दिल्ली में यमुना के पानी की गुणवत्ता में आया सुधार, डीपीसीसी का दावा

विभाग यमुना नदी को साफ करने के लिए आठ महत्वपूर्ण मुद्दों पर एक साथ काम कर रहे हैं, ऐसे में 2022 की तुलना में जनवरी से सितंबर 2023 के बीच पानी की गुणवत्ता में सुधार आया है।

By Susan Chacko, Lalit Maurya

On: Tuesday 31 October 2023
 

दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति (डीपीसीसी) ने 27 अक्टूबर, 2023 को अपनी रिपोर्ट में जानकारी दी है कि दिल्ली में 22 नाले हैं, जो यमुना नदी में गिर रहे हैं। इन 22 में से नौ नालों को नियंत्रित कर लिया गया है, वहीं दो नालों को आंशिक रूप से टैप किया गया है। वहीं दो बहुत बड़े नालों (नजफगढ़ और शाहदरा) को पूरी तरह से नियंत्रित करना बहुत कठिन है। लेकिन वे अभी भी इन नालों से दूषित पानी को इकट्ठा करने और साफ करने की एक बड़ी परियोजना पर काम कर रहे हैं। इसके तहत इन नालों को इंटरसेप्टर सीवर प्रोजेक्ट में शामिल किया गया है।

रिपोर्ट के मुताबिक चूंकि विभिन्न विभाग यमुना नदी को साफ करने के लिए आठ महत्वपूर्ण मुद्दों पर एक साथ काम कर रहे हैं, इसलिए जनवरी से सितंबर 2023 के बीच पानी की गुणवत्ता में 2022 की तुलना में सुधार आया है।

इसी तरह, जब नजफगढ़ ड्रेन, आईएसबीटी और असगरपुर में दूषित पदार्थों (बीओडी और सीओडी) के साथ हानिकारक बैक्टीरिया (फीकल कोलीफॉर्म) आदि की बात आती है, तो नजफगढ़ ड्रेन और यमुना नदी में पानी की गुणवत्ता में काफी सुधार हुआ है।

दिल्ली में सीवेज की सफाई और निस्तारण का जिम्मा दिल्ली जल बोर्ड (डीजेबी) के पास है। जो दिल्ली में 37 सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट चला रहा है। उसकी इन संयंत्रों की क्षमता में इजाफा करने की योजना है ताकि भविष्य में कहीं ज्यादा सीवेज का निपटान किया जा सके। हालांकि अभी कितना सीवेज पैदा हो रहा है और वो कितने का उपचार कर सकते हैं, इसमें भारी अंतर है। रिपोर्ट के मुताबिक ट्रीटमेंट क्षमता में प्रति दिन 12.5 करोड़ गैलन (15.8 फीसदी) का अंतर है। वहीं किए जा रहे सीवेज में प्रति दिन 24.2 करोड़ गैलन (30.6 फीसदी) का गैप है।

सितंबर 2023 में दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति द्वारा जारी एक रिपोर्ट के मुताबिक, दिल्ली जल बोर्ड (डीजेबी) द्वारा संचालित 37 सीवेज उपचार संयंत्रों में से 14 डीपीसीसी द्वारा निर्धारित मानकों पर खरे थे। वहीं 35 ने डिजाइन से जुड़े मापदंडों को लेकर अच्छा प्रदर्शन किया था। यह भी जानकारी मिली है कि दिल्ली में 639 जेजे क्लस्टरों में से 580 को सीवेज सिस्टम या सीवेज उपचार के लिए विकेन्द्रीकृत एसटीपी से जोड़ा गया है।

गौरतलब है कि डीपीसीसी की यह रिपोर्ट नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल द्वारा 17 अगस्त, 2023 को दिए आदेश पर जारी की गई है। अपने इस निर्देश में कोर्ट ने पीसीबी/पीसीसी को आवश्यक ईटीपी/सीईटीपी/एसटीपी की स्थापना और कार्यप्रणाली के संबंध में दो महीने के भीतर रिपोर्ट प्रस्तुत करने का निर्देश दिया था।

चंडीगढ़ की 100 फीसदी है सीवेज उपचार क्षमता: चंडीगढ़ प्रदूषण नियंत्रण समिति 

चंडीगढ़ प्रदूषण नियंत्रण समिति ने एनजीटी को सौंपी अपनी रिपोर्ट में कहा है कि चंडीगढ़ करीब 220 एमएलडी सीवेज पानी पैदा करता है, जबकि उसकी उपचार क्षमता 250.7 एमएलडी है। इसका मतलब है कि चंडीगढ़ की सीवेज उपचार क्षमता 100 फीसदी से अधिक है।

