ठोस कचरे के प्रबंधन में नहीं हुआ कोई खास सुधार, असम के सीवेज उपचार में है 100 फीसदी का अंतर

असम सरकार द्वारा जारी रिपोर्ट के मुताबिक राज्य में हर दिन औसतन 43.5 करोड़ लीटर सीवेज पैदा हो रहा है, जबकि उसका एक फीसदी भी ट्रीट नहीं किया जा रहा

By Susan Chacko, Lalit Maurya

On: Friday 22 March 2024
 
गुवाहाटी के गोरचुक वेस्ट डंप में जमा कचरा, फोटो: आईस्टॉक

असम में ठोस और तरल कचरे के प्रबंधन और निपटान की स्थिति बेहद खराब है। वहीं यदि सीवेज प्रबंधन के मामले में तो यह अभी भी शुरूआती चरण में है। सीवेज प्रबंधन की गंभीर स्थिति को उजागर करते हुए नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने 19 मार्च 2024 को कहा है कि राज्य में पैदा हो रहे सीवेज और उसके प्रबंधन के बीच 100 फीसदी का गैप है। मतलब की वहां सीवेज प्रबंधन पूरी तरह नदारद है।

गौरतलब है कि इस मामले में आखिरी बार 27 जनवरी, 2023 को विचार किया गया था। इस बारे में असम सरकार ने अपनी रिपोर्ट में जानकारी दी थी कि राज्य में हर दिन 532 टन कचरे को प्रोसेस किया जा रहा है, जबकि पैदा हो रहे कचरे और उसके प्रसंस्करण के बीच 752 टीपीडी का अंतर है। मतलब हर दिन औसतन 752 टन कचरा लैंडफिल्स में जमा हो रहा है।

राज्य में कुल 32.97 लाख मीट्रिक टन पुराना कचरा जमा है। वहीं यदि सीवेज से जुड़े आंकड़ों को देखें तो राज्य में हर दिन औसतन 43.5 करोड़ लीटर सीवेज पैदा हो रहा है, जबकि उसका एक फीसदी भी ट्रीट नहीं किया जा रहा है।

19 मार्च, 2024 को एनजीटी ने असम की नवीनतम रिपोर्ट को देखने के बाद पाया है कि वहां हर दिन पैदा हो रहे ठोस कचरे के मामले में यह अंतर भी 752 टन प्रतिदिन है। हालांकि असम द्वारा इस दिशा में किए जा रहे प्रयासों की मदद से वर्षों से जमा 32.97 लाख मीट्रिक टन पुराने कचरे को 7.96 लाख मीट्रिक टन तक कम करने में कामयाब रहा है।

क्यों चार लाख मीट्रिक टन से अधिक विरासती कचरे को नहीं किया गया उजागर

हालांकि साथ ही अदालत ने यह भी कहा है कि रिपोर्ट में पिछले 14 महीनों में हर दिन 752 टन प्रति दिन के हिसाब से जो कचरा जमा हो रहा है उसको उजागर नहीं किया गया है, जो करीब चार लाख मीट्रिक टन से अधिक होना चाहिए। ऐसे में कोर्ट के मुताबिक रिपोर्ट में विरासती कचरे की जो मात्रा 7.96 लाख मीट्रिक टन दर्शाई गई है, वो इस विरासती कचरे के निपटान की सही तस्वीर को प्रतिबिंबित नहीं करती है, क्योंकि इसमें आगे पैदा हो रहे विरासती कचरे पर ध्यान नहीं दिया गया है।

रिपोर्ट बताती है कि ठोस और तरल कचरे के प्रबंधन की दिशा में कुछ कदम उठाए जा रहे हैं। लेकिन तथ्य यह है कि इसमें कोई खास सुधार नहीं हुआ है। कोर्ट के अनुसार 27 जनवरी, 2023 को की गई समीक्षा के बाद से स्थिति जस की तस ही है। सीवेज प्रबंधन में जो अंतर पहले 43.5 करोड़ प्रति दिन था, वो अभी भी बना हुआ है। जब अदालत ने असम सरकार के प्रतिनिधि को यह कमियों बताई, तो प्राधिकरण ने एक व्यापक रिपोर्ट प्रस्तुत करने के लिए अतिरिक्त समय देने का अनुरोध किया।

विरासती कचरे का उपचार और निपटान कैसे किया गया है एनजीटी ने इस बारे में भी सरकार से जानकारी मांगी है। विशेष रूप से यह जानकारी स्थिर सामग्री के उपयोग और बायोमाइनिंग प्रक्रिया के दौरान पैदा हो रहे अवशेषों के बारे में है। इसी प्रकार प्रत्येक शहर और कस्बे के विवरण सहित, सीवेज उपचार सुविधाओं की स्थापना और उपचारित सीवेज के उपयोग के संबंध में कोई विवरण प्रदान नहीं किया गया है।

अदालत ने यह भी पाया है कि 1,043 करोड़ रुपये के रिंग-फेंस्ड अकाउंट बनाने का जो निर्देश दिया गया था, उसका पालन अब तक नहीं किया गया है। ऐसे में एनजीटी ने असम के मुख्य सचिव को 15 सितंबर, 2024 तक इस बारे में हुई प्रगति पर रिपोर्ट प्रस्तुत करने को कहा है। इस रिपोर्ट में 31 अगस्त, 2024 तक हुई प्रगति की जानकारी होनी चाहिए।

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