एनजीटी ने असम सरकार को बराक घाटी में वन भूमि पर निर्माण न करने की दी चेतावनी

मामला बराक घाटी में कमांडो बटालियन मुख्यालय के लिए 44 हेक्टेयर संरक्षित वन भूमि के डायवर्जन की वैधता से जुड़ा है

By Susan Chacko, Lalit Maurya

On: Saturday 16 March 2024
 

नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने असम सरकार को आगाह करते हुए कहा है कि यदि चल रहे मामले के दौरान बराक घाटी में वन भूमि पर सरकारी अधिकारियों द्वारा कोई अवैध निर्माण किया जाता है, तो वे उसके परिणाम और खर्च के लिए जिम्मेवार होंगें। गौरतलब है कि आवेदक के वकील ने उन तस्वीरों का हवाला दिया है, जिनसे पता चलता है कि वहां बड़े पैमाने पर कंक्रीट का स्थाई निर्माण किया जा रहा है।

इस बारे में पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय (एमओईएफ&सीसी) के वकील का कहना है कि उन्हें राज्य से आवश्यक जानकारी प्राप्त हुई है। उन्होंने आश्वासन दिया कि पर्यावरण मंत्रालय दो सप्ताह के भीतर न्यायाधिकरण के समक्ष एक हलफनामा दायर कर अपना रुख स्पष्ट कर देगा।

बता दें कि यह मामला एनजीटी द्वारा स्वत: संज्ञान में लिया गया था। पूरा मामला बराक घाटी में कमांडो बटालियन मुख्यालय के लिए 44 हेक्टेयर संरक्षित वन भूमि के डायवर्जन की वैधता से जुड़ा है। आरोपों है कि इस निर्माण के दौरान वन (संरक्षण) अधिनियम, 1980 के तहत अनिवार्य प्रक्रियाओं को नजरअंदाज किया गया है। 

यह निर्माण असम के हैलाकांडी जिले में आरक्षित वन की आंतरिक सीमा के भीतर किया जा रहा है। यह निर्माण सेकंड असम कमांड बटालियन यूनिट के मुख्यालय के लिए किया जा रहा है।

वहीं असम की दलील है कि निर्माण गतिविधियां वन सम्बन्धी नहीं हैं।

एनजीटी ने लखनऊ नगर निगम को डंपिंग साइट प्रबंधन मामले में समिति की सिफारिशों को लागू करने के दिए निर्देश

नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) की मुख्य पीठ ने लखनऊ नगर निगम को कचरा डंपिंग साइट के प्रबंधन के लिए संयुक्त समिति की  सिफारिशों को पूरी तरह से लागू करने का निर्देश दिया। बता दें कि 14 मार्च  2024 को दिया यह निर्देश लखनऊ के रायबरेली रोड स्थित साउथ सिटी कॉलोनी की डंपिंग साइट के अनुचित प्रबंधन से जुड़ा है। यह डंपिंग यार्ड 2,300 वर्ग मीटर में फैला है।

वहीं लखनऊ नगर निगम ने स्वीकार किया है कि वो 20 मई, 2024 तक संयुक्त समिति की सभी सिफारिशों को पूरी तरह से लागू कर देंगें। ऐसे में, एनजीटी ने 29 मई, 2024 को होने वाली अगली सुनवाई से पहले नगर निगम को एक नई रिपोर्ट भी दाखिल करने को कहा है।

गौरतलब है कि ट्रिब्यूनल द्वारा गठित संयुक्त समिति ने इस मामले में एक रिपोर्ट कोर्ट में पेश की थी। इस रिपोर्ट में विभिन्न सुझावों के साथ लीचेट को एकत्र करने के लिए एक उचित  प्रणाली स्थापित करने की भी बात कही गई थी।

साथ ही रिपोर्ट में डंपिंग यार्ड के चारों ओर एक ग्रीन बेल्ट बनाने की सिफारिश की गई थी। लखनऊ नगर निगम को इन बातों पर अमल करने का निर्देश दिया गया था। हालांकि अदालत ने पाया है कि नगर निगम ने इस बारे में चार मार्च 2024 को दायर हलफनामे में पूरी जानकारी नहीं दी है।

एनजीटी ने दिल्ली के स्मृति वन में एक तालाब के जीर्णोद्धार का दिया निर्देश

नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) के न्यायमूर्ति प्रकाश श्रीवास्तव और न्यायमूर्ति सुधीर अग्रवाल की बेंच ने दक्षिण दिल्ली के जिला मजिस्ट्रेट और दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति (डीपीसीसी) को स्मृति वन में एक तालाब के जीर्णोद्धार के लिए अपेक्षित कार्रवाई करने का निर्देश दिया है।

डीडीए का यह पार्क स्मृति वन दिल्ली के किशनगढ़ गांव में है। अदालत ने इस मामले में अधिकारियों को अतिक्रमण हटाने, उल्लंघन करने वालों की पहचान करने और पर्यावरण संबंधी नियमों का उल्लंघन करने वालों के खिलाफ कार्रवाई करने का निर्देश दिया है।

एनजीटी ने 13 मार्च 2024 को दिए अपने निर्देश में दक्षिणी दिल्ली के जिला मजिस्ट्रेट और डीपीसीसी से तीन महीने के भीतर आवश्यक कार्रवाई करने और मामले पर एक रिपोर्ट सौंपने को कहा है।

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