डीएमआरसी को भीकाजी कामा प्लेस में प्रस्तावित वाणिज्यिक परिसर के लिए प्रस्तुत करनी चाहिए ईआईए रिपोर्ट: रिपोर्ट

एनजीटी के आदेश पर गठित एक संयुक्त समिति ने कहा है कि डीएमआरसी को भीकाजी कामा प्लेस में वाणिज्यिक परिसर परियोजना के प्रस्तावित निर्माण के लिए ईआईए रिपोर्ट प्रस्तुत करनी चाहिए

By Susan Chacko, Lalit Maurya

On: Wednesday 29 June 2022
 

नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) के आदेश पर गठित एक संयुक्त समिति ने कहा है कि दिल्ली मेट्रो रेल कॉरपोरेशन (डीएमआरसी) को दिल्ली के भीकाजी कामा प्लेस में एक वाणिज्यिक परिसर परियोजना के प्रस्तावित निर्माण के लिए एनवायरमेंट इम्पैक्ट एसेसमेंट यानी ईआईए रिपोर्ट प्रस्तुत करनी चाहिए। गौरतलब है कि यह रिपोर्ट दिल्ली विकास प्राधिकरण (डीडीए) को सबमिट करनी होगी।

समिति ने कहा कि इस क्षेत्र में यातायात, वायु गुणवत्ता और पर्यावरण एवं पारिस्थितिकी पर पड़ने वाले कुल प्रभाव का आकलन करने करने के लिए ईआईए की जरुरत है। इसके साथ ही रिपोर्ट में कहा गया है कि डीएमआरसी को डीडीए से भूमि उपयोग की अनुमति लेने के बाद संबंधित एजेंसियों से सभी वैधानिक मंजूरी और एनओसी प्राप्त करनी चाहिए।

डीएमआरसी द्वारा दी गई जानकारी और साइट के दौरे के बाद समिति ने रिपोर्ट में जानकारी दी है कि अभी प्रस्तावित वाणिज्यिक परिसर के लिए कोई निर्माण कार्य नहीं किया गया है, वहां भूमि को सुरक्षित करने के लिए सिर्फ बैरिकेडिंग की गई है।

डीएमआरसी ने इस बात की भी पुष्टि की है कि इस भूमि उपयोग को 'मनोरंजन (जिला पार्क)' से 'परिवहन' में बदलने पर भी डीडीए के स्तर पर विचार चल रहा है। जिसके चलते, डीएमआरसी ने वाणिज्यिक परिसर से संबंधित सभी निर्माण गतिविधियों को रोक दिया है। हालांकि रिपोर्ट में कहा गया है कि डीएमआरसी ने प्रस्तावित वाणिज्यिक परिसर के लिए सहमति लेने के लिए दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति (डीपीसीसी) के समक्ष अभी कोई आवेदन प्रस्तुत नहीं किया है। 

दूध गंगा और ममथ कुल नदी में अवैध खनन, सीवेज और ठोस कचरे की डंपिंग को रोकने के लिए उठाए गए जरुरी कदम

जम्मू कश्मीर आवास और शहरी विकास द्वारा नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल में सबमिट रिपोर्ट में जानकारी दी है कि दूध गंगा और ममथ कुल नदी में अवैध खनन, सीवेज और ठोस कचरे की डंपिंग को रोकने के लिए जरुरी कदम उठाए गए हैं। इस सम्बन्ध में एनजीटी द्वारा 8 मार्च, 2022 को दिए आदेश पर यह कार्रवाई रिपोर्ट कोर्ट में सबमिट की गई है।

गौरतलब है कि कश्मीर के अधिकार क्षेत्र में बाघी मेहताब से परे शहरी स्थानीय निकायों द्वारा कुल 4.30 एमएलडी सीवेज पैदा हो रहा है। इस अनुपचारित सीवेज को अब सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट्स की मदद से ट्रीट करने का प्रस्ताव रखा गया है। इतना ही नहीं मैमथ पुल के पास एकमात्र निकास पॉइंट को  बंद करने के बाद से ममठ कुल नदी से किए जा रहे खनन को पूरी तरह रोक दिया गया है।

इसके साथ ही रिपोर्ट में जो जानकारी ग्रीन ट्रिब्यूनल को दी गई है उससे पता चला है कि बडगाम के उपायुक्त द्वारा 13 जुलाई, 2021 को दिए आदेश के तहत जिले में खनिजों के अवैध खनन को रोकने के लिए उप-मंडल और तहसील स्तर पर बहु-विभागीय टीमों का गठन किया है।

जम्मू कश्मीर के लालगाम में माइनर मिनरल ब्लॉक के लिए मानदंडों के तहत दी गई है पर्यावरण मंजूरी

जम्मू और कश्मीर पर्यावरण प्रभाव आकलन प्राधिकरण द्वारा सबमिट रिपोर्ट में जानकारी दी गई है कि जम्मू कश्मीर के लालगाम में माइनर मिनरल ब्लॉक के लिए पर्यावरण मंजूरी (ईसी) मानदंडों के तहत दी गई है। 

गौरतलब है कि इस मामले में राजा मुजफ्फर भट द्वारा एनजीटी के समक्ष एक आवेदन दायर किया था। इस आवेदन में उनका कहना था कि वहां जम्मू और कश्मीर माइनर मिनरल कंसेशन रूल्स 2016 के नियम 4 (iv) का उल्लंघन किया जा रहा है, क्योंकि यह नियम तटबंध के 25 मीटर के भीतर खनन को प्रतिबंधित करता है। उनका कहना है कि खनन स्थल का पहले ही अत्यधिक दोहन हो चुका है और वो स्थान खनन के काबिल नहीं है। उन्होंने अपने आवेदन में कहा है कि इसके चलते जल प्रवाह में असर पड़ रहा है जिसका प्रभाव होकरसर वेटलैंड पर पड़ रहा है।

वहीं इस बारे में जम्मू कश्मीर पर्यावरण प्रभाव आकलन प्राधिकरण का कहना है कि इस परियोजना के लिए पर्यावरण मंजूरी नियमों के अनुसार दी गई थी।

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