तमिलनाडु में पानी की किल्लत दूर करने के लिए आईआईटी मद्रास ने शुरु की नई पहल

फॉरवर्ड ऑस्मोसिस (एफओ) तकनीक पर आधारित इस प्रणाली की मदद से हर दिन 20 हजार लीटर साफ पीने योग्य पानी प्राप्त किया जा सकेगा

By Lalit Maurya

On: Monday 21 June 2021
 

तमिलनाडु में सूखे की समस्या से निपटने के लिए आईआईटी मद्रास ने एक नई पहल शुरु की है। वहां समुद्र के जल को पीने लायक बनाने के लिए सूर्य के ताप की मदद से चलने वाली फॉरवर्ड ऑस्मोसिस (एफओ) प्रणाली की मदद ली गई है। यह प्रणाली तमिलनाडु के दक्षिण-पूर्व में स्थित रामनाथपुरम जिले के एक गांव नरिपय्यूर में स्थापित की गई है।

गौरतलब है कि यह क्षेत्र एक सूखा प्रभावित क्षेत्र है, जहां पीने के पानी की किल्लत बनी रहती है। इस समस्या को दूर करने के लिए यह जो प्रणाली लगाई गई है उसकी मदद से हर दिन 20 हजार लीटर साफ पीने योग्य पानी प्राप्त किया जा सकेगा।

गौरतलब है कि तमिलनाडु के दक्षिण-पूर्वी हिस्से में स्थित रामनाथपुरम जिला बढ़ती लवणता के कारण पेयजल की कमी से जूझ रहा है। यहां पानी में लवणता कहीं ज्यादा है और भूजल दूषित हो चुका है। 4.23 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में फैले इस जिले में करीब 265 किलोमीटर लम्बी तटरेखा है। जोकि तमिलनाडु की कुल समुद्री तट रेखा का करीब एक चौथाई हिस्सा है।

खारे पानी को साफ करने की यह प्रणाली फॉरवर्ड ऑस्मोसिस (एफओ) तकनीक पर आधारित है। इसकी मदद से यहां रहने वाले 10,000 लोगों को हर रोज करीब प्रति व्यक्ति करीब 2 लीटर साफ पीने का पानी मिल सकेगा। जिससे वहां पीने की पानी की समस्या को हल करने में मदद मिलेगी। इस एफओ प्रणाली का सबसे बड़ा फायदा यह है कि यह सस्ती है। साथ ही इसमें बिजली की खपत भी कम होती है।

क्यों फायदेमंद है यह तकनीक

समुद्री जल को साफ करने की यह फॉरवर्ड ऑस्मोसिस (एफओ) तकनीक 2 बार के दबाव पर संचालित होती है, जबकि इसके विपरीत आरओ प्रणाली लगभग 50 बार दबाव पर संचालित होती है। इसका मतलब है कि यह तकनीक रिवर्स ओसमोसिस की तुलना में बहुत कम दबाव में संचालित होती है इससे पानी की बर्बादी कम हो जाती है।

कम दबाव के कारण इस तकनीक में मेम्ब्रेन जल्द खराब नहीं होती, साथ ही उसे आसानी से जल्द बेहतर तरीके से साफ किया जा सकता है। जिससे मेम्ब्रेन का जीवनकाल बढ़ जाता है और खर्च कम हो जाता है।

इस प्रणाली को तमिलनाडु स्थित भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) मद्रास ने एम्पीरियल - केजीडीएस रिन्यूएबल एनर्जी के सहयोग से स्थापित किया है, जिसमें भारत सरकार के विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग (डीएसटी) ने भी सहयोग किया है।

ऐसे में पूरी उम्मीद है कि सरकार की मदद से शुरु की गई यह पहल न केवल रामनाथपुरम जिले में मौजूद पानी की समस्या को दूर करने में मददगार होगी साथ ही यह देश के विभिन्न तटीय ग्रामीण क्षेत्रों में भी उभरती हुई तकनीकों को बढ़ाने का मार्ग प्रशस्त कर सकती है।

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