पर्यावरण मंजूरी की शर्तों के पालन के संबंध में एसईआईएए और एसपीसीबी के निगरानी तंत्र की होने चाहिए समीक्षा: एनजीटी

यहां पढ़िए पर्यावरण सम्बन्धी मामलों के विषय में अदालती आदेशों का सार

By Susan Chacko, Lalit Maurya

On: Wednesday 26 April 2023
 

नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने निर्देश दिया है कि पर्यावरण मंजूरी (ईसी) की शर्तों के पालन के लिए राज्य पर्यावरण प्रभाव आकलन प्राधिकरण (एसईआईएए) और राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (एसपीसीबी) के निगरानी तंत्र की उपयुक्त समीक्षा की जानी चाहिए और अपडेट किए गए प्रोटोकॉल को एनजीटी के समक्ष रिकॉर्ड में लाया जाना चाहिए।

साथ ही सभी लंबित परियोजनाओं के संबंध में जल्द से जल्द आवश्यक सुरक्षा उपायों का पालन किया जाना चाहिए।

कोर्ट के मुताबिक अपडेट की गई नीति में ऐसे तंत्र पर विचार किया जाना चाहिए जिसके द्वारा स्वीकृत योजना से परे और पर्यावरण मंजूरी में बताए क्षेत्रों से अलग बिजली कनेक्शन नहीं दिया जाना चाहिए। इसके अलावा लगाए गए जुर्माने की वसूली के लिए दिशानिर्देश और प्रोटोकॉल जारी किए जाने चाहिए।

यह दिशानिर्देश और प्रोटोकॉल उठाए गए कठोर कदम जैसे अभियोजन शुरू करना, संपत्ति की कुर्की, ब्लैक लिस्ट में डालना और विध्वंस आदि से जुड़े हैं। साथ ही कोर्ट के मुताबिक पर्यावरण को हुए नुकसान की भरपाई के लिए जो जुर्माना वसूला गया है उसका उपयोग भी समान रूप से जल्द से जल्द होना चाहिए। यह बातें एनजीटी ने 24 अप्रैल, 2023 को दिए अपने आदेश में कही हैं। 

गौरतलब है कि कोर्ट में शिकायत आई थी कि हरियाणा राज्य पर्यावरण प्रभाव आकलन प्राधिकरण (एसईआईएए) ने 24 नवंबर, 2022 को आदेश दिया था जिसमें कहा गया कि गुरुग्राम के सिखोपुर गांव में मैसर्स वाटिका लिमिटेड द्वारा स्थापित परियोजना अवैध है और उसके लिए जरूरी पर्यावरण मंजूरी (ईसी) नहीं ली गई है।

ऐसे में परियोजना प्रस्तावक को जुर्माने के रूप में परियोजना मूल्य के 3 फीसदी की दर से मुआवजे का भुगतान करना है जो 8.1 करोड़ रुपए है। इस परियोजना की कुल लागत 266 करोड़ रुपए है। इसके आधार पर एक फीसदी जुर्माना और दो फीसदी मुआवजा तय किया गया था। हालांकि इसके बाद भी मुआवजा वसूल करने और परियोजना को वैध बनाने के लिए कोई कार्रवाई नहीं की गई है।

आवेदक आशीष सरदाना का यह भी कहना है कि हरियाणा में राज्य स्तरीय पर्यावरण प्रभाव आकलन प्राधिकरण (एसईआईएए) अवैध परियोजनाओं के खिलाफ पारित कई अन्य आदेशों को भी लागू नहीं कर रहा है। अपने आवेदन में उन्होंने अन्य परियोजनाओं का भी विवरण दिया है।

इस मामले में अदालत ने कहा है कि हालांकि एसईआईएए, हरियाणा ने परियोजना को अवैध बताते हुए एक आदेश जरूर पारित किया था, लेकिन इस मुद्दे को हल करने के लिए उसने कोई जरूरी कार्रवाई नहीं की है।

