इस साल यमुना की जल गुणवत्ता में देखा गया सुधार, पर्यावरण विभाग ने रिपोर्ट में किया दावा

रिपोर्ट के मुताबिक आईएसबीटी और असगरपुर पर, जनवरी से दिसंबर 2023 के बीच यमुना के जल में बीओडी, सीओडी के साथ-साथ फीकल कॉलीफॉर्म के स्तर में महत्वपूर्ण सुधार देखा गया है

By Susan Chacko, Lalit Maurya

On: Thursday 21 December 2023
 

पिछले वर्ष की तुलना में इस साल जनवरी से दिसंबर के बीच यमुना की जल गुणवत्ता में सुधार देखा गया है। यह जानकारी दिल्ली सरकार के पर्यावरण विभाग (जीएनसीटीडी) ने 20 दिसंबर, 2023 को, नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) के समक्ष प्रस्तुत अपनी रिपोर्ट में दी है। रिपोर्ट में इसके लिए विभिन्न विभागों के समन्वित प्रयासों को वजह माना है।

इस रिपोर्ट में कुछ विशिष्ट स्थानों पर पानी की गुणवत्ता में आए उल्लेखनीय सुधार पर प्रकाश डाला गया है। यह देखा गया कि आईएसबीटी (नजफगढ़ नाले से मिलने के बाद) और असगरपुर (शाहदरा और तुगलकाबाद नालों के संगम के बाद ओखला बैराज) पर, जनवरी से दिसंबर 2023 के बीच यमुना के जल में बीओडी, सीओडी के साथ-साथ फीकल कॉलीफॉर्म के स्तर में पिछले साल की तुलना में तुलनात्मक रूप से महत्वपूर्ण सुधार देखा गया है।

इसके अतिरिक्त, नजफगढ़ नाले के  पानी की गुणवत्ता में विशेष रूप से बीओडी और सीओडी के मामले में भी पर्याप्त सुधार दर्ज किया गया है। बता दें कि दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति (डीपीसीसी) की प्रयोगशाला आठ स्थानों पर यमुना के पानी की गुणवत्ता पर मासिक आधार पर निगरानी रख रही है।

जानकारी मिली है कि उपचार क्षमता में 35 एमजीडी की वृद्धि हुई है, और ओखला में 124 एमजीडी की क्षमता वाला एक नया सीवेज उपचार संयंत्र (एसटीपी) बनाया गया है। वहीं 283 अनधिकृत कॉलोनियों में सीवेज नेटवर्क स्थापित किए गए हैं, और 21 जेजे क्लस्टरों को सीवरेज नेटवर्क/डीएसटीपी (विकेंद्रीकृत सीवेज उपचार संयंत्र) से जोड़ा गया है।

इस समय में यमुना में 22 नाले गिर रहे हैं, जिनमें से नौ नालों को पूरी तरह टैप कर दिया गया है, जबकि दो नालों को आंशिक रूप से टैप किया गया है। वहीं दो बड़े नालों को नजफगढ़ और शाहदरा, को पूरी तरह से टैप करना तकनीकी रूप से संभव नहीं है। इन दोनों नालों को डीजेबी के इंटरसेप्टर सीवर प्रोजेक्ट में शामिल किया गया है, जहां उप-नालों के पर्याप्त प्रवाह को टैप किया गया है या कराया जाएगा। हालांकि नौ नालों को अभी भी टैप किया जाना बाकी है।

मझरा गांव के पर्यावरण संवेदनशील क्षेत्र में अवैध खनन का मामला, एनजीटी ने तीन सप्ताह में मांगी रिपोर्ट

नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने 20 दिसंबर 2023 को मध्य प्रदेश के खनिज विभाग और शिवपुरी के कलेक्टर को तीन सप्ताह के भीतर रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दिया है। मामला पर्यावरण नियमों को ताक पर रख  मझरा गांव में किए जा रहे अवैध खनन से जुड़ा है। बता दें कि कोर्ट ने शिवपुरी जिले के मझरा गांव के वन और राजस्व क्षेत्रों में हुए अवैध खनन में शामिल लोगों के खिलाफ की गई कार्रवाई पर यह रिपोर्ट मांगी है।

इस बाबत पत्र याचिका के जरिए एनजीटी को शिकायत की गई है, जिसमें पर्यावरण के लिहाज से संवेदनशील क्षेत्र में अवैध खनन, पत्थर उत्खनन और जारी क्रशिंग इकाइयों का मुद्दा उठाया गया है। मामला विशेष रूप से शिवपुरी जिले के मझेरा गांव में माधव राष्ट्रीय उद्यान में होते अवैध खनन का भी है।

इससे पहले संबंधित अधिकारियों से एक रिपोर्ट मांगी गई थी और उन्होंने स्वीकार किया है कि पर्यावरण नियमों का उल्लंघन करते हुए मझरा गांव के वन क्षेत्रों में अवैध खनन हो रहा है।

ऐसे में शिवपुरी जिला खनिज फाउंडेशन ने खनन गतिविधियों को उचित तरीके से बंद करने के लिए मध्य प्रदेश खनिज संसाधन विभाग से डीएमएफ पोर्टल के माध्यम से मंजूरी का अनुरोध किया है। वहीं शिवपुरी के जिला कलेक्टर ने "प्रदूषक भुगतान" सिद्धांत के आधार पर परियोजना समर्थकों से पर्यावरणीय मुआवजा वसूलने के लिए नोटिस जारी किया है।

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