दुनिया के हर पांचवे बच्चे को नहीं मिल रहा पर्याप्त पानी: यूनिसेफ

दक्षिण एशिया में सबसे ज्यादा करीब 15.5 करोड़ बच्चे पानी की भारी किल्लत का सामना करने को मजबूर हैं, जिसमें 9.14 करोड़ बच्चे भारत में रहते हैं

By Lalit Maurya

On: Thursday 18 March 2021
 

दुनिया के हर पांचवे बच्चे के पास उसकी रोज की जरूरतों को पूरा करने लिए पर्याप्त पानी नहीं है। वैश्विक स्तर पर देखें तो करीब 142 करोड़ लोग उन स्थानों पर रहते हैं जहां पानी की भारी कमी है। इनमें 45 करोड़ बच्चे भी शामिल हैं। यह जानकारी यूनिसेफ द्वारा 18 मार्च 2021 को जारी विश्लेषण में सामने आई है।

आंकड़ों से पता चला है कि 80 से ज्यादा देशों में बच्चे उन स्थानों पर रहते हैं जो गंभीर जल संकट को झेल रहे हैं। पूर्वी और दक्षिण अफ्रीका के ऐसे क्षेत्रों में रहने वाले बच्चों का अनुपात सबसे अधिक है। अनुमान है कि वहां के 58 फीसदी से ज्यादा बच्चे हर दिन पानी की समस्या का सामना करते हैं। इसके बाद पश्चिम और मध्य अफ्रीका के 31 फीसदी, दक्षिण एशिया में 25 फीसदीऔर मध्य पूर्व में 23 फीसदी बच्चे इस तरह के जल संकट का सामना कर रहे हैं। वहीं यदि बच्चों की संख्या के हिसाब से देखें तो दक्षिण एशिया में सबसे ज्यादा 15.5 करोड़ बच्चे गंभीर और अति गंभीर जल संकट का सामना करने को मजबूर हैं।

यूनिसेफ की कार्यकारी निदेशक हेनरीटा फोर ने बताया कि "ऐसा नहीं है कि दुनिया में जल संकट आने वाला है बल्कि यह पहले ही मौजूद है। बस जलवायु परिवर्तन स्थिति को और बदतर बना देगा। जब जल संकट आता है तो इसका सबसे बड़ा शिकार बच्चे ही बनते हैं। जब कुएं सूख जाते हैं तो उन्हें ही अपने स्कूलों को छोड़ पानी भरने जाना पड़ता है। जब सूखा पड़ता है तो बच्चे ही कुपोषण और स्टंटिंग का शिकार बनते हैं। जब बाढ़ आती है तो बच्चे ही दूषित पानी से होने वाली बीमारियों का शिकार बनते हैं और जब पानी की किल्लत होती है तो बच्चे साफ-सफाई नहीं रख पाते, हाथ नहीं धो पाते, ऐसे में वो बीमारियों का आसान शिकार होते हैं।

भारत में भी 9.14 करोड़ बच्चे कर रहे हैं गंभीर जल संकट का सामना

दुनिया में 37 देश ऐसे हैं जिन्हें बच्चों के लिए जल संकट का हॉटस्पॉट माना गया है। इसमें भारत के साथ-साथ अफगानिस्तान, बुर्किना फासो, इथियोपिया, हैती, केन्या, नाइजर, नाइजीरिया, पाकिस्तान, पापुआ न्यू गिनी, सूडान, तंजानिया और यमन आदि देश शामिल हैं। यदि भारत की बात करें तो यहां करीब 9.14 करोड़ बच्चे गंभीर जल संकट का सामना कर रहे हैं।

आबादी और जरूरतों के बढ़ने के साथ-साथ पानी की मांग भी लगातार बढ़ती जा रही है, जबकि संसाधन कम होते जा रहे हैं। तेजी से बढ़ती जनसंख्या, शहरीकरण, पानी की बर्बादी और कुप्रबंधन के अलावा जलवायु परिवर्तन और मौसम की चरम घटनाओं के चलते भी पानी की मात्रा और गुणवत्ता गिरती जा रही है। जिससे जल संकट और उससे उपजा तनाव भी बढ़ता जा रहा है। 2017 से यूनिसेफ द्वारा फिर एक रिपोर्ट से पता चला है कि 2040 तक दुनिया भर में हर चार में से एक बच्चा उन क्षेत्रों में रहने को मजबूर होगा जो जल संकट के कारण उच्च तनाव में होंगे।

ऐसे में इस समस्या पर ध्यान देना जरुरी है। इन क्षेत्रों को जल सेंकेट से बचाने के लिए न केवल जल की हो रही बर्बादी को रोकना होगा। साथ ही, इसके बेहतर प्रबंधन पर भी ध्यान देना होगा। इसके साथ ही जलवायु परिवर्तन के असर को सीमित करने के प्रयास करने होंगें। न केवल हमें इस समस्या को दूर करने के प्रयास करने होंगे साथ ही स्थिति को और बदतर होने से भी रोकना होगा और यह तभी हो सकता है जब हम सब मिलकर इस दिशा में प्रयास करें।

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