कचरा प्रबंधन की सुविधा के खिलाफ की गई अपील को एनजीटी ने किया खारिज

विभिन्न अदालतों में पर्यावरण से संबंधित मामलों में क्या चल रहा है, यहां पढ़ें-

By Susan Chacko, Dayanidhi

On: Monday 28 September 2020
 

नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने बाओजिनिम सिटीजन फोरम द्वारा नॉर्थ गोवा के बाओजिनिम तालुका में कचरा प्रबंधन की सुविधा के खिलाफ दायर अपील को खारिज कर दिया है।

अपील गोवा अपशिष्ट प्रबंधन निगम के पक्ष में दी गई पर्यावरण मंजूरी (ईसी) के खिलाफ थी। जो 6 जनवरी, 2020 को उत्तरी गोवा के बाओजिनिम तालुका में 250 टन प्रतिदिन (टीपीडी) कचरा प्रबंधन सुविधा की स्थापना के लिए दी गई थी।

यह कहा गया था कि परियोजना स्थल ठोस कचरा प्रबंधन नियम, 2016 के तहत निर्धारित स्थल-चयन के मानदंडों के विरुद्ध है। बस्ती से परियोजना स्थल की दूरी 200 से 500 मीटर होनी चाहिए, जबकि इस मामले में निकटतम बस्ती केवल 35 मीटर की दूरी पर है।

एनजीटी ने 24 सितंबर के अपने फैसले में कहा कि पर्यावरण की सुरक्षा के लिए कचरे का प्रबंधन वैज्ञानिक तरीके से किया जाना चाहिए। इस जगह का चयन 2006 में किया गया था, इसे राज्य द्वारा लागू मानदंडों और भूमि अधिग्रहण नियमों के अनुसार किया गया था, जिसे उच्च न्यायालय ने बरकरार रखा। बफ़र ज़ोन को बनाए रखा गया और सार्वजनिक सुनवाई विधिवत आयोजित की गई। जगह का चयन करते समय वहा पहले से मौजूद, किसी तरह का कोई निर्माण नहीं देखा गया था। पर्यावरण मंजूरी शर्तों के उल्लंघन के खिलाफ कोई शिकायत नहीं की गई थी।

एनजीटी के न्यायमूर्ति आदर्श कुमार गोयल और सोनम फेंटसो वांग्दी ने कहा कि - अपशिष्ट प्रबंधन की सुविधा आवश्यक है और जगह का विधिवत चयन किया गया है। जिस उद्देश्य के लिए अधिग्रहण किया गया था, इसे बरकरार रखा गया है। पर्यावरण की मंजूरी देने में कोई गलती नहीं हुई है।

इस बात की आवश्यकता थी कि पर्यावरण मंजूरी की शर्तों का अनुपालन किया जाना चाहिए और सभी पर्यावरण सुरक्षा उपायों का विधिवत निरीक्षण किया जाना चाहिए, जिसकी निगरानी राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (एसपीसीबी) द्वारा की जानी चाहिए।

मद्रास रबर फैक्ट्री के खिलाफ पर्यावरणीय मानदंडों के उल्लंघन का कोई भी साक्ष्य नहीं है : एनजीटी

नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने 24 सितंबर को कहा कि ऐसा कोई साक्ष्य, जानकारी या सामग्री नहीं है जो ये स्पष्ट कर दे कि गोवा के उस्गाओ, ग्राम टिस्क में स्थित मद्रास रबड़ फैक्ट्री (एमआरएफ) में सर्वेक्षण संख्या 259 के अनुसार पर्यावरणीय मानदंडों का उल्लंघन हो रहा है।

सर्वेक्षण संख्या 259 पर एमआरएफ के निर्माण को रोकने के लिए एनजीटी के समक्ष दायर याचिका के जवाब में यह आदेश आया। अन्य दायर याचिकाएं खंडरदर नदी के तटबंध से अतिक्रमण हटाकर आर्द्रभूमि (वेटलैंड) नियमों के अनुसार आर्द्रभूमि को बनाए रखने के लिए थीं। याचिका में नदी के पास एमआरएफ द्वारा बनाए गए एक चेक डैम को भी ध्वस्त करने के लिए गुहार लगाई गई थी।

