दूषित नदियों पर एनजीटी सख्त, राज्यों को नोटिस जारी करने का दिया निर्देश

पिछले आदेश में एनजीटी ने देश में प्रदूषण को नियंत्रित करने और प्रदूषित नदी क्षेत्रों को पुनर्जीवित करने के लिए एक प्रभावी निगरानी तंत्र बनाने का निर्देश दिया था

By Susan Chacko, Lalit Maurya

On: Thursday 12 October 2023
 

नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने नौ अक्टूबर 2023 को जल शक्ति मंत्रालय और सभी राज्यों के मुख्य सचिवों को नोटिस भेजने का निर्देश दिया है। मामला नदियों के प्रदूषण से जुड़ा है। कोर्ट ने इस नोटिस में 22 फरवरी, 2021 को दिए ट्रिब्यूनल के आदेश पर रिपोर्ट प्रस्तुत करने की बात कही है।

गौरतलब है कि एनजीटी ने अपने इस आदेश में जल शक्ति मंत्रालय (एमओजेएस) को पूरे देश में प्रदूषण को नियंत्रित करने और प्रदूषित नदी क्षेत्रों को पुनर्जीवित करने के लिए एक प्रभावी निगरानी तंत्र बनाने का निर्देश दिया था।

राष्ट्रीय नदी कायाकल्प तंत्र (एनआरआरएम) के तहत सभी राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों और पीसीबी और पीसीसी के मुख्य सचिवों को नई परियोजनाओं को शुरू करने और चल रही परियोजनाओं को पूरा करने की बात कही है। इसके साथ ही अंतरिम फाइटो/जैव-उपचार उपायों को लागू करने के लिए परियोजना की समय-सीमा का सख्ती से पालन करने को भी कहा गया है।

यदि कोई राज्य ऐसा कर पाने में विफल रहता है तो पिछले आदेशों के अनुसार मुआवजे को जल शक्ति मंत्रालय के पास जमा करना होगा, जिसका उपयोग राष्ट्रीय नदी कायाकल्प तंत्र द्वारा अनुमोदित कार्य योजनाओं के अनुसार किया जाएगा।

आवेदक ने 12 सितंबर, 2023 को केंद्रीय निगरानी समिति की 17वीं बैठक के विवरण का हवाला दिया है। उन्होंने बताया कि जहां तक असम का सम्बन्ध है, वहां 437.23 एमएलडी सीवेज के निपटान के लिए उपचार क्षमता का आभाव है।

उनके अनुसार गुवाहाटी में तीन सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट (एसटीपी) सिल्साको बील (65 एमएलडी), बोरसोला बील (62 एमएलडी) और पश्चिम बोरागांव (60 एमएलडी) का काम धीरे-धीरे आगे बढ़ रहा है। इसके अतिरिक्त, सिलचर, डिब्रूगढ़, जोरहाट, तेजपुर, बोंगाईगांव, धुबरी, तिनसुकिया और मंगादलोई में 47.5 एमएलडी की कुल क्षमता वाले आठ एसटीपी को लागू करने में देरी हो रही है। इसके अलावा, 30 कस्बों में 30 स्टैंड-अलोन एफएसटीपी के कार्यान्वयन में भी देरी का सामना करना पड़ रहा है। 

बिहार के संबंध में उनका कहना है कि वहां प्रदूषित नदी खंडों की संख्या छह से बढ़कर 18 हो गई है, जबकि सिरसा नदी की जल गुणवत्ता प्राथमिकता III से घटकर II रह गई है।

आवेदक ने त्रिपुरा के बारे में जानकारी दी है कि वहां कुल 82.4 एमएलडी सीवेज पैदा हो रहा है, जबकि मौजूदा सीवेज उपचार क्षमता केवल 8.72 एमएलडी है, जिसके चलते सीवेज उपचार में 73.68 एमएलडी का भारी अंतर है।

संयुक्त समिति करेगी रामक्कल झील प्रदूषण मामले की जांच: एनजीटी

नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने रामक्कल झील प्रदूषण मामले में जांच के लिए समिति गठित करने का आदेश दिया है। पूरा मामला तमिलनाडु के धर्मपुरी जिले का है। कोर्ट के निर्देशानुसार इस समिति में सीपीसीबी के क्षेत्रीय निदेशक, तमिलनाडु प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के सदस्य सचिव, राज्य विकास प्राधिकरण के निदेशक और संबंधित जिला मजिस्ट्रेट शामिल होंगे।

आदेश में कहा गया है कि यह संयुक्त समिति साइट का दौरा करेगी और रामक्कल झील में प्रदूषण की स्थिति का पता लगाएगी। कोर्ट ने समिति को अगली सुनवाई से पहले कार्रवाई रिपोर्ट सौंपने के लिए भी कहा है।

कोर्ट ने यह मामला 14 सितंबर, 2023 को न्यू इंडियन एक्सप्रेस में प्रकाशित एक समाचार के आधार पर दर्ज किया है। इस खबर में कहा गया था कि रामक्कल झील में प्रदूषण का स्तर काफी बढ़ गया है और दुर्गंध के कारण आसपास के लोगों को परेशानी के सामना करना पड़ रहा है। इस समाचार रिपोर्ट में यह भी खुलासा किया गया था कि वहां एक फिल्ट्रेशन यूनिट लगाई गई है, लेकिन फिल्टर पिछले आठ महीनों से काम नहीं कर रहे हैं जिसके चलते प्रदूषण का स्तर बढ़ गया है।

केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के वकील ने भी इस बात की पुष्टि की है कि फिल्टरेशन यूनिट काम नहीं कर रही है, जिससे झील में प्रदूषण बढ़ गया है।

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