साबरमती को मैला कर रहा औद्योगिक क्षेत्र से छोड़ा जा रहा पानी, एनजीटी को सौंंपी रिपोर्ट

अहमदाबाद के दानिलिम्दा और बेहरामपुरा क्षेत्रों में उद्योगों द्वारा बरसाती नालों में अवैध रुप से छोड़ा जा रहा दूषित पानी साबरमती को मैला का रहा है

By Susan Chacko, Lalit Maurya

On: Monday 04 September 2023
 

अहमदाबाद के दानिलिम्दा और बेहरामपुरा क्षेत्रों में उद्योगों द्वारा बरसाती नालों में अवैध रुप से छोड़ा जा रहा दूषित पानी साबरमती नदी को मैला का रहा है। भले ही अहमदाबाद नगर निगम (एएमसी) ने कुछ बरसाती नालों को बंद कर दिया है, लेकिन फिर भी इन नालों से होकर उद्योगों से निकला गन्दा पानी बह रहा है। मामला गुजरात के अहमदाबाद का है।

ऐसा इसलिए है क्योंकि कुछ उद्योग चोरी-छिपे अपने गन्दा पानी अनधिकृत भूमिगत पाइपों के माध्यम से बहा रहे हैं। जो बरसाती नालों से ओवरफ्लो हो रहा है और पर्यावरण को नुकसान पहुंचा रहा है। यह जानकारी चार सितंबर, 2023 को नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल में सौंपी गई एक रिपोर्ट में सामने आई है।

उद्योगों के अपने हालिया निरीक्षण के दौरान, गुजरात प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (जीपीसीबी) ने पाया कि 55 में से 38 उद्योगों में जीरो लिक्विड डिस्चार्ज (जेडएलडी) प्रणाली मौजूद है, लेकिन उन्होंने महत्वपूर्ण क्षेत्रों में प्रवाह को मापने के लिए उपकरण नहीं लगाए हैं। न ही उन्होंने यह सुनिश्चित करने के लिए कि जेडएलडी प्रणाली अच्छी तरह से काम कर रही है, प्रवाह का रिकॉर्ड रखा है।

इसके अतिरिक्त, जांच में यह भी सामने आया है कि 42 इकाइयां अपशिष्ट जल प्रबंधन प्रणाली संबंधी मानकों के अनुरूप नहीं थी। जीपीसीबी ने पहले ही दो इकाइयों को बंद करने के आदेश दे दिए हैं और एक अन्य को कारण बताओ नोटिस भेजा है। साथ ही प्रदूषण बोर्ड अन्य 40 इकाइयों के खिलाफ कार्रवाई कर रहा है।

अहमदाबाद के पिराना में 30 एमएलडी कॉमन एफ्लुएंट ट्रीटमेंट प्लांट (सीईटीपी) जल्द शुरू होने वाला है। यह प्लांट दानिलिम्दा-बेहरामपुरा क्षेत्र में है। रिपोर्ट से पता चला है कि इस क्षेत्र के कपड़ा व्यवसाय इस सीईटीपी से जुड़ चुके हैं। समिति का कहना है कि इस सीईटीपी के चालू हो जाने के बाद औद्योगिक इकाइयों से अवैध तौर पर छोड़े जा रहे दूषित पानी की समस्या को हल करने में मदद मिलेगी।

गौरतलब है कि पूरा मामला 55 उद्योगों द्वारा पर्यावरण सम्बन्धी नियमों के उल्लंघन से जुड़ा है। जिनकी वजह से साबरमती में प्रदूषण काफी बढ़ गया है। रिपोर्ट के अनुसार  अहमदाबाद के स्वेज फार्म, बेहरामपुरा और दानिलिम्दा इलाकों में 55 उद्योग पर्यावरण नियमों की अनदेखी कर रहे थे। वे अहमदाबाद नगर निगम की अनुमति के बिना दूषित या आंशिक रूप से साफ किया औद्योगिक दूषित जल को खुले में या पाइपलाइनों के जरिए छोड़ रहे थे। यह उद्योग स्पष्ट तौर पर जीपीसीबी द्वारा स्थापना के लिए दी गई सहमति (सीटीई) की शर्तों का उल्लंघन है, जिसके तहत जेडएलडी (जीरो लिक्विड डिस्चार्ज) की शर्त रखी गई थी।