रिपोर्ट के मुताबिक मौजूदा समय में आठ सीवेज उपचार संयंत्र (एसटीपी) चालू अवस्था में हैं। इनमें से पांच नवीनतम पर्यावरण मानकों के अनुरूप हैं। वहीं शेष तीन एसटीपी का अपग्रेड किया जा चुका है। इनमें से दो वर्तमान में परीक्षण या स्थिरीकरण चरण में हैं, और अंतिम एसटीपी भी इस चरण में प्रवेश करने वाला है। ट्रायल रन सफल होने के बाद ये तीनों एसटीपी भी नवीनतम मानकों पर भी खरे उतरेंगे।

इसके साथ ही ट्रीटेड वाटर को वितरित करने के लिए पाइपलाइनें बिछाई जा रही हैं। इन पाइपलाइनों के बिछाए जाने के बाद और तीन एसटीपी के परीक्षण के बाद, कहीं ज्यादा साफ किया पानी उपलब्ध होगा। इससे ताजे पानी पर पड़ता दबाव कम हो जाएगा। यह ध्यान देने योग्य है कि किसी भी औद्योगिक इकाई को ठीक से चल रहे अपशिष्ट उपचार संयंत्र के बिना जारी रहने की अनुमति नहीं है।

वहीं ऑनलाइन रियल टाइम कंटीन्यूअस एमिशन मॉनिटरिंग सिस्टम (ओसीईएमएस) की स्थापना के संबंध में रिपोर्ट में कहा गया है कि चंडीगढ़ में कोई भी उद्योग श्रेणी 17 और अत्यधिक प्रदूषण फैलाने वाला नहीं हैं।

गौरतलब है कि यह रिपोर्ट 17 अगस्त, 2023 को दिए आदेश पर एनजीटी को सौंपी गई है। अपने इस आदेश में एनजीटी ने सभी राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्डों और समितियों को ईटीपी/सीईटीपी/एसटीपी के कामकाज के संबंध में रिपोर्ट प्रस्तुत करने के लिए नोटिस जारी करने का निर्देश दिया गया था। 

सिक्किम में दूषित जल के निपटान के लिए क्या कुछ उठाए गए हैं कदम: रिपोर्ट

सिक्किम में सीईटीपी स्थापित नहीं किए गए हैं। इसकी जगह, सभी कारखानों के पास अपने स्वयं के जल उपचार संयंत्र (कैप्टिव ट्रीटमेंट फैसिलिटी) हैं। वहीं फार्मास्युटिकल उद्योग में, हर समय पानी की गुणवत्ता पर नजर रखने के लिए एक विशेष प्रणाली (ऑनलाइन सतत प्रवाह निगरानी प्रणाली (ओसीईएमएस) का उपयोग किया जा रहा है। साथ ही इन आंकड़ों को सभी के लिए उपलब्ध कराने के लिए एसपीसीबी-सिक्किम की वेबसाइट पर भेजा जा रहा है।

यहां नौ सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट हैं जो ज्यादातर शहरों से पानी को साफ करते हैं। लेकिन हाल ही में चार अक्टूबर 2023 को आई भीषण बाढ़ के चलते मेल्ली, सिंगताम और रंगपो में कुछ सीवेज उपचार संयंत्रों के क्षतिग्रस्त होने की जानकारी सामने आई है।

ग्रामीण क्षेत्रों में उत्पन्न होने वाले सीवेज को कैप्टिव तरीके से ट्रीट किया जा रहा है। वहीं स्वच्छ भारत मिशन ग्रामीण चरण II के हिस्से के रूप में, वे लोगों को अपने पुराने सिंगल पिट सेप्टिक टैंक को नए ट्विन पिट सेप्टिक टैंक से बदलने के लिए प्रोत्साहित कर रहे हैं।

लोक स्वास्थ्य एवं अभियंत्रण विभाग (पीएचईडी) ने छह सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट प्रस्तावित किए हैं, जिनमें गंगटोक जोन III में ताथांगचेन एसटीपी के दिसंबर 2023 तक पूरा होने की उम्मीद है। यह जानकारियां सिक्किम राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने अपनी रिपोर्ट में दी हैं।

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