एनजीटी ने दूषित सीवेज के मामले में पोकरण नगरपालिका पर लगाया भारी जुर्माना

यहां पढ़िए पर्यावरण सम्बन्धी मामलों के विषय में अदालती आदेशों का सार

By Susan Chacko, Lalit Maurya

On: Friday 14 July 2023
 

नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने पोकरण में नगरपालिका बोर्ड को दूषित सीवेज के अनुचित निपटान के कारण पर्यावरण को हुए नुकसान की एवज में मुआवजा देने का निर्देश दिया है। कोर्ट ने नगर निगम बोर्ड को अगले दो महीनों के अंदर मुआवजे के तौर पर 65.75 लाख रुपए का भुगतान करने को कहा है।

जुर्माने की यह राशि राजस्थान राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (आरएसपीसीबी) के पास जमा करानी होगी। कोर्ट ने नगरपालिका बोर्ड को यह भी निर्देश दिया है कि वो दूषित सीवेज को तोलाबेरी नदी या किसी खुले क्षेत्र में न बहाए। साथ ही एनजीटी ने आरएसपीसीबी को पोकरण नगर निगम बोर्ड द्वारा जमा की गई राशि में से 20 लाख रुपए शिकायत दर्ज करने वाले किसान भोमा राम माली को देने का आदेश दिया है।

मुआवजे की बाकी बची राशि का उपयोग आरएसपीसीबी द्वारा पुनर्स्थापना योजना के तहत पर्यावरण की बहाली के लिए किया जाएगा। इस सम्बन्ध में राजस्थान राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, जैसलमेर के जिला कलेक्टर और जिला वन अधिकारी (डीएफओ) की एक संयुक्त समिति को अगले दो महीनों के भीतर एक कार्य योजना तैयार करने का भी काम सौंपा गया है।

न्यायमूर्ति सुधीर अग्रवाल की बेंच ने इस बात पर जोर दिया है कि किसी भी जल स्रोत में दूषित सीवेज को प्रवाहित करना अवैध है, और जब तक कि जल अधिनियम 1974 के अनुसार पानी की गुणवत्ता में सुधार के लिए उचित उपचार नहीं किया जाता तब तक कोई भी व्यक्ति जो इस कानून का उल्लंघन करता है, वह "पॉल्यूटर पे" सिद्धांत के तहत पर्यावरणीय मुआवजा देने के लिए जिम्मेवार है।

गौरतलब है कि जैसलमेर की पोकरण तहसील के छह किसानों और कृषि भूमि मालिकों ने सीवेज के चलते उनकी भूमि पर होते प्रदूषण के संबंध में एनजीटी के समक्ष एक आवेदन दायर किया था।

संयुक्त समिति द्वारा प्रस्तुत रिपोर्ट के मुताबिक पोकरण शहर से जो घरेलू सीवेज एक खुली नाली और सीवरेज प्रणाली के माध्यम से छोड़ा जाता है, वो अंततः तोलाबेरी नदी के प्राकृतिक जलग्रहण क्षेत्र में पहुंचता है। यह गंदा पानी शिकायतकर्ताओं में से एक भोमाराम माली की जमीन के पास जमा होता है। मानसून के दौरान, दूषित जल और तूफानी पानी, पोकरण के रण क्षेत्र की ओर बहता है। निरीक्षण के दौरान तोलाबेरी नदी के जलग्रहण क्षेत्र में घरेलू सीवेज पाया गया है, जो वहां से नीचे की ओर याचिकाकर्ता की भूमि पर बहता है।

उपलब्ध रिकॉर्ड के मुताबिक पोकरण नगरपालिका बोर्ड ने राजस्थान राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के 26 मई, 2016 के वर्गीकरण के अनुरूप सीवरेज नेटवर्क स्थापित करने के लिए आवश्यक सहमति नहीं ली है। हालांकि नगर निगम बोर्ड द्वारा 2011-12 में सीवेज नेटवर्क का निर्माण कराया गया था।

हटाया जाए करोल बाग में मोबाइल टावर लगाने के लिए किया गया निर्माण: एनजीटी

नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने मेसर्स इंडस टावर प्राइवेट लिमिटेड को करोल बाग के एक ग्रीन एरिया में मोबाइल सिग्नल टावर के लिए किए गए निर्माण और सिविल कार्यों को हटाने के लिए कहा है। एनजीटी ने यह आदेश 13 जुलाई 2023 को जारी किया है।

एनजीटी का कहना है कि यह निर्माण दिल्ली नगर निगम द्वारा दी गई अनुमति के आधार पर किया गया था। हालांकि कोर्ट ने परियोजना प्रस्तावक को इस क्षेत्र को दोबारा उसकी मूल स्थिति में लाने का निर्देश दिया है। यदि वो ऐसा करने में विफल रहता है, तो दिल्ली नगर निगम, परियोजना प्रस्तावक की कीमत पर क्षेत्र को पुनः बहाल करेगा।

आवेदक ने दिल्ली नगर निगम द्वारा मेसर्स इंडस टावर प्राइवेट लिमिटेड को दी गई अनुमति की वैधता पर चिंता जताई है। यह मामला करोल बाग के रामजस रोड में सेठ घनशयाम दास चौक पर एक पार्क में एक मोबाइल सिग्नल टावर लगाने से जुड़ा है।

अदालत को दिए अपने जवाब में, दिल्ली नगर निगम का कहना है कि परियोजना प्रस्तावक को दी गई अनुमति 18 अप्रैल, 2023 को एक पत्र के माध्यम से तत्काल प्रभाव से वापस ले ली गई है।

भोपाल में पार्क की जगह बसा दी कॉलोनी, अब मामले की जांच करेगी समिति

नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने भोपाल में निर्मल पैलेस नामक कॉलोनी के निर्माण के संबंध में आरोपों की जांच के लिए एक संयुक्त समिति को निर्देश दिया है। इस समिति में मध्य प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (एमपीसीबी) और भोपाल कलेक्टर कार्यालय के सदस्य शामिल होंगें। यह निर्देश 11 जुलाई, 2023 को दिया गया है, आरोप है कि मेसर्स इक्वेटर कंस्ट्रक्शन ने पार्क की जगह पर कॉलोनी बसा दी है।

ऐसे में कोर्ट ने समिति को इस साइट का दौरा करने के साथ मामले से जुड़ी जानकारी एकत्र करने और एक महीने के भीतर उसपर तथ्यात्मक रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दिया है।

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