ओडिशा ने राष्ट्रीय उद्यानों, अभयारण्यों में सिंगल यूज प्लास्टिक पर लगाया प्रतिबंध, एक अप्रैल से होगा प्रभावी

आदेश में इस बात की भी पुष्टि की गई है कि संरक्षित क्षेत्रों के भीतर पर्यटकों, प्रकृति शिविरों और अन्य स्थानों पर उत्पन्न सभी कचरे का निपटान मौजूदा दिशानिर्देशों के तहत किया जाएगा

By Lalit Maurya

On: Tuesday 05 March 2024
 
भारत में बढ़ता प्लास्टिक कचरा एक बड़ी समस्या बन चुका हो जो पर्यावरण के साथ-साथ, स्वास्थ्य को भी बुरी तरह प्रभावित कर रहा है; फोटो: आईस्टॉक

ओडिशा सरकार ने सोमवार को राज्य में मौजूद राष्ट्रीय उद्यानों, बाघ अभयारण्यों, इको-टूरिज्म साइट्स और वन्यजीव अभयारण्यों में सिंगल यूज प्लास्टिक के उपयोग पर प्रतिबंध लगा दिया है। पीटीआई के मुताबिक राज्य में यह प्रतिबन्ध एक अप्रैल 2024 से प्रभावी होगा।

बता दें कि मुख्य वन्यजीव संरक्षक सुशांत नंदा ने वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम, 1972 की धारा 33 (सी) के तहत मिली शक्तियों का उपयोग करते हुए यह आदेश जारी किया है। इसके साथ ही सुशांत नंदा का यह भी कहना है कि संरक्षित वन क्षेत्रों के भीतर प्लास्टिक से बनी पानी की बोतलों के उपयोग पर भी रोक लगाई जाएगी।

हालांकि साथ ही आदेश में इस बात की भी पुष्टि की गई है कि इन क्षेत्रों में पर्यटकों के लिए वैकल्पिक पेयजल सुविधाओं की व्यवस्था की जाएगी। साथ ही यदि पर्यटक चाहें तो इन पर्यटक स्थलों के प्रवेश बिंदु पर उन्हें पानी की बोतलें उपलब्ध कराई जा सकती हैं, जिन्हें लौटते समय वापस करना होगा।

आदेश में खाद्य पदार्थों को प्लास्टिक आदि में लपेटकर ले जाने वाले आगंतुकों को यह सलाह देने की बात कही है कि वे कचरे को निर्धारित कूड़ेदानों में ही डालें और संरक्षित क्षेत्रों में गंदगी न फैलाएं। आदेश में इस बात की भी पुष्टि की गई है कि संरक्षित क्षेत्रों के भीतर पर्यटकों, प्रकृति शिविरों और अन्य स्थानों पर उत्पन्न सभी कचरे का निपटान मौजूदा दिशानिर्देशों के तहत किया जाएगा।

पीटीआई के मुताबिक नंदा ने इस बारे में सभी क्षेत्रीय मुख्य वन संरक्षकों, प्रभागीय वन अधिकारियों के साथ-साथ सिमिलिपाल टाइगर रिजर्व (एसटीआर) और नंदनकानन चिड़ियाघर के उप निदेशकों को पत्र लिखा है।

इसमें उन्होंने राज्य के भीतर बचे इन प्राकृतिक आवासों की रक्षा पर जोर दिया है। साथ ही यह भी दोहराया है कि इसकी वजह से आम जनता को असुविधा नहीं होनी चाहिए। उन्होंने वन अधिकारियों से सिंगल यूज प्लास्टिक पर लगाए इस प्रतिबंध का व्यापक प्रचार-प्रसार करने को कहा है ताकि पर्यटकों को इसके लागू होने के बाद किसी तरह की असुविधा का सामना न करना पड़े।

रिसॉर्ट्स और भोजनालयों को भी इस आदेश के बारे में जानकारी दी जाएगी। उन्होंने यह भी चेताया है कि इस आदेश का उल्लंघन करने पर जुर्माने के अलावा गिरफ्तारी और जेल भी हो सकती है।

इस बारे में सुशांत नंदा ने चार मार्च 2024 को अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लोगों से संरक्षित क्षेत्रों के भीतर प्लास्टिक न ले जाने का आग्रह करते हुए लिखा है कि इसके उल्लंघन पर कारावास और जुर्माना हो सकता है। पीटीआई में जारी खबर के मुताबिक वन विभाग इस आदेश को लागू करने के लिए ओडिशा राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और जिला प्रशासन की भी मदद लेगा।

गौरतलब है कि भारत में जुलाई 2022 से सिंगल यूज प्लास्टिक को प्रतिबंधित कर दिया गया है। हालांकि केंद्र सरकार की सिंगल यूज प्लास्टिक की परिभाषा में आने वाली कई चीजें फिलहाल इस प्रतिबंध के दायरे से बाहर हैं।

भारत में सालाना प्रति व्यक्ति पैदा हो रहा है चार किलोग्राम सिंगल यूज प्लास्टिक कचरा

इस बारे में सरकार द्वारा 12 अगस्त, 2021 को जारी अधिसूचना में सिंगल यूज प्लास्टिक को ‘ऐसे प्लास्टिक के तौर पर परिभाषित किया था, जिनके निपटान से पहले उन्हें निर्धारित कामों के लिए केवल एक ही बार इस्तेमाल या फिर रीसाइकिल किया जा सकता है।‘  मतलब कि इस प्लास्टिक का निर्माण और उत्पादन इस तरह किया जाता है कि एक बार उपयोग होने के बाद इन्हें फेंक दिया जाए।

इस अधिसूचना में केंद्रीय पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने सिंगल यूज प्लास्टिक से बनी 21 चीजों को कई चरणों में फेज आउट करने की योजना पेश की थी। सिंगल यूज प्लास्टिक से बनी इन प्रतिबंधित वस्तुओं की सूची में ईयरबड्स, कटलरी, स्ट्रॉ और कैरी बैग जिनकी मोटाई 120 माइक्रॉन से कम है, शामिल हैं।

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यदि सिंगल यूज प्लास्टिक से उत्पन्न होने वाले कचरे की बात करें तो इस मामले में भारत दुनिया में तीसरे स्थान पर हैं जहां 2019 में 55.8 लाख टन प्लास्टिक कचरा पैदा हुआ था, जबकि प्रति व्यक्ति के हिसाब से देश में हर साल चार किलोग्राम सिंगल यूज प्लास्टिक कचरा उत्पन्न हो रहा है।

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