उत्तराखंड में ग्लेशियर टूटा, भारी बारिश के बाद जोशीमठ पर मंडराया संकट

तीन दिन से चल रही भारी बारिश के कारण उत्तराखंड में 12 लोगों की मौत हो चुकी है। अभी बारिश का खतरा बना हुआ है

By Trilochan Bhatt

On: Tuesday 11 July 2023
 
बद्रीनाथ राष्ट्रीय राजमार्ग पर छिनका के पास पहाड़ी से मलबा आने के कारण सड़क मार्ग लगातार बंद हो रहा है। फोटो: टि्वटर चमोली पुलिस

पिछले तीन दिन से लगातार हो रही भारी बारिश के बाद पूरे जहां पूरे उत्तराखंड में जनजीवन प्रभावित हो गया है। वहीं, पहले से आपदा का शिकार जोशीमठ के लोगों की चिंताएं बढ़ गई हैं। 10 जुलाई 2023 की शाम जोशीमठ से लगभग 50 किलोमीटर दूर एक ग्लेशियर फटने के कारण नीती घाटी के जुम्मा नाले का जलस्तर बढ़ गया। यह नाला धौलीगंगा में आकर मिलता है, इसलिए जोशीमठ के लोग रात भर सो नहीं पाए।  

उधर गंगोत्री हाईवे पर बोल्डर गिरने से 9-10 की चार तीर्थयात्रियों की मौत हो गई तो काशीपुर में एक दिन पहले मकान गिरने से दो लोगों की मौत हुई है। जबकि बदरीनाथ हाईवे पर दो दिन पहले व्यासी के पास तेज बारिश के दौरान एक वाहन नदी में गिर जाने से 6 लोगों की मौत हुई है।

जोशीमठ से करीब 50 किमी दूर नीती घाटी में जुम्मा नाले में 10 जुलाई की शाम 5 बजे के करीब अचानक उफान आ गया था। स्थानीय निवासियों के अनुसार यह उफान उस समय आया, जब जुम्मा में बारिश नहीं हो रही थी। प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार नाले में ठीक वैसा ही सैलाब आया, जैसे 7 फरवरी 2021 को ऋषिगंगा में देखा गया था। इस सैलाब के कारण एक बड़ा बोल्डर जुम्मा नाले के पुल के ठीक नीचे अटक गया था, जिस वजह से देर रात पुल टूट गया। 

चमोली के जिला आपदा प्रबंधन अधिकारी नंदकिशोर जोशी के अनुसार अनुमान लगाया जा रहा है कि वह हिमालयी क्षेत्र में कोई ग्लेशियर टूटा है जिससे जुम्मा नाले में उफान आया। इससे सीमा सड़क संगठन (बीआरओ) का पुल टूट गया। 

जोशीमठ से चीन सीमा की ओर जाने वाला यह एकमात्र पुल था। इससे चीन बॉर्डर पर जरूरी सामान की सप्लाई बाधित हो गई है। इसके साथ ही सीमावर्ती गांवों कागा, गरपक, द्रोणागिरी, जेलम, कोसा, मलारी, फरकिया, बाम्पा, गमशाली और नीती सहित दर्जनों गांव अलग-थलग पड़ गये हैं।

7 फरवरी 2021 को रैणी का पुल बह जाने के बाद भी इस क्षेत्र में ऐसी ही स्थिति पैदा हो गई थी। भारी बारिश के कारण माणा घाटी भी बुरी तरह से प्रभावित हुई है। इस घाटी में बदरीनाथ मार्ग कम से कम तीन जगहों पर बह गया है। बदरीनाथ यात्रा पूरी तरह से बंद हो गई है। राजमार्ग पर जोशीमठ से करीब 25 किलोमीटर पहले छिनका के पास पहाड़ी से लगातार मलबा आने के कारण सड़क मार्ग अवरुद्ध हो रहा है।

 

जोशीमठ ब्लॉक के ग्राम प्रधान संघ के अध्यक्ष और सीमावर्ती गांव द्रोणागिरी के ग्राम प्रधान पुष्कर सिंह राणा के अनुसार जिस तरह से जुम्मा पुल के नीचे बड़ा बोल्डर अटक गया था और जुम्मा नाले में पानी का स्तर लगातार बढ़ रहा था, उससे शाम से ही यह तय था कि पुल टूट जाएगा। रात 1 बजे के करीब तेज आवाज के साथ पुल टूट गया है और पूरी घाटी का संपर्क कट गया है। हालांकि सुबह तक नाले का जल स्तर सामान्य हो गया।