राज्य के अधिकारियों ने ट्रिब्यूनल को सूचित किया कि आर्द्रभूमि (वेटलैंड) नियमों या वन कानून का कोई उल्लंघन नहीं हुआ है। यह परियोजना किसी भी जल निकाय के बफर जोन के भीतर नहीं है और यह जीरो लिक्विड डिस्चार्ज (जेडएलडी) परियोजना है। यह परियोजना संचालन में रही है और यहां किसी भी तरह का कोई प्रदूषण कभी नहीं पाया गया।

परियोजना के विस्तार का असर नदी या किसी अन्य आर्द्रभूमि (वेटलैंड) पर भी नहीं पड़ेगा। आर्द्रभूमि के संरक्षण के मुद्दे से स्वतंत्र रूप से निपटा जा रहा था और परियोजना के आसपास के 10 आर्द्रभूमि को खदानपुर नदी सहित संरक्षित आर्द्रभूमि के रूप में अधिसूचित किए जाने की संभावना है, जिसे एनजीटी को पहले ही सूचित किया गया था।

एनजीटी ने अपील को खारिज कर दिया और कहा कि ऐसा कोई साक्ष्य, जानकारी या सामग्री नहीं है जिसमें वेटलैंड नियमों का उल्लंघन हो रहा हो। किसी भी जल निकाय को नुकसान या पर्यावरणीय मानदंडों के उल्लंघन का कोई भी साक्ष्य नहीं है।

गाजियाबाद के ग्रीन बेल्ट में अतिक्रमण

नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने गाजियाबाद के जिला मजिस्ट्रेट को ग्रीन बेल्ट, जी टी रोड औद्योगिक क्षेत्र के अतिक्रमण के बारे में उचित उपचारात्मक कार्रवाई करने का निर्देश दिया। अतिक्रमण मास्टर प्लान का उल्लंघन है।

सुनील कुमार शर्मा द्वारा एनजीटी के समक्ष ग्रीन बेल्ट में एक इमारत (उद्योग भवन) के निर्माण के बारे में याचिका दायर की गई थी।

खुर्जा में सुपरक्रिटिकल थर्मल पावर प्लांट

उत्तर प्रदेश के खुर्जा में टीएचडीसी लिमिटेड द्वारा सुपरक्रिटिकल थर्मल पावर प्लांट (एसटीपीपी) पर संयुक्त समिति की रिपोर्ट के जवाब में सोशल एक्शन फॉर फॉरेस्ट एंड एनवायरमेंट (सेफ) द्वारा 28 सितंबर को एनजीटी के समक्ष एक रिपोर्ट प्रस्तुत की गई

सेफ ने एनजीटी के समक्ष केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय द्वारा मार्च 30, 2017 को कोयले के खदान रहित एसटीपीपी की स्थापना के लिए दी गई पर्यावरणीय मंजूरी के खिलाफ अपील दायर की थी।

एनजीटी के आदेश के अनुपालन में 19 दिसंबर, 2019 को संयुक्त समिति द्वारा एक रिपोर्ट सौंपी गई थी। सेफ ने कहा है कि रिपोर्ट के संग्रह और तैयारी में संयुक्त समिति का दृष्टिकोण अवैज्ञानिक था।

सेफ की रिपोर्ट में कहा गया है कि संयुक्त समिति परिवेशी वायु गुणवत्ता स्तरों को निर्धारित करने के लिए थर्मल पावर प्लांट के लिए तकनीकी पर्यावरणीय प्रभाव मूल्यांकन (ईआईए) मार्गदर्शन मैनुअल का उल्लेख करने में विफल रही।

इसके अलावा, परिवेशी वायु गुणवत्ता (एएक्यू) पर संयुक्त समिति द्वारा प्रस्तुत आंकड़े पर्यावरण (संरक्षण) नियम, 1986 की अनुसूची VII के संदर्भ में नहीं था।

संयुक्त समिति ने पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय द्वारा तैयार थर्मल पावर प्लांट्स के लिए तकनीकी मार्गदर्शन नियमावली में दिए गए दिशानिर्देशों के आधारभूत घटकों के आकलन और विशेषताओं के संदर्भ में पीएम10 और पीएम2.5 के आकलन के लिए आधारभूत विशेषताओं को एकत्र नहीं किया था।

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