हालांकि यह पाया गया कि स्वीकृत योजनाओं से अधिक निर्माण करके हरे और खुले क्षेत्रों पर अवैध कब्जा किया गया है, और उक्त क्षेत्रों को बहाल नहीं किया गया है और न ही पैदा हो रहे अधिक कचरे को रोका गया है। कोर्ट के मुताबिक न तो लगाए गए मुआवजे की वसूली की गई है और न ही सही करने के लिए कदम उठाए हैं। ऐसे में एनजीटी ने परियोजना प्रस्तावक के साथ-साथ हरियाणा के मुख्य सचिव से भी उनका जवाब मांगा है।

साथ ही कोर्ट ने मुख्य सचिव को अन्य संबंधित विभागों के साथ मिलकर इस विषय पर एक स्पष्ट नीति तैयार करने और दो महीने के भीतर ट्रिब्यूनल के समक्ष एक हलफनामा दायर करने का निर्देश दिया है।

फरीदाबाद में गिराए जाने के बाद भी स्कूल के होते निर्माण पर एनजीटी ने मांगी रिपोर्ट

एनजीटी ने हरियाणा राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और फरीदाबाद के जिला मजिस्ट्रेट को निर्देश दिया है कि वो स्कूल की इमारत को गिराए जाने के बाद भी हो रहे निर्माण पर अपनी रिपोर्ट सबमिट करें। मामला फरीदाबाद के सेक्टर-89 का है।

गौरतलब है कि यह स्कूल एक ग्रीन एरिया में बनाया गया था। इसके निर्माण में मास्टर और जोनिंग प्लान का उल्लंघन किया गया था। इस मामले में आवेदक अशोक चंद्र गौतम ने अदालत को सूचित किया है कि अधिकारियों को जानकारी देने के बावजूद इसपर कोई कार्रवाई नहीं की गई है।

हरियाणा राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड में है स्टाफ की कमी, एनजीटी ने मांगी रिपोर्ट

हरियाणा राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड में स्टाफ की कमी है। ऐसे में एनजीटी ने 24 अप्रैल 2023 को हरियाणा के मुख्य सचिव से मामले की जांच करके रिपोर्ट मांगी है। मामले में एनजीटी के जस्टिस आदर्श कुमार गोयल और जस्टिस सुधीर अग्रवाल की बेंच ने कहा है कि हरियाणा प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड का स्टैंड यह दर्शाता है कि राज्य ने अपनी जिम्मेदारी को गंभीरता से नहीं लिया है।

हरियाणा न अब तक कोई जवाब दाखिल नहीं किया है। ऐसे में एनजीटी ने हरियाणा के मुख्य सचिव को मामले जांच करने और संबंधित अधिकारियों के साथ मिलकर समयबद्ध तरीके से आगे की कार्रवाई करने का निर्देश दिया है।

गौरतलब है कि न्यायालय ने एसपीसीबी में रिक्त पदों की भर्ती, प्रयोगशालाओं के सुदृढ़ीकरण, निगरानी नेटवर्क को मजबूत करने और क्षेत्रीय कार्यालयों के संचालन के संबंध में एक कार्रवाई रिपोर्ट प्रस्तुत करने का निर्देश दिया है। यह रिपोर्ट तीन महीने के भीतर दाखिल करनी है।

गौरतलब है कि आवेदन में हरियाणा राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड में कर्मचारियों की कमी के खिलाफ शिकायत दर्ज की थी, जिसके चलते पर्यावरण कानूनों के तहत नियामक तंत्र विफल हुआ था। मामले में वरुण गुलाटी ने एनजीटी के समक्ष दिए अपने आवेदन में कहा कि 481 स्वीकृत पदों में से केवल 178 लोग कार्यरत हैं और शेष 303 पद खाली हैं। इसके चलते पर्यावरण नियमों का उल्लंघन हुआ है।

गौरतलब है कि इसपर एनजीटी ने 20 फरवरी, 2023 को हरियाणा और हरियाणा एसपीसीबी से जवाब मांगा था। एसपीसीबी ने अपने जवाब में कहा था कि उसने लोक सेवा आयोग को पद भरने के लिए अनुरोध भेजा था और आयोग की वजह से कार्रवाई न करने के कारण वो असहाय था।

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