तेजी से गर्म होती नदियों से ऑक्सीजन हो रही है गायब, जलीय जीवों के जीवन पर बढ़ा संकट

अध्ययन के मुताबिक, अगले 70 वर्षों के भीतर कम ऑक्सीजन स्तर के कारण मछलियों की कुछ प्रजातियां पूरी तरह से मर सकती हैं और जलीय विविधता को भारी खतरा होगा

By Dayanidhi

On: Tuesday 19 September 2023
 

पेन स्टेट के नेतृत्व में किए गए एक अध्ययन के अनुसार, नदियां गर्म हो रही हैं और महासागरों की तुलना में तेजी से ऑक्सीजन खो रही हैं। अध्ययन से पता चलता है कि लगभग 800 नदियों में से 87 फीसदी का तापमान बढ़ गया है और 70 फीसदी में ऑक्सीजन गायब हो गई है।

नेचर क्लाइमेट चेंज पत्रिका में प्रकाशित अध्ययन में यह भी अनुमान लगाया गया है कि, अगले 70 वर्षों के भीतर, नदी प्रणालियों में, ऑक्सीजन के कम स्तर के कारण नदियों में मछली की कुछ प्रजातियों की तेजी से मौत हो सकती है। ऑक्सीजन की यह कमी जलीय विविधता को खतरे में डाल सकती हैं। 

अध्ययनकर्ता ने कहा कि, जलवायु में तेजी से होते बदलाव के कारण महासागरों में गर्मी और ऑक्सीजन की कमी हो गई है, लेकिन बहती, उथली नदियों में ऐसा होने की उम्मीद नहीं थी। उन्होंने कहा, यह नदियों में तापमान परिवर्तन और डीऑक्सीजनेशन दर पर व्यापक नजर डालने वाला पहला अध्ययन है। अध्ययनकर्ताओं ने जो देखा उसका दुनिया भर में पानी की गुणवत्ता और जलीय पारिस्थितिक तंत्र के स्वास्थ्य पर भारी असर पड़ता है।

अंतरराष्ट्रीय शोध टीम ने अमेरिका और मध्य यूरोप की लगभग 800 नदियों से ऐतिहासिक रूप से कम जल गुणवत्ता के आंकड़ों का पुनर्निर्माण करने के लिए कृत्रिम बुद्धिमत्ता का उपयोग किया।

उन्होंने पाया कि महासागरों की तुलना में नदियां तेजी से गर्म हो रही हैं और ऑक्सीजन खो रही हैं, जिसका जलीय जीवन और मनुष्यों के जीवन पर गंभीर प्रभाव पड़ सकता है। राष्ट्रीय समुद्री और वायुमंडलीय प्रशासन का अनुमान है कि अधिकांश अमेरिकी नदी या नाले के एक मील के भीतर रहते हैं।

अध्ययन के हवाले से, पेन स्टेट में सिविल और पर्यावरण इंजीनियरिंग विभाग के सहायक प्रोफेसर और प्रमुख अध्ययनकर्ता वेई जी ने कहा कि, नदी के पानी का तापमान और घुलनशील ऑक्सीजन का स्तर पानी की गुणवत्ता और पारिस्थितिकी तंत्र के स्वास्थ्य के आवश्यक हिस्से हैं।

फिर भी उन्हें कमतर आंका जाता है क्योंकि विभिन्न नदियों को लेकर लगातार आंकड़ों की कमी और इसमें शामिल कई तरह की बदलने वाली चीजो के कारण उनकी मात्रा निर्धारित करना कठिन है जो प्रत्येक वाटरशेड में ऑक्सीजन के स्तर को बदल सकते हैं।

उन्होंने बताया कि शोध टीम ने विभिन्न नदियों में व्यवस्थित तुलना को सक्षम बनाने के लिए आंकड़ों के पुनर्निर्माण के लिए नया दृष्टिकोण विकसित किया।

अध्ययनकर्ता ने कहा, यदि आप इसके बारे में सोचते हैं, तो पानी में जीवन तापमान और घुलनशील ऑक्सीजन पर निर्भर करता है, जो सभी जलीय जीवों के लिए जीवन रेखा है। उन्होंने कहा, हम जानते हैं कि मैक्सिको की खाड़ी जैसे तटीय क्षेत्रों में अक्सर गर्मियों में मृत क्षेत्र होते हैं। इस अध्ययन से हमें पता चलता है कि यह नदियों में भी ऐसा हो सकता है, क्योंकि कुछ नदियां अब पहले की तरह जीवन को बनाए रखने में सफल नहीं होंगी।

उन्होंने बताया कि, नदियों में ऑक्सीजन की कमी या डीऑक्सीजनेशन से भी ग्रीनहाउस गैसों का उत्सर्जन होता है और जहरीली धातुएं निकलती हैं।

विश्लेषण करने के लिए, शोधकर्ताओं ने अमेरिका की 580 नदियों और मध्य यूरोप की 216 नदियों के लिए वार्षिक वर्षा दर, मिट्टी के प्रकार से लेकर सूर्य के प्रकाश तक के आंकड़ों की एक विस्तृत श्रृंखला पर एक कंप्यूटर मॉडल को प्रशिक्षित किया। मॉडल में पाया गया कि पिछले चार दशकों में 87 फीसदी नदियां गर्म हो रही हैं और 70 फीसदी ऑक्सीजन खो रही हैं।

अध्ययन से पता चला कि शहरी नदियों में सबसे तेजी से तापमान बढ़ रहा है, जबकि कृषि नदियों में सबसे धीमी गति से तापमान बढ़ रहा है, लेकिन तेजी से डीऑक्सीजनेशन हो रहा है। उन्होंने भविष्य की दरों का पूर्वानुमान लगाने के लिए भी मॉडल का उपयोग किया और पाया कि जिन सभी नदियों का उन्होंने अध्ययन किया, उनमें भविष्य में ऑक्सीजन की कमी की दर ऐतिहासिक दरों की तुलना में 1.6 से 2.5 गुना अधिक थी।

नदियों में ऑक्सीजन की कमी अप्रत्याशित है क्योंकि हम आमतौर पर मानते हैं कि नदियां झीलों और महासागरों जैसे बड़े जल निकायों में उतनी ऑक्सीजन नहीं खोती हैं, लेकिन हमने पाया कि नदियां तेजी से ऑक्सीजन खो रही हैं। यह वास्तव में चिंताजनक था, क्योंकि यदि ऑक्सीजन का स्तर काफी कम हो जाता है, तो यह जलीय जीवन के लिए खतरनाक हो जाता है।

मॉडल ने पूर्वानुमान लगाया की कि, अगले 70 वर्षों के भीतर, लंबे समय तक कम ऑक्सीजन स्तर के कारण मछलियों की कुछ प्रजातियां पूरी तरह से मर सकती हैं और जलीय विविधता को भारी खतरा होगा।

अध्ययनकर्ता ने कहा, नदियां मनुष्य समेत कई प्रजातियों के अस्तित्व के लिए आवश्यक हैं, लेकिन हमारी बदलती जलवायु को समझने के तंत्र के रूप में उन्हें ऐतिहासिक रूप से नजरअंदाज कर दिया गया है। यह हमारी पहली वास्तविक नजर है कि दुनिया भर में नदियों की हालत कैसी है, और यह परेशान करने वाला है।

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