दूषित हो रही सतलुज, कीरतपुर साहिब से निकले घरेलू कचरे का नदी में किया जा रहा निपटान

यहां पढ़िए पर्यावरण सम्बन्धी मामलों के विषय में अदालती आदेशों का सार

By Susan Chacko, Lalit Maurya

On: Tuesday 20 June 2023
 

पंजाब के मुख्य सचिव ने नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) के समक्ष दायर रिपोर्ट में कहा है कि कीरतपुर साहिब से निकले घरेलू कचरे को सतलुज नदी में बहाया जा रहा है। वहीं पंजाब जल आपूर्ति और सीवेज बोर्ड के अधिकारी ने बताया है कि कीरतपुर साहिब में दो एमएलडी क्षमता के सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट (एसटीपी) के निर्माण के लिए कई बार निविदा मंगाई गई है, लेकिन ठेकेदार द्वारा बताई गई दरें बहुत अधिक थीं।

वहीं कीरतपुर साहिब में नगर पंचायत के कार्यकारी अधिकारी का कहना है कि सरकार ने पहले ही मुख्य पम्पिंग स्टेशन और सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट के लिए पंजाब जल आपूर्ति और सीवरेज बोर्ड को धनराशि दे दी है। पीडब्ल्यूएसएसबी ने पंपिंग स्टेशन का निर्माण कर लिया है, लेकिन एसटीपी का निर्माण होना अभी बाकी है।

वहीं पंजाब प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अध्यक्ष ने मामले में पर्यावरण को हुए नुकसान की एवज में मुआवजा लेने का फैसला किया है। उसने स्थानीय निकाय विभाग से अनुरोध किया है कि वो कीरतपुर साहिब में नगर पंचायत के कार्यपालक अधिकारी और अन्य जिम्मेवार अधिकारियों के खिलाफ ड्यूटी में लापरवाही बरतने के लिए उपयुक्त कार्रवाई करे।

इस मामले में रूपनगर के उपायुक्त ने 28 मार्च, 2023 को एक अंतरिम आदेश पारित किया था, जिसमें कार्यकारी अभियंता, पंजाब जल आपूर्ति और सीवरेज डिवीजन, रूपनगर को निर्धारित प्रक्रिया का पालन करते हुए जून 2024 तक एसटीपी का काम पूरा करने का आदेश दिया गया है।

इसके साथ ही पंजाब जल आपूर्ति और सीवरेज बोर्ड को एसटीपी चालू होने तक घरेलू अपशिष्ट के निपटान के लिए पहले से अपनाए गए अस्थाई उपायों को करने के निर्देश दिए गए हैं।

प्रह्लाद गढ़ी गांव में तूफानी पानी की निकासी के लिए बनाई नालियों में अभी भी बहाया जा रहा है दूषित पानी

गाजियाबाद के प्रह्लाद गढ़ी गांव की नालियों में अभी भी दूषित पानी बहाया जा रहा है। यह दूषित पानी घरों और व्यावसायिक गतिविधियों के चलते पैदा हो रहा है। मामला उत्तरप्रदेश के गाजियाबाद का है।

इस मामले में गाजियाबाद नगर निगम को सड़कों और नालों से अवैध अतिक्रमण हटाने, के साथ डेयरी फार्मों और अवैध बस्तियों से निकलते दूषित जल को रोकने के लिए आवश्यक कार्रवाई करने को कहा है। साथ ही निगम को यह भी सुनिश्चित करने के लिए कहा है कि प्रह्लाद गढ़ी गांव में तूफानी पानी के लिए बने नालों में दूषित जल न छोड़ा जाए।

गौरतलब है कि उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, गाजियाबाद नगर निगम और केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) के संयुक्त जांच दल ने पाया था कि प्रह्लाद गढ़ी गांव में  सेक्टर 16 के पास अभी भी तूफानी जल की निकासी के लिए बनाए नालों में दूषित जल छोड़ा जा रहा है।

