अरुणाचल में मिली मेंढक की नई प्रजाति, नाम रखा गया 'पटकाई'

पटकाई ग्रीन ट्री फ्रॉग एक छोटी प्रजाति है जिसका आकार 23 से 26 मिलीमीटर है, इसका नाम ऐतिहासिक 'पटकाई' पहाड़ियों की श्रृंखला के नाम पर रखा गया है जहां यह पाया गया था

By Dayanidhi

On: Tuesday 30 May 2023
 
फोटो साभार: वर्टेब्रेट जूलॉजी, मेंढक, पटकाई ग्रीन ट्री फ्रॉग (ग्रैसिक्सलस पटकाईनेसस)

शोधकर्ताओं की एक टीम ने एक आश्चर्यजनक ग्रीन ट्री फ्रॉग या हरे पेड़ के मेंढक की खोज की जो कीटों की जैसी आवाजें निकालता है। मेंढक, पटकाई ग्रीन ट्री फ्रॉग (ग्रैसिक्सलस पटकाईनेसस) का नाम ऐतिहासिक 'पटकाई' पहाड़ियों की श्रृंखला के नाम पर रखा गया था जहां यह पाया गया था।

खोज का नेतृत्व करने वाले शोधकर्ता देहरादून में भारतीय वन्यजीव संस्थान, सेनकेनबर्ग प्राकृतिक इतिहास संग्रह, ड्रेसडेन, जर्मनी और नमदाफा टाइगर रिजर्व, अरुणाचल प्रदेश से हैं। टीम ने कहा कि यह पटकाई हिल्स रेंज में नमदाफा टाइगर रिजर्व से खोजी गई छठी नई मेंढक प्रजाति है और यह प्रजाति मॉनसून के मौसम में दलदली इलाकों में प्रजनन करती है।

साल 2022 में, नमदाफा टाइगर रिजर्व में एक हर्पेटोलॉजिकल खोज के दौरान मेंढक को पहली बार शोध दल द्वारा देखा गया।

शोध दल ने कहा कि मेंढक की नई प्रजाति की आवाज कीड़ों से काफी मिलती-जुलती है। इनकी आवाज को पहली बार 14 मई, 2022 को शाम साढ़े पांच से सात बजे के बीच जंगल के रास्ते पर सुना गया था। आवाज की ध्वनि अपेक्षाकृत लंबी "सीटी" से संकीर्ण आवृत्ति बैंड के साथ भारी आवृत्ति के साथ एक छोटी क्लिक जैसी ध्वनि होती है।

भारतीय वन्यजीव संस्थान के अभिजीत दास और अध्ययनकर्ता ने खुलासा किया कि, यह भारत की सबसे खूबसूरत मेंढक प्रजातियों में से एक है, इसका रंग बहुत हरा है।

पटकाई ग्रीन ट्री फ्रॉग एक छोटी प्रजाति है जिसका आकार 23 से 26 मिलीमीटर है। अध्ययन के अनुसार इसका निकटतम संबंधी “ग्रैसिक्सलस ग्रेसिलिप्स” चीन, थाईलैंड और वियतनाम में पाया जाता है। कॉलिंग पैटर्न के साथ-साथ इसके रूप और आणविक अध्ययन के आधार पर इसे नई प्रजातियों में रखा गया  है। शोधकर्ताओं का दावा है कि भारत में इसकी खोज से पहले वियतनाम, लाओस, थाईलैंड, दक्षिणी चीन और म्यांमार में जीनस "ग्रेक्सिक्सलस" से संबंधित 15 से अधिक प्रजातियां पाई गई थीं।

नए खोजे गए पटकाई ग्रीन ट्री फ्रॉग को टाइगर रिजर्व के सदाबहार जंगल के अंदर एक दलदली आवास में पाया गया, जो बेंत, बांस, रतन ताड़, फर्न और जंगली ज़िंगबर से ढका हुआ था। हालांकि यह प्रजाति केवल कमला वैली बीट में पाई गई है, जिसे नमदाफा टाइगर रिजर्व में 25 मील के रूप में जाना जाता है। शोधकर्ताओं का कहना है कि यह टाइगर रिजर्व के अंदरूनी हिस्सों में स्थित सूक्ष्म आवासों में रह सकती है।

अभिजीत ने कहा, हम प्रजातियों की पारिस्थितिकी के बारे में अधिक जानने के लिए फील्ड में काम कर रहे हैं।

जिस क्षेत्र में नई मेंढक प्रजाति पाई गई थी, उसे सबसे बड़े और जैविक रूप से समृद्ध परिदृश्य में से एक माना जाता है, जो कि 71,400 वर्ग किमी में फैला हुए है। लेकिन शोध में कम प्राथमिकता और स्थान की दूरी के कारण अभी तक संरक्षणवादियों और नीति निर्माताओं का वहां जाना बाकी है। अध्ययन में कहा गया है कि यह भौगोलिक रूप से अनोखी दुनिया में उष्णकटिबंधीय वर्षा वन की सबसे उत्तरी सीमा है।

अध्ययन में आगे कहा गया है कि यह क्षेत्र निम्न-भूमि हॉलोंग-मेकाई डिप्टरोकार्प वन से लेकर ऊंचे घास के मैदानों तक कई दिलचस्प आवास है। इस क्षेत्र में हर्पेटोफौना के लिए शायद ही खोजबीन की गई है और इस प्रकार अधिक मेंढक प्रजातियों की खोज के लिए बहुत बड़ी गुंजाइश है। इस खोज को "वर्टेब्रेट जूलॉजी" पत्रिका के नवीनतम अंक में प्रकाशित किया गया है।

Subscribe to our daily hindi newsletter