पश्चिम बंगाल के वन क्षेत्र पर कथित अतिक्रमण के मामले में पर्यावरण मंत्रालय को जारी किए नोटिस

मामला पश्चिम बंगाल के दुर्गापुर का है, जहां श्याम सेल एंड पावर लिमिटेड पर आरोप है कि उसने अवैध रूप से वन क्षेत्र पर अतिक्रमण किया है

By Susan Chacko, Lalit Maurya

On: Friday 05 January 2024
 

नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) की पूर्वी बेंच ने पांच जनवरी 2024 को कथित तौर पर दुर्गापुर में वन भूमि पर किए अतिक्रमण से जुड़े मामले पर सुनवाई की थी।

मामला पश्चिम बंगाल के दुर्गापुर का है, जहां श्याम सेल एंड पावर लिमिटेड पर आरोप है कि उसने अवैध रूप से वन क्षेत्र पर अतिक्रमण किया है। इस मामले में सुनवाई करते हुए अदालत ने पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के साथ-साथ पश्चिम बंगाल सरकार और श्याम सेल एंड पावर लिमिटेड को नोटिस जारी करने के निर्देश दिए हैं। इन सभी को चार सप्ताह के भीतर जवाब में अपना हलफनामा दाखिल करने को कहा है। इस मामले में अगली सुनवाई छह फरवरी 2024 को होगी।

गौरतलब है कि इस मामले में आवेदक ने मौजा मदुमपुर में वन भूमि की सुरक्षा के लिए दिशा-निर्देश जारी करने को लेकर आवेदन दायर किया था। इस आवेदन में उन्होंने श्याम सेल एंड पावर लिमिटेड द्वारा किए अतिक्रमण को रोकने के लिए कदम उठाने का आग्रह किया था।

श्याम सेल एंड पावर लिमिटेड ने 29 सितंबर, 2021 को एक आवेदन प्रस्तुत किया था, जिसमें जमुरिया में एकीकृत इस्पात संयंत्र के विस्तार और संशोधन के लिए पर्यावरण मंजूरी दिए जाने को लेकर आवेदन किया था।

इस विस्तार योजना में ऑक्सीजन संयंत्र, प्रोड्यूसर गैस संयंत्र, सिंटर प्लांट, कोक ओवन प्लांट, ब्लास्ट फर्नेस, डीआरआई प्लांट, पेलेट प्लांट, रोलिंग मिल, कैप्टिव पावर प्लांट जैसी विभिन्न सुविधाओं के विस्तार की बात कही थी। वहीं पर्यावरण मंजूरी हासिल करने के लिए इस उद्योग ने जो ईआईए रिपोर्ट सौपी थी उसमें यह कहा था कि इस विस्तार प्रस्ताव में कोई वन भूमि शामिल नहीं है।

अदालत को बताया गया कि 13 अप्रैल, 2023 को आसनसोल रेंज के वन अधिकारी ने जमुरिया पुलिस स्टेशन के प्रभारी को सूचित किया था। अधिकारी ने मौके पर जांच की और इस बात की पुष्टि की है कि उद्योग ने 8.59 एकड़ वन भूमि पर अतिक्रमण किया है। वहीं रेंज ऑफिसर की ओर से अवैध ढांचे को गिराने का नोटिस दिया गया था।

ओडिशा, कर्नाटक और महाराष्ट्र के लिए सीजेडएमपी को दी जा चुकी है मंजूरी: पर्यावरण मंत्रालय

पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने एनजीटी में दाखिल अपने जवाब में कहा है कि तटीय नियमन क्षेत्र (सीआरजेड) अधिसूचना, 2019 के तहत ओडिशा, कर्नाटक और महाराष्ट्र के लिए तटीय क्षेत्र प्रबंधन योजना (सीजेडएमपी) को मंजूरी दे दी गई है। इसी तरह द्वीप तटीय नियमन क्षेत्र (आईसीआरजेड) अधिसूचना, 2019 के अनुसार ग्रेट निकोबार द्वीप और लिटिल अंडमान द्वीप के लिए द्वीप तटीय विनियमन क्षेत्र योजना (आईसीआरजेडपी) को भी मंजूरी दी गई है।

वहीं अन्य तटीय राज्यों के लिए, सीआरजेड अधिसूचना, 2011 और आईपीजेड अधिसूचना 2011 पर आधारित सीजेडएमपी/आईसीआरजेडपी वर्तमान में प्रभावी हैं।

गौरतलब है कि राष्ट्रीय तटीय क्षेत्र प्रबंधन प्राधिकरण (एनसीजेडएमए) ने एक अगस्त, 2023 को अपनी 46वीं बैठक में सीआरजेड अधिसूचना, 2019 के तहत लंबित सीजेडएमपी/आईसीआरजेडपी अनुमोदन वाले सभी तटीय राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों को इस प्रक्रिया को दो महीनों के भीतर, 31 अक्टूबर 2023 तक पूरा करने का निर्देश दिया था।

इसके अलावा, 22 सितंबर, 2023 और 30 नवंबर, 2023 को लिखे अपने पत्रों में, मंत्रालय ने एक बार फिर सभी शेष तटीय राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों से एनसीजेडएमए के निर्देशानुसार सीआरजेड अधिसूचना, 2019 के तहत सीजेडएमपी/आईसीआरजेडपी को अंतिम रूप देने में तेजी लाने का आग्रह किया था।

2011 और 2019 की सीआरजेड अधिसूचना के अनुसार, राज्य तटीय क्षेत्र प्रबंधन प्राधिकरण (एससीजेडएमए) सीआरजेड अधिसूचना के प्रावधानों को लागू करने और निर्दिष्ट शर्तों का पालन हो रहा है या नहीं इसे सुनिश्चित करने के लिए मुख्य रूप से जिम्मेवार है।

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