मामले में एनजीटी ने 30 जनवरी 2023 को सीपीसीबी को यह सत्यापित करने का आदेश दिया था कि प्रह्लाद गढ़ी गांव और उसके आस-पास के क्षेत्र में बरसाती पानी की नालियों में कोई सीवेज या अन्य कचरा तो नहीं बहाया जा रहा है। गंदे पानी की गुणवत्ता का पता लगाने के लिए दल ने स्टॉर्म वाटर ड्रेन पर तीन स्थानों पर दूषित जल के सैंपल लिए थे।

रिपोर्ट के मुताबिक, "बीओडी और सीओडी की मदद से नाले में बहते पानी की गुणवत्ता को मापा गया है, जिससे पता चला है कि नालियां सीवेज या मैला ढो रही हैं।" टर्मिनल बिंदु (वसुंधरा सेक्टर 19 में नाली) पर पानी की गुणवत्ता की जांच से यह भी पता चला है कि वहां 3 नवंबर, 2022 को लिए गए पहले नमूने की तुलना में तूफानी जल निकासी की पानी की गुणवत्ता में कोई बदलाव या सुधार नहीं आया है।

टीम ने यह भी देखा कि डेयरियों से निकलने वाले कचरे को अभी भी तूफानी पानी की निकासी के लिए बनाए नालों में बहाया जा रहा है। साथ ही यह भी देखा गया है कि आवासीय और व्यावसायिक गतिविधियों में निकलने वाला दूषित जल इन तूफानी नालों में बहा दिया जाता है। वहीं इन तूफानी नालों के जरिए बहने वाला दूषित जल अंत में साहिबाबाद नाले में मिल जाता है।

हालांकि साहिबाबाद नाले को दिल्ली में प्रवेश करने से पहले ही रोक दिया गया है और उसे इलाज और निपटान के लिए इंदिरापुरम में मौजूद 74 एमएलडी क्षमता के एसटीपी की ओर मोड़ दिया जाता है।

इस मामले में सीपीसीबी ने अपनी 12 जून, 2023 को सबमिट रिपोर्ट में कहा है कि जांच और सत्यापन के आधार पर, यह निष्कर्ष निकाला जा सकता है कि गाजियाबाद नगर निगम ने कोई खास कार्रवाई नहीं की है।

सोनीपत के पास फ्लाईओवर के निर्माण के दौरान होते वायु प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए किए गए हैं उपाय

सोनीपत के पास फ्लाईओवर के निर्माण के दौरान होते वायु प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए उपाय किए गए हैं। वहां फ्लाई ऐश को मिट्टी से ढक दिया गया है। साथ ही धूल को रोकने के लिए अन्य उपाय अपनाए गए हैं। मामला हरियाणा में सोनीपत की राई तहसील का है। जहां फ्लाईओवर के निर्माण के दौरान वायु प्रदूषण की जानकारी मिली थी।

यह बातें एनएचएआई ठेकेदार के प्रतिनिधि ने हरियाणा राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और सोनीपत के उपायुक्त की संयुक्त जांच समिति के सामने कही है। गौरतलब है कि गौरतलब है कि मामले में एसपीसीबी ने अपनी रिपोर्ट कोर्ट को सौंप दी है। इससे पहले नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने 31 मई, 2022 को धीरज सिंह बनाम हरियाणा  सरकार के मामले में एसपीसीबी से रिपोर्ट सबमिट करने को कहा था।

इस मामले में एनजीटी के समक्ष एक शिकायत दायर की गई थी जिसमें कहा गया था कि फ्लाईओवर के निर्माण के दौरान ठेकेदार ने तीन महीने के लिए साइट पर फ्लाई ऐश को रखा था जिसे साइट पर भराव के लिए मंगाया गया था। इस फ्लाई ऐश से आसपास के इलाके दूषित हो रहे थे।

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