धरती की नदियों में बह रहा है कितना पानी, नासा ने दिया जवाब

वैज्ञानिकों का अनुमान है कि 1980 से 2009 तक धरती पर बहने वाली नदियों में पानी की कुल मात्रा औसतन 539 क्यूबिक मील थी।

By Dayanidhi

On: Wednesday 01 May 2024
 
अध्ययन में अमेजन बेसिन को सबसे अधिक नदी भंडारण वाले क्षेत्र के रूप में पहचाना गया, जिसमें लगभग 204 क्यूबिक मील पानी है। फोटो साभार : विकिमीडिया कॉमन्स, उलरिच लांगे

नासा के शोधकर्ताओं द्वारा किए गए एक अध्ययन में इस बात का पता लगाया गया है कि नदियों में कितना पानी बहता है, यह किस दर से समुद्र में मिल रहा है। समय के साथ इन दोनों आंकड़ों में कितना उतार-चढ़ाव आया है, यह धरती के जल चक्र को समझने और ताजे या मीठे पानी की आपूर्ति के प्रबंधन के लिए अहम जानकारी है।

जैसा कि आज दुनिया भर के कई देश भारी जल संकट का सामना कर रहे हैं, भारत में बेंगलुरु समेत कई हिस्से पानी की कमी से जूझ रहे हैं। ऐसे में जल संसाधनों के संरक्षण का महत्व और भी बढ़ जाता है।  

अध्ययन में अत्यधिक पानी वाले क्षेत्रों पर भी प्रकाश डाला गया है, जिनमें अमेरिका में कोलोराडो नदी बेसिन, दक्षिण अमेरिका में अमेजन बेसिन और दक्षिण अफ्रीका में ऑरेंज नदी बेसिन शामिल हैं।

नेचर जियोसाइंस में प्रकाशित अध्ययन के मुताबिक दक्षिण कैलिफोर्निया में नासा की जेट प्रोपल्शन प्रयोगशाला के शोधकर्ताओं ने एक नई पद्धति का उपयोग किया, जिसमें दुनिया भर में लगभग 30 लाख नदी खंडों के कंप्यूटर मॉडल के साथ स्ट्रीम-गेज के माप को जोड़ा गया।  

वैज्ञानिकों का अनुमान है कि 1980 से 2009 तक धरती पर बहने वाली नदियों में पानी की कुल मात्रा औसतन 539 क्यूबिक मील थी। यह मिशिगन झील के पानी के आधे और सभी ताजे पानी के लगभग 0.006 फीसदी के बराबर है, जो कि वैश्विक मात्रा का 2.5 फीसदी है।

ग्रह के सभी पानी के अपने छोटे अनुपात के बावजूद, नदियां शुरुआती सभ्यताओं से ही लोगों के लिए महत्वपूर्ण रही हैं।

हालांकि शोधकर्ताओं ने पिछले कुछ सालों में नदियों से समुद्र में कितना पानी बहता है, इसका कई बार अनुमान लगाया है, लेकिन नदियों में कुल मिलाकर कितना पानी जमा होता है, जिसे स्टोरेज कहते हैं,  इसका अनुमान अनिश्चित रहा है।

अध्ययनकर्ता कहते हैं कि हमें नहीं पता कि धरती पर कितना पानी है, जबकि जनसंख्या वृद्धि और जलवायु परिवर्तन मामले को और जटिल बना रहे हैं।

अध्ययनकर्ता के मुताबिक, हम इसे कैसे उपयोग कर रहे हैं, इसे प्रबंधित करने और यह सुनिश्चित करने के लिए कई चीजें कर सकते हैं ताकि सभी के लिए पर्याप्त पानी हो, लेकिन पहला सवाल यह है- कितना पानी है? यह बाकी सभी चीजों के लिए जरूरी है।

अनुमानों की तुलना अंततः अंतर्राष्ट्रीय सतही जल और महासागर स्थलाकृति (एसडब्ल्यूओटी) उपग्रह के आंकड़ों से की जा सकती है ताकि पृथ्वी के जल चक्र पर मानवजनित प्रभावों के बावजूद इसे मापने में सुधार लाया जा सके।

दिसंबर 2022 में लॉन्च किया गया, एसडब्ल्यूओटी दुनिया भर में पानी की ऊंचाई का मानचित्रण कर रहा है और नदी की ऊंचाई में बदलाव, भंडारण और बहाव को मापने का एक तरीका है।

किस कदर हो रहा है पानी का उपयोग?