शिकायत में कहा गया है कि अहमदाबाद नगर निगम की ये पाइपलाइनें साबरमती नदी में दूषित पदार्थों को छोड़ रही हैं, जिससे न केवल साबरमती नदी बल्कि भूजल को भी नुकसान पहुंचा है।

बस्सी हस्त खां में चलता अवैध रेत खनन का खेल, एनजीटी ने पर्यावरण सचिव से मांगा जवाब

नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने 31 अगस्त, 2023 ने अवैध रेत खनन के मामले में पंजाब के पर्यावरण सचिव सहित अन्य लोगों को नोटिस जारी करने का आदेश दिया है। मामला पंजाब के होशियारपुर का है, जहां बस्सी हस्त खां गांव में बिल्ला ईंट उद्योग के मालिक यशपाल गुप्ता द्वारा अवैध रूप से रेट का खनन किया जा रहा था।

इस मामले में एनजीटी के आदेश पर गठित संयुक्त समिति ने कहा है कि यशपाल गुप्ता अवैध रूप से रेत का खनन कर रहे थे। उनपर खनन विभाग द्वारा 1,02,81,077 रुपये का जुर्माना लगाया गया था, लेकिन इसे ईंट भट्ठे के मालिक द्वारा जमा नहीं किया गया है।

इस मामले में पंजाब के पर्यावरण सचिव के साथ-साथ राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, होशियारपुर के जिला मजिस्ट्रेट, और बिल्ला ईंट उद्योग के मालिक को नोटिस जारी किया गया है। इन सभी पक्षों को अगली सुनवाई या उससे पहले अपना जवाब दाखिल करने का आदेश दिया गया है। इस मामले में अगली सुनवाई 5 दिसंबर, 2023 को होगी।

प्रयागराज में रेत खनन के मामले में पेश रिपोर्ट पर कोर्ट ने जताई नाराजगी, अब नई रिपोर्ट की जाएगी सबमिट

नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने एक सितंबर, 2023 को रेत खनन के मामले में संयुक्त समिति द्वारा प्रस्तुत रिपोर्ट पर नाराजगी जताई है। मामले में कोर्ट ने उत्तर प्रदेश में प्रयागराज जिले के शंकरगढ़ ब्लॉक और आसपास के क्षेत्रों जैसे परवेजाबाद, लालापुर, बांकीपुर, जनवा, धारा में अवैध रेत खनन के 500 मामलों और 100 से अधिक वाशिंग प्लांटों की जांच करने का आदेश दिया था।

उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (यूपीपीसीबी) के वकील के अनुसार, यह रिपोर्ट स्वयं समिति के सदस्यों द्वारा तैयार नहीं की गई बल्कि उन सदस्यों का प्रतिनिधित्व करने वाले विभिन्न व्यक्तियों द्वारा तैयार की गई है। संयुक्त समिति ने अपनी रिपोर्ट में उल्लेख किया है कि वहां खनन के 25 में से 18 पट्टे पहले ही समाप्त हो चुके हैं, और केवल सात अभी भी सक्रिय हैं।

अदालत का कहना है कि रिपोर्ट में सात सक्रिय पट्टाधारकों की तो जानकारी है, लेकिन 18 समाप्त हो चुके पट्टों के बारे में खुलासा नहीं किया गया है, भले ही उन्होंने पर्यावरण सम्बन्धी नियमों का उल्लंघन किया हो।

इसी तरह रिपोर्ट में 42 रेत खनन और वाशिंग प्लांटों का तो जिक्र है जिनके पास संचालन की वैध सहमति (सीटीओ) है, लेकिन पर्यावरणीय शर्तों के उनके उल्लंघन/अनुपालन के बारे में कोई विवरण नहीं दिया गया है।

ऐसे में अपने जवाब में, उत्तर प्रदेश राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की ओर से पेश वकील ने कहा है कि अब संयुक्त समिति द्वारा नए कदम उठाए जाएंगे और चार सप्ताह के भीतर अदालत द्वारा दिए निर्देशों और टिप्पणियों को ध्यान में रखते हुए एक नई रिपोर्ट प्रस्तुत की जाएगी।

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