है कि उन्होंने मवेशियों की समस्या से निपटने के लिए पहले ही नीति तैयार कर ली है। हालांकि इस नीति को आगे की समीक्षा और परीक्षण के लिए अप्रैल 2023 में स्थाई समिति ने वापस कर दिया गया था।

वास्तव में, उच्च न्यायालय के निर्देशानुसार गुजरात सरकार को भी एक नीति या दिशानिर्देश तैयार करना था, जिसे नगरपालिकाओं और राज्य नगर निगमों पर लागू किया जा सके। हालांकि उच्च न्यायालय ने पाया है कि चार वर्षों के दौरान अदालत द्वारा बार-बार निर्देश दिए जाने के बावजूद, न तो अहमदाबाद नगर निगम (एएमसी) और न ही गुजरात सरकार ने परिपत्रों और प्रस्तावों के रूप में कोई ठोस नीति, दिशानिर्देश या प्रशासनिक निर्देश तैयार किए हैं।

सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली के उपराज्यपाल को यमुना प्रदूषण पैनल का प्रमुख नामित करने के आदेश पर लगाई रोक

सुप्रीम कोर्ट ने 11 जुलाई, 2023 को नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) के उस आदेश पर रोक लगा दी है, जिसमें दिल्ली के उपराज्यपाल (एलजी) को यमुना नदी की बहाली से जुड़े मुद्दों के समाधान के लिए गठित समिति का नेतृत्व करने के लिए कहा गया था।

सुप्रीम कोर्ट का कहना है कि एनजीटी द्वारा 9 जनवरी, 2023 को जारी निर्देश के क्रियान्वयन पर उस हद तक रोक रहेगी, जिसमें उपराज्यपाल को समिति का सदस्य बनने और उसकी अध्यक्षता करने का निर्देश दिया गया है। हालांकि समिति अपना कार्य जारी रखेगी। यह आदेश भारत के मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति पमिदिघनतम श्री नरसिम्हा और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की बेंच द्वारा दिया गया।

एनजीटी के आदेश को चुनौती देने वाली यह याचिका दिल्ली सरकार ने दायर की थी।

शिलांग-डावकी सड़क परियोजना के लिए पेड़ों को नहीं काटा जाएगा: मेघालय उच्च न्यायालय

मेघालय उच्च न्यायालय ने 11 जुलाई, 2023 को दिए अपने आदेश में स्पष्ट कर दिया है कि सभी प्रक्रियाओं को मंजूरी मिलने तक शिलांग-डावकी सड़क परियोजना के लिए शिलांग में पेड़ों नहीं काटा जाएगा।

इस मामले में कोर्ट ने निर्देश दिया है कि जब तक इस सड़क परियोजना के पैकेज I के लिए काम आधिकारिक तौर पर किसी ठेकेदार को नहीं दिया जाता तब तक पेड़ों की कटाई नहीं की जानी चाहिए। यह ठेकेदार भारतीय भू-चुंबकत्व संस्थान की वेधशाला के पास भी बिना किसी बाधा के निर्माण करने के योग्य होना चाहिए।

गौरतलब है कि जापानी फंडिंग के तहत शिलांग-डावकी सड़क परियोजना को पांच पैकेजों में बांटा गया है। गौरतलब है कि कौस्तव पॉल द्वारा दायर जनहित याचिका पैकेज I के रूप में शिलांग में की जाने वाली पेड़ों की कटाई से संबंधित है।

इस मामले में राज्य द्वारा दायर स्थिति रिपोर्ट के मुताबिक इस काम के लिए लगाई गई बोलियों का तकनीकी मूल्यांकन किया जा रहा है। पिछले ठेकेदार द्वारा परियोजना छोड़ने के बाद पहले पैकेज के लिए काम अभी तक किसी दूसरे ठेकेदार को आबंटित नहीं किया गया है।

​अगर ठेकेदार चुन भी लिया जाता है तो भी भारतीय भू-चुंबकत्व संस्थान अपनी जमीन का कोई भी हिस्सा छोड़ने के लिए तैयार नहीं है। वहीं राष्ट्रीय राजमार्ग एवं संरचना विकास निगम लिमिटेड का मानना है कि भारतीय भू-चुंबकत्व संस्थान की वेधशाला की भूमि पर अतिक्रमण से बचने के लिए अब सड़क का रास्ता बदलना संभव नहीं है।

उच्च न्यायालय के मुताबिक ऐसे में भले ही ठेकेदार चुन लिया जाए, तो भी जब तक आईआईजी नरम रुख नहीं अपनाता तब तक पैकेज I के लिए काम नहीं किया जा सकता। वहीं जहां तक परियोजना के अन्य हिस्सों का सवाल है, भूमि मालिकों के साथ कई अन्य समस्याएं हैं। हालांकि आदेश के अनुसार जिन क्षेत्रों में कोई विवाद नहीं है वहां कुछ काम किए गए हैं। लेकिन ऐसा लगता है कि परियोजना का कोई भी पैकेज आगे के निर्माण के लिए तैयार नहीं है। 

Subscribe to our daily hindi newsletter