एनजीटी ने मणिपुर सरकार से मांगा जवाब, जिलाड वन्यजीव अभयारण्य से जुड़ा है मामला

एनजीटी ने मणिपुर सरकार को जिलाड वन्यजीव अभयारण्य में बड़े पैमाने पर की गई पेड़ों की कटाई और अतिक्रमण के आरोपों पर अपना जवाब दाखिल करने को कहा है

By Susan Chacko, Lalit Maurya

On: Wednesday 27 March 2024
 

नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने मणिपुर सरकार को जिलाड वन्यजीव अभयारण्य में बड़े पैमाने पर की गई पेड़ों की कटाई और अतिक्रमण के आरोपों पर अपना जवाब दाखिल करने को कहा है। मामला मणिपुर के तमेंगलोंग जिले का है।

इसके साथ ही अदालत ने 20 मार्च, 2024 को पर्यावरण और जलवायु परिवर्तन निदेशालय, तमेंगलोंग वन प्रभाग के प्रभागीय वन अधिकारी और तमेंगलोंग के उपायुक्त को चार सप्ताह के भीतर जवाब दाखिल करने को कहा है। इस मामले में अगली सुनवाई 29 अप्रैल 2024 को होगी।

गौरतलब है कि इस मामले में आवेदक मैथ्यू गोनमेई ने एनजीटी को दिए अपने आवेदन में कहा था कि व्यापारियों और शिकारियों द्वारा वन उपज का दोहन किया जा रहा है, जिससे अभयारण्य के अस्तित्व के लिए खतरा पैदा हो गया है। उन्होंने खेती जलाए जाने का भी आरोप लगाया है। मैथ्यू गोनमेई जिलादजंग गांव के निवासी हैं।

उनका यह भी कहना है कि इस मामले में मणिपुर राज्य, वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम, 1972 के तहत संरक्षण संबंधी कार्रवाई नहीं कर सकता, जब तक कि अधिनियम की धारा 25 और 26 के तहत लंबित प्रक्रियाएं पूरी नहीं हो जातीं।

इस बारे में आवेदक ने तीन जनवरी, 2024 को मणिपुर के प्रधान मुख्य वन संरक्षक (वन्यजीव) और मुख्य वन्यजीव वार्डन को एक अभ्यावेदन भेजा था। इसमें दावा किया गया था कि अभ्यारण्य की सीमा स्पष्ट रूप से चिह्नित न होने के कारण वहां नियमित तौर पर पेड़ों की बेतहाशा कटाई की जा रही है। संरक्षण की कमी के चलते न केवल कुछ क्षेत्रों में पेड़ों को काटा गया है साथ ही इसकी वजह से झीलें सूख गई हैं और नेपसेमजी जैसी झीलें प्रदूषण का शिकार बन गई हैं।

भद्रक में अवैध रेत खनन के आरोपों की जांच के लिए समिति गठित, चार सप्ताह में सौंपेगी रिपोर्ट

नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने भद्रक जिले में अवैध रेत खनन के आरोपों की जांच के लिए समिति गठित करने के निर्देश दिए हैं। मामला ओडिशा में भद्रक जिले की धामनगर तहसील का है। आरोप है कि वहां पर्यावरण मंजूरी (ईसी), संचालन की सहमति (सीटीओ) और खनन योजना के बिना अवैध खनन का गोरखधन्दा चल रहा है।

ऐसे में एनजीटी ने इन आरोपों की सत्यता को जांचने के लिए समिति के गठन के निर्देश दिए हैं। कोर्ट के निर्देशानुसार यह समिति संबंधित साइट का निरीक्षण करेगी और लगाए गए आरोपों के संबंध में चार सप्ताह के भीतर अपनी रिपोर्ट सौंपेगी।

अदालत ने ओडिशा राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, राज्य पर्यावरण प्रभाव आकलन प्राधिकरण (एसईआईएए), केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड सहित अन्य को नोटिस भेजने का आदेश दिया है। इस बारे में एनजीटी में दर्ज शिकायत के अनुसार, धामनगर तहसील के उतेईपुर मौजा में उतेईपुर-2 रेत खदान में अनुमति क्षेत्र के बाहर बालू खनन हो रहा है।

वहां मैन्युअल खनन के स्थान पर मशीनों का उपयोग किया जा रहा है। हालांकि इसके लिए अनुमति नहीं दी गई है। इसके अतिरिक्त, वहां हो रहा खनन स्वीकृत सीमा से अधिक है, जो दिन-रात चल रहा है। यह खनन पट्टा क्षेत्र से आगे तक फैला हुआ है। यहां तक कि मानसून सीजन में भी खनन हो रहा है, जिस पर प्रतिबंध है।

दक्षिण 24 परगना जिले में अवैध तालाब भराव का मामला, एनजीटी ने जांच के दिए निर्देश

नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) की पूर्वी पीठ ने उच्छेपोटा गांव में एक तालाब के भराव के आरोपों की जांच के लिए एक तथ्य-खोज समिति के गठन का निर्देश दिया है। पश्चिम बंगाल के दक्षिण 24 परगना जिले का है।

इस समिति में एक वरिष्ठ वैज्ञानिक, पश्चिम बंगाल प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के एक प्रतिनिधि और दक्षिण 24 परगना के कलेक्टर और जिला मजिस्ट्रेट शामिल होंगे। यह समिति सम्बंधित स्थलों का दौरा करेगी और लगाए गए आरोपों की जांच करने के बाद चार सप्ताह के भीतर अपनी रिपोर्ट कोर्ट को सौंपेगी।

इस मामले में एनजीटी ने दोनों आरोपियों के साथ-साथ पश्चिम बंगाल पर्यावरण विभाग, पश्चिम बंगाल प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और दक्षिण 24 परगना के कलेक्टर और जिला मजिस्ट्रेट को भी पक्षकार बनाने का निर्देश दिया है। गौरतलब है कि इन दोनों आरोपियों पर तालाब को भरने का आरोप है। कोर्ट ने सभी पक्षों को चार सप्ताह के भीतर अपना जवाबी हलफनामा दाखिल करने को कहा है।

शिकायत के मुताबिक वहां मौजूद तालाब को मिट्टी से भरा जा रहा था। साथ ही तालाब पर इमारतों और चारदीवारी के निर्माण सम्बन्धी गतिविधियां भी जारी थीं।

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