बढ़ते तापमान के चलते झीलों से तेजी से गायब हो रही है ऑक्सीजन

महासागरों की तुलना में झीलों से 2.75 से 9.3 गुना तेजी से गायब हो रही है ऑक्सीजन

By Dayanidhi

On: Thursday 03 June 2021
 
Photo:Wikimedia Commons

बढ़ते तापमान के चलते दुनिया की ताजे पानी की झीलों में ऑक्सीजन का स्तर तेजी से घट रहा है। ऑक्सीजन महासागरों की तुलना में झीलों से बहुत तेजी से कम हो रही है। जलवायु परिवर्तन की वजह से ताजे पानी (फ्रेश वाटर) की जैव विविधता अर्थात इसमें रहने वाले जीवों और पीने के पानी की गुणवत्ता दोनों को खतरा है।

शोध में पाया गया कि समशीतोष्ण क्षेत्र में सर्वेक्षण में शामिल की गई झीलों में ऑक्सीजन का स्तर 1980 के बाद से सतह पर 5.5 फीसदी और गहरे पानी में 18.6 फीसदी तक गिर गया है। इस बीच, ज्यादातर पोषक तत्वों से प्रदूषित झीलों में, सतह पर ऑक्सीजन के स्तर में वृद्धि हुई क्योंकि पानी का बढ़ता तापमान एक सीमा पार कर गया जिसकी वजह से साइनोबैक्टीरिया जो हानिकारक शैवालों को उगने में मदद करने लगा और उन्होंने पानी में विषाक्त पदार्थ पैदा करना शुरू किया।

रेंससेलर पॉलिटेक्निक इंस्टीट्यूट के अध्ययनकर्ता और प्रोफेसर केविन रोज ने कहा सभी तरह के जीव ऑक्सीजन पर निर्भर करते हैं। यह जलीय भोजन प्रणाली का सहारा भी है। जब ऑक्सीजन की कमी होना शुरू होती हैं, तो प्रजातियों का भी नुकसान होता है। झीलें महासागरों की तुलना में 2.75 से 9.3 गुना तेजी से ऑक्सीजन खो रही हैं। यह एक ऐसी गिरावट है जिसका प्रभाव पूरे देश की पारिस्थितिकी तंत्र पर पड़ेगा।

शोधकर्ताओं ने 1941 से दुनिया भर की लगभग 400 झीलों से एकत्रित कुल 45,000 से अधिक घुली हुई ऑक्सीजन और तापमान संबंधी आंकड़ों का विश्लेषण किया। अधिकांश लंबे समय के रिकॉर्ड समशीतोष्ण क्षेत्र में एकत्र किए गए थे, जो 23 से 66 डिग्री उत्तर और दक्षिण अक्षांश तक फैले हुए हैं। जैव विविधता के अलावा, जलीय पारिस्थितिक तंत्र में घुली हुई ऑक्सीजन की सांद्रता ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन, पोषक जैव-भू-रसायन और आखिर में यह मानव स्वास्थ्य को प्रभावित करती है।

प्रमुख अध्ययनकर्ता स्टीफन एफ. जेन ने कहा हालांकि झीलें पृथ्वी की सतह का लगभग 3 फीसदी ही हैं, लेकिन उनमें ग्रह की जैव विविधता समाहित होती है। बदलाव ताजे पानी के पारिस्थितिकी तंत्र पर पड़ने वाले प्रभाव और सामान्य रूप से पर्यावरण में बदलाव होने से संबंधित है।

जेन ने कहा कि झीलें पर्यावरण परिवर्तन और पर्यावरण के लिए संभावित खतरों की और इशार करने वाले या इन्हें 'प्रहरी' भी कहा जा सकता है। क्योंकि इनसे वातावरण में हो रहे बदलावों का पता चलता है। हमने पाया कि ये असमान रूप से जैव विविधता प्रणालियां तेजी से बदल रही हैं, यह इस बात की ओर इशारा है कि काफी हद तक हो रहे वायुमंडलीय परिवर्तनों ने पहले से ही पारिस्थितिक तंत्र पर बुरा असर डाला है।

सतही जल के ऑक्सीजन में कमी ज्यादातर भौतिकी पर निर्भर होता है। जैसे-जैसे सतही जल के तापमान में .38 डिग्री सेंटीग्रेड प्रति दशक की वृद्धि हुई, सतही जल में घुली हुई ऑक्सीजन की सांद्रता में .11 मिलीग्राम प्रति लीटर प्रति दशक की गिरावट आई।

रोज ने कहा पानी में जो ऑक्सीजन की मात्रा होती है, वह तापमान बढ़ने पर नीचे चली जाती है। यह एक जाना पहचाना प्राकृतिक संबंध है और इससे सतही ऑक्सीजन के बारे में विस्तार से पता चलता है।

हालांकि, कुछ झीलों में एक साथ घुली हुई ऑक्सीजन और तापमान में वृद्धि का पता चलता है। ये झीलें कृषि और वाटरशेड से आने वाले पोषक तत्वों से अधिक प्रदूषित होती हैं और इनमें क्लोरोफिल की सांद्रता बहुत अधिक होती है। हालांकि अध्ययन में फाइटोप्लांकटन टैक्सोनोमिक माप शामिल नहीं थी, गर्म तापमान और अधिक पोषक तत्व साइनोबैक्टीरिया को पनपने में मदद करते हैं, जिसके कारण सतह के पानी में पौधे प्रकाश संश्लेषण नहीं कर पाते हैं।

नेचर में प्रकाशित शोध के आधार पर इस बात की भी तस्दीक की जा सकती है कि हम कुछ झीलों में बढ़ती हुई ऑक्सीजन देख रहे हैं, संभावित रूप से इनमें शैवालों के उगने में व्यापक वृद्धि की ओर इशारा करते है, जिनमें से कुछ शैवाल विषाक्त पदार्थ पैदा करते हैं और हानिकारक होते हैं।

ऑक्सीजन सांद्रता पानी की गुणवत्ता की कई अन्य विशेषताओं को नियंत्रित करती है। जब ऑक्सीजन के स्तर में गिरावट आती है, तो बैक्टीरिया जो ऑक्सीजन के बिना वातावरण में पनपते हैं, जैसे कि शक्तिशाली ग्रीनहाउस गैस मीथेन का उत्पादन करने वाले बैक्टीरिया पनपने लगते हैं। इससे इस बात का पता चलता है कि झीलें ऑक्सीजन की कमी के परिणामस्वरूप मीथेन की बढ़ी हुई मात्रा को वातावरण में छोड़ रही हैं। इसके अतिरिक्त, तलछट कम ऑक्सीजन की स्थिति में अधिक फास्फोरस छोड़ते हैं।

स्कूल ऑफ साइंस के डीन कर्ट ब्रेनमैन ने कहा कि शोध से पता चला है कि दुनिया के महासागरों में ऑक्सीजन का स्तर तेजी से घट रहा है। यह अध्ययन अब यह साबित करता है कि ताजे पानी में समस्या और भी गंभीर है, हमारे पीने के पानी की आपूर्ति और नाजुक संतुलन ताजे पानी के पारिस्थितिक तंत्र को पनपने में सक्षम बनाता है। ब्रेनमैन ने कहा हमें उम्मीद है कि इस खोज से जलवायु परिवर्तन के लगातार बढ़ रहे हानिकारक प्रभावों को दूर करने के प्रयासों में मदद मिलेगी।

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