अध्ययन में अमेजन बेसिन को सबसे अधिक नदी भंडारण वाले क्षेत्र के रूप में पहचाना गया, जिसमें लगभग 204 क्यूबिक मील पानी है। जो वैश्विक अनुमान का लगभग 38 फीसदी है। वही बेसिन समुद्र में सबसे अधिक पानी भी छोड़ता है, प्रति वर्ष 1,629 क्यूबिक मील के बराबर। यह समुद्र में वैश्विक प्रवाह का 18 फीसदी है, जो 1980 से 2009 तक औसतन 8,975 क्यूबिक मील प्रति वर्ष था।

हालांकि, नदियों के लिए उल्टा बहाव संभव नहीं है, अध्ययन के नजरिए से अपस्ट्रीम या ऊपर की ओर प्रवाह नहीं होता है, यह संभव है कि कुछ नदी खंडों से जितना पानी अंदर गया था उससे कम पानी बाहर आया हो। शोधकर्ताओं ने कोलोराडो, अमेज़ॅन और ऑरेंज नदी बेसिन के कुछ हिस्सों के साथ-साथ दक्षिण-पूर्वी ऑस्ट्रेलिया में मरे-डार्लिंग बेसिन के लिए भी यही पाया। इस तरह के प्रवाह ज्यादातर लोगों के द्वारा अत्यधिक पानी के उपयोग की ओर इशारा करते हैं।

नदियों में पानी की मात्रा निर्धारित करने का एक नया तरीका

दशकों से, पृथ्वी के कुल नदी जल के अधिकांश अनुमान 1974 के संयुक्त राष्ट्र के आंकड़ों में किया गया सुधार है, किसी भी अध्ययन ने यह नहीं दर्शाया है कि समय के साथ मात्रा में किस तरह से बदलाव आया है। अध्ययनकर्ता ने अध्ययन में कहा कि दुनिया की नदियों, विशेष रूप से मानव आबादी से दूर की नदियों के अवलोकन की कमी के कारण बेहतर अनुमान लगाना मुश्किल रहा है।

एक और मुद्दा यह रहा है कि बड़ी नदियों के स्तर और प्रवाह की निगरानी करने वाले स्ट्रीम गेज की संख्या छोटी नदियों की तुलना में बहुत अधिक है। भूमि पर बहाव के अनुमानों में भी भारी अनिश्चितता है, नदियों में बहने वाला बारिश का पानी और बर्फ के पिघलने से इसका सही से आकलन करना और भी कठिन हो जाता है।

नया अध्ययन इस आधार पर शुरू हुआ कि नदी प्रणाली में और उसके माध्यम से बहने वाला पानी मोटे तौर पर उस मात्रा के बराबर होना चाहिए जो गेज नीचे की ओर मापते हैं। जहां शोधकर्ताओं ने तीन भूमि सतह मॉडल से सिम्युलेटेड अपवाह और लगभग 1,000 जगहों से लिए गए गेज माप के बीच अंतर देखे, उन्होंने सिम्युलेटेड अपवाह संख्याओं को सही करने के लिए गेज माप का उपयोग किया।

फिर उन्होंने नासा के शटल रडार टोपोग्राफी मिशन सहित अंतरिक्ष से भूमि की ऊंचाई वाले आंकड़ों और चित्रों का उपयोग करके एक विकसित उच्च-रिज़ॉल्यूशन वाले वैश्विक मानचित्र पर नदियों के माध्यम से अपवाह का मॉडल तैयार किया। इस दृष्टिकोण से बहाव की दरें हासिल हुईं, जिनका उपयोग हर नदी के औसत और मासिक भंडारण का अनुमान लगाने के लिए किया गया था।

अध्ययन के हवाले से अध्ययनकर्ता ने कहा, एक सही कार्यप्रणाली का उपयोग करने से विभिन्न क्षेत्रों के बीच प्रवाह और कमी की तुलना करना संभव हो जाता है। इस तरह हम देख सकते हैं कि दुनिया में सबसे ज्यादा नदी का पानी कहां जमा है, या नदियों से सबसे ज्यादा पानी समुद्र में कहां से बह रहा है।

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