पर्यावरण मुकदमों की डायरी: झिंझरिया नदी मामले पर एनजीटी ने दिया संयुक्त समिति के गठन का आदेश

यहां पढ़िए पर्यावरण सम्बन्धी मामलों के विषय में अदालती आदेशों का सार

By Susan Chacko, Lalit Maurya

On: Thursday 11 June 2020
 

10 जून, 2020 को नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने प्रदूषित हो रही झिंझरिया नदी के मामले पर एक संयुक्त समिति के गठन का निर्देश दिया है| साथ ही इसके मुहाने पर मौजूद धोबिया तालाब अवैध अतिक्रमण का शिकार हो रहा है| यह तालाब हजारीबाग, झारखंड में है| कोर्ट में दायर याचिका के अनुसार इस नदी धारा की लम्बाई करीब 5 किलोमीटर और चौड़ाई 30 फीट है| अवैध अतिक्रमण और निर्माण के चलते यह अब विलुप्ति के कगार पर पहुंच चुकी है| इसके साथ ही धोबिया तालाब की स्थिति भी बहुत ख़राब है| कभी 12 एकड़ में फैला यह तालाब अब सिकुड़ कर केवल 5 से 6 एकड़ का रह गया है|

गौरतलब है कि प्रदूषित झिंझरिया धारा के कारण कोनार नदी का जल भी प्रदूषित हो रहा है| जोकि हजारीबाग शहर के लिए पानी का मुख्य स्रोत है|

ट्रिब्यूनल ने इस नदी और तालाब के आसपास निर्माण और अतिक्रमण पर रोक लगा दी है| साथ ही यह भी आदेश दिया है कि इन जल स्रोतों में ठोस अपशिष्ट को नहीं डाला जायेगा| साथ ही प्रदूषण को रोकने के लिए तालाब और नदी में सीवेज के डालने पर पूरी तरह से रोक लगा दी है| इसके साथ ही उसके आदेश पर सख्ती से पालन करने का भी निर्देश दिया है|


मालेगांव में उद्योगों से हो रहे प्रदूषण पर महाराष्ट्र प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने कोर्ट के सामने प्रस्तुत की रिपोर्ट

21 जनवरी, 2020 को दिए एनजीटी के आदेश पर महाराष्ट्र प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने मालेगांव में प्रदूषित इकाइयों पर अपनी रिपोर्ट कोर्ट में जमा करा दी है| यह रिपोर्ट प्लास्टिक से जुडी वस्तुओं के निर्माण, प्लास्टिक रीसाइक्लिंग, धागे को रंगने आदि से जुड़े उद्योगों से मालेगांव में हो रहे प्रदूषण से जुडी है|

कोर्ट के इन उद्योगों को बंद करने के आदेश का पालन करने के लिए इन इकाइयों के पानी और बिजली की आपूर्ति का स्थाई रूप से बंद करने का फैसला लिया गया है| इस पर मालेगांव नगर निगम, अतिरिक्त जिला कलेक्टर, अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक, एमपीसीबी  नासिक के उप-क्षेत्रीय अधिकारी और एमएसईडीसीएल ने संयुक्त रूप से कार्रवाई करने का फैसला किया है| इसके साथ ही जो उद्योग जल (प्रदूषण की रोकथाम और नियंत्रण) अधिनियम 1974, वायु (प्रदूषण की रोकथाम और नियंत्रण) अधिनियम, 1981 और प्लास्टिक अपशिष्ट प्रबंधन नियम 2016 का पालन नहीं कर रहे हैं, उनको भी सील करने का फैसला किया गया है| साथ ही प्लास्टिक और उन अन्य उद्योगों पर कार्रवाही की जा रही है जो शहरी विकास योजना के अनुसार गैर औद्योगिक क्षेत्रों में बसे हुए हैं|

इसके साथ ही धागों की रंगाई, प्लास्टिक और कपड़ा उद्योग से जुडी इकाईयों के स्थानांतरण के संबंध में मालेगांव नगर निगम ने एक योजना प्रस्तुत की है| इसके साथ ही एमपीसीबी ने प्लास्टिक गिट्टियों के निर्माण में लगी 96 इकाइयों और साइजिंग में लगी 7 इकाइयों को पर्यावरण क्षतिपूर्ति के रूप में प्रति यूनिट 1 लाख रुपए हर्ज़ाना भरने का भी निर्देश दिया है| उनको यह जुर्माना बिना आदेश के संचालन और वायु प्रदूषण की रोकथाम के लिए जरुरी उपकरणों को नहीं प्रयोग करने के लिए लगाया गया है|


मृत पशुओं से सतलुज नदी के प्रदूषण का मामला

लधोवाल गांव के हड्डा रोड़ी में अवैध तरीके से पशुओं के शवों का निपटान किया जा रहा है| जिससे इलाके में न केवल दुर्गन्ध फ़ैल गई है साथ ही इसके चलते सतलुज नदी का पानी भी दूषित हो रहा है| गौरतलब है कि यह स्थान सतलुज नदी के करीब ही है| इस समस्या के समाधान के लिए उपायुक्त ने लुधियाना ने नगर निगम को आदेश दिया है कि वो शवों के निपटान और उपयोग के लिए  वैज्ञानिक और आधुनिक तकनीकों पर आधारित संयंत्र का जल्द निर्माण कराएं| 

इसके साथ ही इस प्लांट के निर्माण और चालू होने तक जिला विकास और पंचायत अधिकारी, लुधियाना को पशुओं के शवों और अवशेषों के कहीं और निपटान के लिए स्थान तलाशने को कहा गया है| साथ ही पंजाब प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को हड्डा रोड़ी साइट पर नियमित सख्त निगरानी रखने के भी आदेश दिए गए हैं| जिससे सतलुज नदी को प्रदूषित करने वाली कोई भी अन्य गतिविधि स्थल पर न की जा सके।

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