रुद्रपुर में बैगुल नदी के किनारे डाला जा रहा कूड़ा, एनजीटी ने जांच के दिए आदेश

यहां पढ़िए पर्यावरण सम्बन्धी मामलों के विषय में अदालती आदेशों का सार

By Susan Chacko, Lalit Maurya

On: Friday 07 July 2023
 

रुद्रपुर में बैगुल नदी के किनारे डाले जा रहे कचरे के खिलाफ नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने संयुक्त समिति को जांच के निर्देश दिए हैं। मामला उत्तराखंड के उधम सिंह नगर का है। एनजीटी को शिकायत मिली थी कि वहां बैगुल नदी के किनारे कचरे को डंप किया जा रहा है।

छह जुलाई, 2023 को दिए अपने आदेश में कोर्ट ने उत्तराखंड प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और उधम सिंह नगर के जिला मजिस्ट्रेट को लेकर बनाई एक संयुक्त समिति को साइट का दौरा करने और इस मामले से जुड़े लोगों से बातचीत करने के बाद तथ्यों को जांचने का निर्देश दिया है। साथ ही कोर्ट ने अपने आदेश में कहा है कि संबंधित अधिकारियों के साथ मिलकर समिति द्वारा आवश्यक कार्रवाई की जानी चाहिए। कोर्ट ने समिति को रिपोर्ट सबमिट करने के लिए दो महीनों का समय दिया है।

गौरतलब है कि इस बाबत दायर शिकायत में कहा गया था कि अवैध डंपिंग के चलते वहां कचरे का 100 फीट ऊंचा पहाड़ बन गया है। इसकी वजह से कूड़ा सड़क पर फैल रहा है। इतना ही नहीं इसकी वजह से बैगुल नदी जो कल्याणी में मिलती है वो भी दूषित हो रही है।

कचरे के अवैज्ञानिक प्रबंधन के चलते पशुओं की मृत्यु हो रही है और फसलों को नुकसान भी हो रहा है। इससे नदी का प्रवाह बाधित हो गया है, जिसके चलते रुद्रपुर में बाढ़ आ गई थी।

आरोप है कि नगर आयुक्त ने कचरा प्रबंधन का काम एक ऐसे ठेकेदार को दिया है, जो उसके योग्य नहीं है। एनजीटी में दर्ज शिकायत में यह भी आरोप लगाया गया है कि कचरे को रीसायकल करने के लिए 500 डंपर तैनात किए गए हैं। हालांकि कचरे को बिलासपुर ले जाया जाता है और उसे एक प्राथमिक विद्यालय के पास इकट्ठा कर दिया जाता है, जिससे बच्चों पर भी प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है।

अलकडीहा में अवैध कोयला खनन का मामला, एनजीटी ने तलब की रिपोर्ट

नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने चार सदस्यीय समिति को यह निर्देश दिया है कि वो इस बात की जांच करे कि धनबाद के अलकडीहा में अवैध खनन हो रहा है या नहीं। मामला झारखण्ड के धनबाद जिले का है। कोर्ट ने समिति को साइट का दौरा करने के बाद एक निरीक्षण रिपोर्ट तैयार करने के लिए भी कहा है। मामले में अगली सुनवाई सात अगस्त, 2023 को होगी।

गौरतलब है कि इस मामले में अजय रजक ने एनजीटी को दी अपनी शिकायत में कहा था कि यह अवैध कोयला खदानें भारत कोकिंग कोल लिमिटेड (बीसीसीएल) की हैं। जो कोल इंडिया लिमिटेड के लोदना क्षेत्र में स्थित हैं। नवंबर 2022 में सेंट्रल सुरुंगा पहाड़ीगोरा में अवैध खनन के चलते करीब 20 से 25 लोगों की मौत हो गई थी।

उनका यह भी आरोप है कि उक्त खदानें वन क्षेत्र में आती हैं और खनन कार्यों के चलते मंदिर का एक हिस्सा भी जमीन में धंस गया है। साथ ही आरोप है कि इन खदानों में महिलाओं समेत करीब 1500 से 2000 लोग काम कर रहे थे। साथ ही बच्चे भी सुरंगों से अवैध कोयला खनन कर रहे हैं, जिससे किसी भी दिन बड़ी त्रासदी हो सकती है।

क्या जगदीश विहार के रिहायशी इलाके में चल रही है फैक्ट्री: एनजीटी

छह जुलाई 2023 को एनजीटी ने एक संयुक्त समिति को निर्देश दिया है कि वो सत्यापित करे कि क्या जगदीश विहार के रिहायशी इलाके में पॉलिथीन प्रिंटिंग फैक्ट्री चल रही है। मामला उत्तरप्रदेश में बरेली के जगदीश विहार का है। कोर्ट ने उत्तरप्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और बरेली के जिला मजिस्ट्रेट की एक संयुक्त समिति को साइट का दौरा करने और मामले से जुड़े लोगों के साथ बातचीत करने का निर्देश दिया है। साथ ही कोर्ट ने इस मामले में समिति को रिपोर्ट सबमिट करने के लिए अलगे दो महीनों का समय दिया है।

गौरतलब है कि एनजीटी का यह आदेश सतीश चंद्र शर्मा द्वारा दायर शिकायत के जवाब में आया है, जिसमें उन्होंने कहा था कि फैक्ट्री के चलने से वायु प्रदूषण हो रहा है। इसकी वजह से लोगों में अस्थमा और कैंसर जैसी बीमारियों के होने की संभावना है। उनका आरोप है कि शिकायत के बावजूद अधिकारियों ने इस मामले में कोई कार्रवाई नहीं की है।

उदयपुर में सड़क को चौड़ा करने के लिए काटे गए पेड़ों के मामले में एनजीटी ने दिए जांच के निर्देश

नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने संयुक्त समिति को निर्देश दिया है कि वो उदयपुर में सड़क को चौड़ा करने के लिए काटे गए पेड़ों के मामले की जांच करे। मामला राजस्थान के उदयपुर का है, जहां हवाला खुर्द से शिल्प ग्राम तक सड़क को 60 से 80 फीट तक बड़ा करने के लिए पेड़ों को काटा गया था।

कोर्ट ने समिति से इस मामले में छह सप्ताह के भीतर तथ्यात्मक और कार्रवाई रिपोर्ट सबमिट करने का आदेश दिया है।

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