बेंगलुरु में आईपीएल के दौरान एम चिन्नास्वामी स्टेडियम में इस्तेमाल होने वाले पानी पर एनजीटी ने मांगी रिपोर्ट

मामला बेंगलुरु में जल संकट के बावजूद आगामी इंडियन प्रीमियर लीग (आईपीएल) के लिए एम चिन्नास्वामी स्टेडियम को पानी की आपूर्ति से जुड़ा है

By Susan Chacko, Lalit Maurya

On: Thursday 04 April 2024
 
प्रतीकात्मक तस्वीर: आईस्टॉक

नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने बेंगलुरू जल आपूर्ति और सीवरेज बोर्ड से एक विस्तृत रिपोर्ट सबमिट करने को कहा है। इस रिपोर्ट में यह जानकारी होनी चाहिए कि एम चिन्नास्वामी स्टेडियम में कितना पानी इस्तेमाल किया जा रहा है और वो कहां से आता है। इसके साथ ही रिपोर्ट में आपूर्ति किए जा रहे उपचारित पानी की गुणवत्ता का भी विवरण होना चाहिए।

गौरतलब है कि यह रिपोर्ट एनजीटी ने 21 मार्च, 2024 को इंडिया टुडे में छपी एक खबर पर स्वतः संज्ञान लेते हुए तलब की है। इस खबर में इस बात पर प्रकाश डाला गया था कि जल संकट के बावजूद बेंगलुरु के एम चिन्नास्वामी स्टेडियम को आगामी इंडियन प्रीमियर लीग (आईपीएल) 2024 के लिए उपचारित पानी की आपूर्ति की जाएगी।

इस खबर से पता चला है कि बेंगलुरु जल आपूर्ति और सीवरेज बोर्ड (बीडब्ल्यूएसएसबी) ने कर्नाटक राज्य क्रिकेट एसोसिएशन (केएससीए) के अनुरोध के बाद, कब्बन पार्क अपशिष्ट जल उपचार संयंत्र से स्टेडियम में उपचारित पानी की आपूर्ति करने की अनुमति दी है।

एक अप्रैल 2024 को इस मामले में एनजीटी ने कर्नाटक राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, बेंगलुरू जल आपूर्ति और सीवरेज बोर्ड, बेंगलुरु के उपायुक्त और जिला मजिस्ट्रेट के साथ-साथ कर्नाटक राज्य क्रिकेट एसोसिएशन को भी पक्षकार बनाने का निर्देश दिया है। इन सभी को दो मई 2024 से पहले अपना जवाब दाखिल करने को कहा गया है।

गोवा के कई क्षेत्रों में चल रहा रेत खनन का अवैध कारोबार, एनजीटी ने अधिकारियों से मांगा जवाब

नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने गोवा में अवैध रेत खनन पर छपी एक खबर पर स्वतः संज्ञान लेते हुए अधिकारियों को नोटिस देने का निर्देश दिया है। इस मामले में अगली सुनवाई पांच जुलाई, 2024 को होगी।

ऐसे में ट्रिब्यूनल ने गोवा राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के क्षेत्रीय अधिकारी के साथ-साथ गोवा के कलेक्टर और जिला मजिस्ट्रेट को अगली सुनवाई से एक सप्ताह पहले अपना जवाब दाखिल करने को कहा है। इसके साथ ही एनजीटी की प्रधान पीठ ने इस मामले को पुणे में एनजीटी की पश्चिमी बेंच में ट्रांसफर करने का निर्णय भी लिया है।

इस बारे में 13 फरवरी, 2024 को ओ हेराल्डो में प्रकाशित एक खबर में गोवा के कई क्षेत्रों में नदी किनारे कथित तौर पर हो रहे अवैध रेत खनन पर प्रकाश डाला गया था। इस खबर के मुताबिक बड़े पैमाने पर होते अवैध रेत खनन से गोवा के समुद्री पारिस्थितिकी तंत्र को नुकसान पहुंच रहा है।

इस खबर से पता चला है कि नदियों में नावों की मदद से अवैध खनन का खेल चल रहा है। यहां तक कि म्हादेई जैसे आंतरिक वन क्षेत्रों में भी खनन का यह कारोबार जारी है। इसके अतिरिक्त, पोंडा तालुका, पेरनेम, चंदोर और राचोल में भी नौका बिंदु के पास अवैध रेत खनन हो रहा था।

खबर में यह भी जानकारी दी गई है कि पिछले दो वर्षों में, राज्य को गोवा की नदियों से निकाली गई रेत से कोई राजस्व नहीं मिला है। हालांकि इसका रेत का उपयोग अटल सेतु, जुआरी ब्रिज जैसी आधिकारिक और रियल एस्टेट परियोजनाओं में किया जा रहा है। इससे पता चलता है कि इन परियोजनाओं में अवैध रूप से खनन की गई रेत का उपयोग किया गया है।

बारासात नगर पालिका में जल निकाय पर होता अतिक्रमण, एनजीटी ने आरोपों की जांच के दिए निर्देश 

बारासात के काजीपुरा गांव में एक जल निकाय (पुकुर) पर अतिक्रमण और अवैध निर्माण के संबंध में एनजीटी ने एक तथ्य-खोज समिति के गठन का निर्देश दिया है। मामला पश्चिम बंगाल के उत्तर 24 परगना जिले का है।

इस समिति में पश्चिम बंगाल प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के एक वरिष्ठ वैज्ञानिक, उत्तर 24 परगना के जिला मजिस्ट्रेट और बारासात नगर पालिका के एक वरिष्ठ अधिकारी शामिल होंगें। ट्रिब्यूनल ने इस समिति को साइट का दौरा करने के साथ चार सप्ताह के भीतर अपनी रिपोर्ट सौंपने को कहा है।

आरोप है कि अज्ञात व्यक्ति तालाब के आसपास के क्षेत्र का भराव कर रहे हैं। इसके अतिरिक्त, यह भी दावा किया गया है कि दूषित जल को तालाब में छोड़ा जा रहा है। तालाब के चारों ओर चल रही इन गतिविधियों के चलते वहां पानी अत्यधिक दूषित हो गया है। इसकी वजह से स्थानीय लोग इस पानी का उपयोग नहीं कर पा रहे हैं। यहां तक की तालाब में मछली पालन भी बंद करना पड़ा है। 

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