कोच्चि के अय्यनकुझी गांव में लोगों के स्वास्थ्य को प्रभावित कर रहा है औद्योगिक प्रदूषण

एक खबर के मुताबिक यहां रहने वाले लोगों को सांस और अन्य स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं के कारण सुरक्षित क्षेत्रों की ओर पलायन करना पड़ा है

By Susan Chacko, Lalit Maurya

On: Monday 08 April 2024
 

नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने चार अप्रैल 2024 को कहा है कि अय्यनकुझी गांव में रहने वाले लोगों के स्वास्थ्य पर पड़ता औद्योगिक प्रदूषण का प्रभाव चिंताजनक है। ऐसे में ट्रिब्यूनल ने अधिकारियों और उद्योगों को इस मामले में रिपोर्ट दाखिल करने का आदेश दिया है। 

इस मामले में ट्रिब्यूनल ने केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी), केरल राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (केएसपीसीबी), कोच्चि, एर्नाकुलम के जिला कलेक्टर/मजिस्ट्रेट, भारत पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन लिमिटेड (कोच्चि रिफाइनरी), और हिंदुस्तान ऑर्गेनिक केमिकल्स लिमिटेड (कोच्चि) को भी पक्षकार बनाने का निर्देश दिया है। इन सभी को 20 मई, 2024 तक चेन्नई में एनजीटी की दक्षिणी बेंच के सामने अपना जवाब दाखिल करने को कहा है। मामले में अगली सुनवाई 27 मई, 2024 को होगी।

गौरतलब है कि 23 फरवरी, 2024 को न्यू इंडियन एक्सप्रेस में प्रकाशित एक खबर पर स्वतः संज्ञान लेते हुए कोर्ट ने कार्रवाई शुरू की थी। इस खबर में भारत पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन लिमिटेड (बीपीसीएल) और हिंदुस्तान ऑर्गेनिक केमिकल्स की कोच्चि रिफाइनरी के पास स्थित अय्यनकुझी गांव के निवासियों की स्थिति पर प्रकाश डाला गया था। खबर के मुताबिक यहां रहने वाले कई लोगों को सांस और स्वास्थ्य संबंधी अन्य समस्याओं के कारण सुरक्षित क्षेत्रों की ओर पलायन करना पड़ा है।

मृत जानवरों के शवों के निपटान के लिए चुनाव के बाद लुधियाना में जल्द से जल्द शुरू किया संयंत्र

अधिकारियों ने पांच अप्रैल, 2024 को नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) को आश्वासन दिया कि वे आगामी संसदीय चुनावों के बाद दो महीने के भीतर लुधियाना में शव निपटान संयंत्र शुरू करने का प्रयास करेंगे। इस मामले की अगली सुनवाई 20 अगस्त 2024 को होगी। यह मुद्दा सतलज नदी के पास मृत जानवरों के लिए पांच डंपिंग यार्ड के संचालन के साथ-साथ लुधियाना में शव संयंत्र को चालू करने से संबंधित है।

दो अप्रैल, 2024 को लुधियाना के डिप्टी कमिश्नर द्वारा दायर एक कार्रवाई रिपोर्ट से पता चला है कि सभी पांचों अवैध डंपिंग यार्डों को संचालन बंद करने और सतलुज नदी में शवों का निपटान बंद करने का आदेश दिया गया था। परिणामस्वरूप नदी तट पर डंपिंग यार्डों ने संचालन बंद कर दिया है और अब नदी में शवों का निपटान नहीं किया जा रहा है।

रिपोर्ट में यह भी जिक्र किया गया है कि मृत जानवरों के लिए पांच डंपिंग यार्डों में से प्रत्येक से 2,28,12,000 रुपए का पर्यावरणीय मुआवजा (ईसी) वसूल करने के नोटिस भेजे गए हैं। इस राशि को सात फरवरी, 2024 के एक पत्र के अनुसार बकाया भू-राजस्व के रूप में चिह्नित किया गया है।

इसके अतिरिक्त, उपायुक्त ने पंजाब प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (पीपीसीबी), पुलिस आयुक्त और एसडीएम लुधियाना पश्चिम को रोकथाम के लिए नियमित निरीक्षण करने का निर्देश दिया है, ताकि जिला मजिस्ट्रेट के आदेश का उल्लंघन करते हुए, डंपिंग यार्डों अवैध संचालन न किया जाए।

वहीं जहां तक लुधियाना में स्थापित आधुनिक शव संयंत्र के संचालन का सवाल है, रिपोर्ट में कहा गया है कि प्रयासों के बावजूद, स्थानीय ग्रामीणों के विरोध के चलते संयंत्र केवल 10 दिनों तक ही चल सका। हालांकि विरोध करने वालों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई हैं। वहां ग्रामीण परेशान हैं क्योंकि उन्होंने केरू जोधपुर में मौजूदा शव निपटान संयंत्र का दौरा किया था और उसकी वजह से स्थानीय लोगों के सामने आने वाली समस्याओं को देखा था।

वहीं लुधियाना के डिप्टी कमिश्नर ने रिपोर्ट में कहा है कि लुधियाना का मौजूदा प्लांट आधुनिक है और इससे जोधपुर के प्लांट जैसी समस्याएं पैदा नहीं होंगी। साथ ही इससे लुधियाना संयंत्र के पास रहने वाले ग्रामीणों को उस तरह की समस्याओं का सामना नहीं करना पड़ेगा। उन्होंने दोनों संयंत्रों के बीच क्या अंतर है इसकी भी जानकारी दी है।

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