जम्मू-कश्मीर के थाथरी में हुए भू-धंसाव के सभी पीड़ितों को मिले मुआवजा: एनजीटी

एनजीटी ने अपने एक आदेश में कहा है कि थाथरी भू-धंसाव में प्रभावित सभी लोगों को जम्मू-कश्मीर सरकार द्वारा मुआवजा दिया जाना चाहिए

By Susan Chacko, Lalit Maurya

On: Wednesday 13 December 2023
 

नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने 11 दिसंबर, 2023 को दिए अपने आदेश में कहा है कि थाथरी के नई बस्ती में हुए भू-धंसाव से प्रभावित सभी लोगों को जम्मू कश्मीर सरकार द्वारा मुआवजा दिया जाना चाहिए, भले ही सम्बंधित भूमि पर अवैध तौर पर कब्जा किया गया हो।

अपने निर्देश में ट्रिब्यूनल ने कहा है कि अधिकारियों की निष्क्रियता या निगरानी की कमी चलते भूमि पर अवैध कब्जा और निर्माण संभव हुआ है। साथ ही कार्रवाई में विफलता की वजह से ही प्रभावित व्यक्तियों ने इस भूमि पर निर्माण किया है। ऐसे में कोर्ट ने इस निर्माण के लिए राज्य की निष्क्रियता को जिम्मेवार माना है।

वहीं प्रधान सचिव का कहना है कि मुख्य सचिव के नेतृत्व में एनजीटी द्वारा गठित समिति को स्थिति की दोबारा समीक्षा करने और इस मामले में निर्णय लेने का अवसर दिया जाना चाहिए, ताकि प्रभावित लोगों की भलाई पर विचार किया जा सके, जो इसके लिए जिम्मेवार नहीं हैं। उन्होंने इसके लिए कोर्ट से दो सप्ताह का समय मांगा है। ऐसे में एनजीटी ने इस मामले की दोबारा जांच करने और दो सप्ताह के भीतर कार्रवाई रिपोर्ट सौंपने का निर्देश दिया है। इस मामले में अगली सुनवाई 13 फरवरी, 2024 को होगी।

बता दें कि यह मामला कोर्ट द्वारा स्वत: संज्ञान में लिया गया है। जो जम्मू-कश्मीर के डोडा जिले में 21 संरचनाओं को हुए नुकसान से संबंधित है। इसके लिए भू धंसाव को जिम्मेवार माना गया है। इस मामले में ट्रिब्यूनल द्वारा गठित समिति ने अपनी रिपोर्ट में सिफारिश की है कि थाथरी के नई बस्ती में प्रभावित 24 घरों में रहने वाले लोगों को मौजूदा कानूनों के दायरे में सुरक्षित स्थानों पर स्थानांतरित करने की जरूरत है।

वहीं जम्मू-कश्मीर ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि ऐसे 14 मामलों की पहचान की है जहां रेड जोन में मौजूद घरों में दरारें आई हैं या वो नष्ट हो गए हैं। उन मकानों का गंभीर क्षति हुई है। हालांकि रिपोर्ट के अनुसार वो लोग मुआवजे के हकदार नहीं हैं क्योंकि वे जमीन पर अवैध रूप से कब्जा कर रह रहे थे।

जांच में समिति के ढुलमुल रवैये पर एनजीटी ने जताई कड़ी नाराजगी, जानिए क्या था पूरा मामला

नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने नैना देवी हिमालयन बर्ड कंजर्वेशन रिजर्व में होटलों द्वारा अवैध सड़क निर्माण के आरोपों की जांच के लिए गठित संयुक्त समिति द्वारा दिखाए ढुलमुल रवैये पर कड़ी नाराजगी जताई है। मामला उत्तराखंड में नैनीताल के बूढ़-पंगोट का है।