मौके से कुछ ही दूरी पर स्थित सूखी भलगांव के ग्राम प्रधान लक्ष्मण सिंह बुटोला के अनुसार पानी का स्तर कम होने के बावजूद नाले को पार करना संभव नहीं है। फिलहाल प्रशासन और वन विभाग के लोग मौके पर पहुंच गये हैं। सेना के अधिकारियों के भी जल्दी मौके पर पहुंचने की संभावना है। सबसे पहले वैकल्पिक मार्ग बनाने की जरूरत है, क्योंकि पुल टूट जाने से सेना की सप्लाई चेन बंद हो जाना सबसे बड़ी समस्या है।

जोशीमठ नगर पालिका पूर्व सभासद प्रकाश नेगी के अनुसार भूधंसाव से प्रभावित जोशीमठ के लोग पिछले तीन दिन से डरे-सहमे हुए हैं। ज्यादातर लोग पूरी रात जागकर बिता रहे हैं। 9-10 जुलाई की पूरी रात तेज बारिश होती रही। औली डांडे की तरफ से जोशीमठ की ओर आने वाले सभी पहाड़ी नाले पूरे उफान पर थे। इससे पूरी रात लोग सो नहीं पाये।

दरअसल जोशीमठ में दरारें चौड़ी होने का सिलसिला अभी पूरी तरह थमा नहीं है। प्रकाश नेगी के मुताबिक पक्के रास्तों पर नजर आने वाली दरारों की चौड़ाई बढ़ रही है, लेकिन खेतों और खाली जमीन पर दरारों की क्या स्थिति यह फिलहाल पता नहीं लगा पा रहा है, क्योंकि चारों तरफ कई फीट ऊंची झाड़ियां उग आई हैं। प्रशासन की ओर से भी इन दरारों पर नजर रखने की कोई व्यवस्था नहीं की गई है।

जोशीमठ बचाओ संघर्ष समिति के मुख्य संयोजक अतुल सती कहते हैं कि जोशीमठ की स्थितियां लगातार बिगड़ रही हैं। दरारें बढ़ रही हैं। कई परिवार असुरक्षित घरों में रह रहे हैं। जनवरी में जो परिवार अपने घर छोड़कर प्रशासन द्वारा तय किये गये होटलों और दूसरे भवनों में चले गये थे, कुछ समय पहले वे भी अपने घरों में लौट आए हैं।

कई लोग ऐसे हैं, जो दूसरी जगह घर बनाना चाहते हैं, लेकिन कहां पर बनाएं, ऐसी सलाह देने वाला कोई नहीं है। सती के मुताबिक, भूधंसाव के बाद जिन 8 एजेंसियों ने जांच और सर्वे़क्षण किया था, उनकी रिपोर्ट सार्वजनिक नहीं की जा रही हैं। इससे यह पता नहीं चल पा रहा है कि जोशीमठ और उसके आसपास कहां सुरक्षित जगह है, जहां घर बनाये जा सकें। जोशीमठ में नये मकान बनाने पर रोक है और लोगों की जमीन की कीमत भी तय नहीं की गई है। यानी कि फिलहाल जोशीमठ के लोगों के पास खतरे के बीच रहने के अलावा दूसरा विकल्प नहीं है।

राज्य सरकार भी जोशीमठ की तरफ से आंखें फेरे हुए है। पिछले 8 अप्रैल को जोशीमठ बचाओ संघर्ष समिति के एक शिष्टमंडल ने मुख्यमंत्री से मुलाकात की थी। मुख्यमंत्री के सामने कुछ मांगें रखी गई थी। इनमें एक वर्ष तक प्रभावित लोगों के रहने की व्यवस्था करना भी शामिल था। मुख्यमंत्री ने इन मांगों को जल्द से जल्द पूरा करने का आश्वासन भी दिया था, लेकिन अब तक कुछ नहीं हुआ है।

जोशीमठ के पूर्व क्षेत्र पंचायत अध्यक्ष प्रकाश रावत कहते हैं कि जिस तरह से लगातार बारिश हो रही है। उसे देखते हुए जोशीमठ पर बड़ा खतरा मंडरा रहा है। इसलिए सरकार को इस तरफ तुरंत ध्यान देने की जरूरत है।

पिछले दो दिन में उत्तराखंड में लगातार सामान्य से बहुत अधिक बारिश हो रही है। मौसम विभाग के मुताबिक उत्तराखंड में 9 जुलाई को सामान्य से  144 प्रतिशत अधिक बारिश हुई, जबकि 10 जुलाई को 58 प्रतिशत अधिक बारिश हुई। चमोली जिले में 9 जुलाई को सामान्य से 232 प्रतिशत और  10 जुलाई को सामान्य से 80 प्रतिशत अधिक बारिश हुई।  वहीं, जोशीमठ में करीब 60 मिमी बारिश हुई। 

 

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