जानिए क्यों एनजीटी ने सुवर्णरेखा में ड्रेजिंग और डी-सिल्टिंग को रोकने का दिया निर्देश

कोर्ट ने सुवर्णरेखा नदी पर किए जा रहे ड्रेजिंग या डी-सिल्टिंग ऑपरेशन को रोकने के निर्देश दिए हैं

By Susan Chacko, Lalit Maurya

On: Tuesday 05 September 2023
 

नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने आदेश दिया है कि पश्चिम बंगाल खनिज विकास और व्यापार निगम लिमिटेड (डब्ल्यूबीएमडीटीसीएल) और रीच ड्रेजिंग लिमिटेड को संकरैल में सुवर्णरेखा नदी पर किए जा रहे किसी भी तरह के ड्रेजिंग या डी-सिल्टिंग ऑपरेशन को रोकने के निर्देश दिए हैं।

कोर्ट के मुताबिक भले ही वो बोली लगाने में सफल रहे हैं लेकिन वो ऐसा तब तक नहीं कर सकते जब तक वे जिला सर्वेक्षण रिपोर्ट (डीएसआर) और हटाई गई रेत की बहाली के लिए एक अध्ययन नहीं करते। मामला पश्चिम बंगाल में सुवर्णरेखा नदी से जुड़ा है।

इसके अलावा, एनजीटी ने अपने चार सितंबर, 2023 को दिए आदेश में यह भी कहा है कि 2016 के सतत रेत खनन प्रबंधन दिशानिर्देशों और 2020 के रेत खनन प्रवर्तन और निगरानी दिशानिर्देशों का सख्ती से पालन किया जाना जरूरी है। इसके अतिरिक्त, सफल बोली लगाने वाले के पास आवश्यक पर्यावरणीय मंजूरी होनी चाहिए। साथ ही वाणिज्यिक उद्देश्यों के लिए की जा रही खनन गतिविधियों के लिए अन्य कानूनी परमिट भी होना जरूरी हैं।

इस मामले में एनजीटी में शिकायत दर्ज कराने वाले व्यक्ति का दावा है कि मेसर्स रीच ड्रेजिंग लिमिटेड को सुवर्णरेखा नदी तल से तलछट हटाने का ठेका दिया गया था। हालांकि साथ ही उन्होंने रीच ड्रेजिंग लिमिटेड पर इस ड्रेजिंग कार्य की आड़ में वाणिज्यिक रेत खनन गतिविधियों में शामिल होने का भी आरोप लगाया है।

शिकायत में यह भी कहा गया है कि पश्चिम बंगाल खनिज विकास और व्यापार निगम लिमिटेड (डब्ल्यूबीएमडीटीसीएल) ने हावड़ा जिले में सुवर्णरेखा नदी के तल से ड्रेजिंग और गाद निकलने के लिए निविदा जारी की थी, लेकिन वो इसकी आड़ में खनन कर रही थी।

उत्तराखंड में मैली होती गंगा, एनजीटी ने एम सी मेहता को दिया वक्त

नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने आवेदक एम सी मेहता के उस अनुरोध को स्वीकार कर लिया है, जिससे उन्होंने उत्तराखंड में जिला या राज्य स्तर पर गंगा में बढ़ते प्रदूषण से संबंधित पर्यावरणीय समस्याओं को दर्शाने वाला चार्ट प्रस्तुत करने के लिए अधिक समय मांगा था।

गौरतलब है कि 4 सितंबर, 2023 को एनजीटी ने कहा है कि उत्तराखंड में गंगा और उसकी सहायक नदियां जिस भी जिले या शहर से होकर बहती हैं, वहां प्रदूषण और अन्य समस्याओं की जांच करना जरूरी है। इसके अतिरिक्त, कोर्ट ने बाढ़ के मैदान के सीमांकन और नदी के प्राकृतिक प्रवाह को बनाए रखने के मामले पर ध्यान देने की आवश्यकता पर जोर दिया है।

खुले में डंप किए जा रहे कचरे के लिए अधिकारियों को भेजा जाना चाहिए नोटिस: एनजीटी

एनजीटी ने चार सितंबर 2023 को दिए अपने आदेश में कहा है कि बिधाननगर नगर निगम के भीतर, नहर के किनारे केस्टोपुर के नजरूल पार्क क्षेत्र में स्थित एक कूड़े के खुले ढेर के संबंध में अधिकारियों को नोटिस भेजा जाना चाहिए।

अदालत ने निर्देश दिया है कि इस मामले में बिधाननगर नगर निगम, पश्चिम बंगाल प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, शहरी विकास और नगरपालिका मामलों के विभाग और बिधाननगर के पुलिस आयुक्त को नोटिस भेजा जाना चाहिए। कोर्ट ने उनसे दो सप्ताह के भीतर अपना जवाबी हलफनामा दाखिल करने का भी निर्देश दिया है। मामले में अगली सुनवाई 20 सितंबर, 2023 को होगी।

वहां रहने वाले लोगों का कहना है कि उन्होंने कई बार स्थानीय अधिकारियों से इलाके को साफ करने के लिए कहा है, लेकिन उन्होंने अब तक कोई कार्रवाई नहीं की है। लोगों ने यह भी बताया कि जब वे स्थानीय पार्षद से बात करने जाते हैं तो उन्हें धमकाया जाता है। एक स्थानीय निवासी परिमल करमाकर का कहना है कि "हर दिन, न्यू टाउन, जगतपुर बाजार और मृधा मार्केट जैसे आसपास के स्थानों से निकला कचरा यहां डंप किया जाता है, लेकिन इसे ठीक से साफ नहीं किया जा जाता।"

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