ऐसे में कोर्ट ने 15 दिसंबर 2023 को उत्तराखंड के वन्यजीव वार्डन, उत्तराखंड प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के सदस्य सचिव और नैनीताल के जिला मजिस्ट्रेट को कोर्ट के सामने उपस्थित होने को कहा है। साथ ही कोर्ट ने उन्हें यह भी बताने का आदेश दिया है कि कोर्ट द्वारा 21 सितंबर, 2023 को दिए आदेश का पालन क्यों नहीं किया गया और क्यों अब तक इस मामले में कोई रिपोर्ट दाखिल नहीं की गई है।

गौरतलब है कि एनजीटी अधिनियम, 2010 की धारा 14 और 15 के तहत दायर आवेदन में, आवेदक मनोज सिंह ने आरोप लगाया है कि कुछ होटल मालिकों ने वन विभाग के सहयोग से आरक्षित वन भूमि को ध्वस्त कर दिया है। साथ ही उन्होंने उत्तराखंड के  नैनीताल में नैना देवी हिमालयन बर्ड कंजर्वेशन रिजर्व में सड़क का निर्माण किया है।

आरोप है कि इस सड़क का निर्माण 2017 में किया गया था। इसके बाद किनारों पर वन भूमि को काटकर सड़क को चौंड़ा करने का काम दिसंबर 2022 तक जारी रहा। आवेदक ने इसे इसे वन संरक्षण अधिनियम, 1980 और पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय द्वारा 28 मार्च, 2019 को जारी दिशानिर्देशों का उल्लंघन बताया है।

हरियाणा ने सीवेज और अपशिष्ट उपचार क्षमता के विकास में की है महत्वपूर्ण प्रगति: रिपोर्ट

हरियाणा पर्यावरण विभाग ने 12 दिसंबर, 2023 को एनजीटी के समक्ष दायर अपनी अंतरिम रिपोर्ट में कहा है कि राज्य में सीवेज और अपशिष्ट उपचार क्षमता के  विकास में महत्वपूर्ण प्रगति हुई है। इसके साथ ही हरियाणा लगातार राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन को यमुना और घग्गर नदी कार्य योजनाओं पर मासिक प्रगति रिपोर्ट भेजता रहा है।

रिपोर्ट में यह भी जानकारी दी गई है कि वहां मौजूद सीवेज उपचार संयंत्रों (एसटीपी) की संख्या 156 से बढ़कर 196 हो गई है। इसके साथ ही सीवेज उपचार क्षमता में भी इजाफा हुआ है, जो 1,835 एमएलडी से बढ़कर 1,965 एमएलडी हो गई है। मौजूदा समय में राज्य में 300 एमएलडी क्षमता वाले 12 अतिरिक्त एसटीपी का निर्माण किया जा रहा है और उनके दिसंबर 2024 तक पूरा होने की उम्मीद है। इसके अलावा, भविष्य में जनसंख्या में होती वृद्धि को देखते हुए 410 एमएलडी क्षमता के पांच और एसटीपी प्रस्तावित हैं।

रिपोर्ट का यह भी कहना है कि मौजूदा कॉमन एफ्लुएंट ट्रीटमेंट प्लांट (सीईटीपी) की संख्या भी 19 से बढ़कर 22 हो गई है और उनकी कुल स्थापित उपचार क्षमता 190 एमएलडी से बढ़कर 215 एमएलडी पर पहुंच गई है।

साथ ही राज्य में कुल 126 एमएलडी क्षमता वाले सात और सीईटीपी स्थापित करने की योजना है। वहीं प्रस्तावित 2,282 किलोमीटर लंबी सीवर लाइन वर्तमान में निर्माणाधीन है, जिसमें से 2,123 किलोमीटर सीवर लाइन पहले ही बिछाई जा चुकी है, और शेष काम दिसंबर 2024 तक पूरा होने की उम्मीद है।

इसके साथ ही हरियाणा ने पहले चरण में 27 एसटीपी से निकले सीवेज के उपचार के बाद पुनः उपयोग की योजना बनाई है। इनकी कुल क्षमता करीब 326.5 एमएलडी है। चरण-1 में पहले एसटीपी का निर्माण 31 दिसंबर, 2023 तक पूरा होने की उम्मीद है, जबकि चरण-1 के सभी एसटीपी का काम 31 मार्च, 2025 तक पूरा होने की सम्भावना है।

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